मप्र 2010 : छाए रहे शिवराज
राज्यसभा के औचित्य पर सवाल करने संबंधी बयान देकर विवादों में घिरे शिवराजसिंह चौहान इस साल मुख्यमंत्री के तौर पर पाँच साल का कार्यकाल पूरा करने वाले मध्यप्रदेश के पहले गैर कांग्रेसी मुख्यमंत्री बने।चौहान ने इस साल 29 नवंबर को अपना पाँच साल का कार्यकाल पूरा कर लिया। इसके साथ ही उन्होंने गैर कांग्रेसी मुख्यमंत्री के रूप में पाँच साल का कार्यकाल पूरा करने वाले पहले मुख्यमंत्री होने का खिताब हासिल कर लिया।भारतीय जनता पार्टी ने चौहान के पाँच साल पूरे करने का दिन गौरव दिवस के रूप में मनाया। इस अवसर पर पार्टी ने भोपाल के जंबूरी मैदान पर एक विशाल रैली का आयोजन किया और दो लाख से अधिक कार्यकर्ताओं को एकत्रित कर प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस की रातों की नींद उड़ा दी। यह पहला अवसर था जब चौहान को आशीर्वाद देने के लिए पार्टी का लगभग समूचा केन्द्रीय नेतृत्व भोपाल में मौजूद था।जंबूरी मैदान पर भाजपा कार्यकर्ताओं की यह रैली पूरी तरह अनुशासित रही। बड़ी संख्या में कार्यकर्ताओं के राजधानी पहुंचने के बावजूद शहर में कहीं भी न तो यातायात बाधित हुआ और न ही किसी प्रकार की कोई अप्रिय स्थिति का सामना करना पड़ा।चौहान राजधानी में चुनाव सुधार को लेकर आयोजित एक संगोष्ठी में राज्यसभा को समाप्त किए जाने की वकालत कर विवादों में घिर गए तथा इसको लेकर केन्द्रीय नेतृत्व द्वारा असहमति जताये जाने के बाद उन्होंने देर रात अपने निवास पर पत्रकारों को बुलाकर माफी भी माँगी।संगोष्ठी में चौहान ने राज्यसभा के औचित्य पर सवाल उठाते हुए कहा था कि मौजूदा परिस्थितियों में राज्यसभा और विधान परिषद की आवश्यकता नहीं है।मुख्यमंत्री का कहना था कि पहले इन सस्थाओं को बनाने का उद्देश्य पवित्र था तथा इनके माध्यम से बुद्धिजीवियों और योग्य लोगों को यहाँ भेजा जाता था लेकिन अब तो कभी किंगफिशर वाला आता है तो कभी कोई और। चौहान ने यह भी कहा था कि राज्यसभा का चुनाव उद्योगपति लड़ते हैं जिससे विधायकों की खरीद फरोख्त होती है और विधायक मंडी में बदल जाते हैं।चौहान के इस बयान से खासा विवाद उठा। जब केन्द्रीय नेतृत्व ने उनके बयान से पल्ला झाड़ लिया तो उन्होंने देर रात अपने निवास पर संवाददाताओं को बुलाकर अपने बयान के लिए न केवल माफी माँगी बल्कि यह भी कहा कि उनकी चिंता लोकसभा राज्यसभा और विधानसभा की गरिमा बनाए रखने की थी।उन्होंने कहा कि जहाँ तक राज्यसभा का सवाल है तो यह एक संवैधानिक संस्था है और वे इसका सम्मान करते हैं। यदि उनकी बातों को अन्यथा अर्थ लगाया गया है तो वे उसके लिए क्षमा प्रार्थी हैं।पूर्व मुख्यमंत्री एवं कांग्रेस महासचिव दिग्विजयसिंह भी मुंबई हमलों के दौरान शहीद हुए, महाराष्ट्र एटीएस प्रमुख हेमंत करकरे के सबंध में दिए गए इस बयान को लेकर विवादों में आ गए कि करकरे ने 26 नवंबर को आर्थिक राजधानी पर हुए हमले के कुछ समय पहले उनसे हिन्दू आतंकवाद से खतरे की बात कही थी।इस मसले पर चौतरफा आलोचना का सामना कर रहे सिंह का कहना था कि वे अपने बयान पर कायम हैं और इसके लिये उनके पास सबूत भी मौजूद हैं लेकिन आखिर तक वे इस बारे में कोई सबूत पेश नहीं कर पाए।मध्यप्रदेश विधानसभा में शीतकालीन सत्र के दौरान डंपर मामले की जाँच सीबीआई से कराए जाने को लेकर कांग्रेस ने सदन की कार्यवाही नहीं चलने दी। अंतत: सदन की कार्यवाही अपने निर्धारित समय से एक सप्ताह पूर्व ही स्थगित हो गई।इससे पहले विपक्ष ने चौहान सरकार द्वारा प्रदेश के विकास को लेकर बुलाए गए विशेष सत्र का भी बहिष्कार किया था। मध्यप्रदेश भाजपा के अध्यक्ष पद पर प्रभात झा का पदासीन होना भी इस साल की महत्वपूर्ण घटनाओं में शामिल रहा।प्रभात झा को नरेद्र सिंह तौमर का कार्यकाल समाप्त होने के बाद प्रदेश अध्यक्ष चुना गया था। मूल रुप से बिहार के रहने वाले झा ग्वालियर में रहते हैं और वहाँ उन्होंने एक समाचार पत्र के पत्रकार के रुप में भी काम किया। उन्हें न केवल प्रदेश भाजपा का प्रवक्ता बनाया गया बल्कि इसी साल हुए राज्यसभा चुनाव में उन्हें उच्च सदन के लिए भी चुना गया।मध्यप्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सुरेश पचौरी का कार्यकाल इसी साल सामप्त हो गया। इसी साल जुलाई तक नए अध्यक्ष की घोषणा हो जानी थी लेकिन आपसी खींचतान के चलते आज तक इसकी घोषणा नहीं हो पाई है। अब कहा जा रहा है कि नए प्रदेश अध्यक्ष की घोषणा नए साल में ही हो सकेगी।कांग्रेस में कमोबेश यही स्थिति विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष की है। नेता प्रतिपक्ष रहीं जमुना देवी के निधन के बाद रिक्त पड़े इस पद के उम्मीदवार की घोषणा आज तक नहीं की जा सकी है।पहले कहा गया था कि नेता प्रतिपक्ष के नाम की घोषणा 22 नवंबर से शुरु होने वाले विधानसभा के शीतकालीन सत्र के पहले कर दी जाएगी। लेकिन शीतकालीन सत्र भी गुजर गया और उप नेता चौधरी राकेश सिंह ने ही नेता प्रतिपक्ष का दायित्व संभाला। लगता है कि प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष के साथ ही नेता प्रतिपक्ष के नाम की घोषणा की जाएगी। (भाषा)