• Webdunia Deals
  1. लाइफ स्‍टाइल
  2. रोमांस
  3. प्रेम-गीत
  4. love poem

हिन्दी कविता : प्रेम के बेल बूटे सजाया करूंगी...

हिन्दी कविता : प्रेम के बेल बूटे सजाया करूंगी... - love poem
तुम ने मुस्कुरा कर कहा
इस घर और मुझ पर अब तुम्हारा पूर्ण अधिकार है
मैं अपना सर्वस्व सदा के लिए तुम्हें सौंप रहा हूं
उसी क्षण मैं तुमसे एक प्रगाढ़ बंधन में बंध गई
तुम पर अधिकार मेरी आश्वस्ति था
तुम केवल मेरे हो ये विश्वास मेरी साधना थी..
यूं मुझे निर्जीव वस्तुओं पर अधिकार जमाना अच्छा लगता है
जैसे घर की दीवारें
जैसे कोई परिधान या कोई आभूषण
कि वो अधिकारों के बोझ से कसमसाते या मुकरते नहीं..
अपने नन्हे शिशु से भी मुझे
असीम प्रेम है
कि मेरा अधिकार ही उसका जीवन है..
परंतु कभी कभी
जब तुम कुछ अन्यमनस्क होते हो
या बेपरवाह  बेफ़िक्र होते हो
या कुछ विरक्त दिखाई देते हो
या अपने पुरुषत्व के अहं में लीन रहते हो
तब तुम्हारे ऊपर अपने अधिकार पर संशय होने लगता है
प्रेमाधिकार जताना कठिन हो जाता है
तब प्रेम की वीणा असाध्य लगने लगती है
कर्तव्य बोझिल लगने लगते हैं..
सुनो अधिकार का आश्वासन ही
स्त्री को अविभाज्य रखता है
तुम अधिकारों की सतलड़ी पहनाते रहो
मैं कर्तव्यों पर प्रेम के बेल बूटे सजाया करूंगी...