नीर की बूंद हो तुम....
प्रीति सोनी
नीर की बूंद हो तुम....
जम गए, पिघल गए,
मेरी सांसों में ढल गए..
मुस्कुराहट बनके मेरी,
होंठों पर बिखर गए ...
कभी आंसू बनके मेरी,
पलकों में संभल गए...
एक रौशन चिराग हो तुम,
कभी बुझ गए कभी जल गए.
एक प्रेम का राग हो तुम,
मेरे दिल में तुम जो पल गए...
आए तो,
हर एक रोम को
हंसना सिखा दिया ।
जाते हुए
हर आंख को
करके सजल गए ।
जीवन कठिन है
बिन तेरे
पल-पल विकल हुए,
कहीं भूल न जाना
तुम मुझे
मेरे संग जो पल गए ।
जीवन की राह पर
चलते-चलते,
कहीं आगे जो निकल गए