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Written By WD

पर्यटन 2010 : उबरने के आसार

पर्यटन 2010 : उबरने के आसार -
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आतंकवादी हमलों के बाद भारत के पर्यटन उद्योग में आई जबरदस्‍त गि‍रावट के बाद इस साल पर्यटन व्‍यवसाय में उछाल आने के संकेत मि‍ले हैं। इस साल भारत में पर्यटकों की आमद में लगभग 10 लाख का इजाफा हुआ है। आने वाले वर्षों में भारत को वि‍श्व के सबसे समृद्ध संभावि‍त पर्यटन बाजार के रूप में देखा जा रहा है।

हाल ही में भारत सरकार द्वारा रूरल टूरि‍ज्‍म और ईको टूरि‍ज्‍म की नई अवधारणा को भी शुरू कि‍या है जि‍सके अच्‍छे परि‍णाम देखने को मि‍ले ऐसा माना जा रहा है कि‍ आने वाले कुछ वर्षों में भारतीय पर्यटन उद्योग नई ऊँचाइयाँ मि‍लेंगी और वैश्वि‍क पर्यटन में भारत का हि‍स्‍सा 1.5 प्रति‍शत तक बढ़ेगा। भारत का पर्यटन उद्योग का बहुत बड़ा हि‍स्‍सा ताजमहल, आंध्र प्रदेश, तमि‍लनाडू, केरल और राजस्‍थान के पर्यटन से आता है।

कॉमनवेल्‍थ गेम्‍स
इस साल हुए कॉमनवेल्‍थ गेम्‍स ने भी भारत में पर्यटन उद्योग को काफी लाभ पहुँचाया है। कॉमन वेल्‍थ के कारण करीब 30 लाख 50 हजार पर्यटक भारत आए। इससे भारतीय पर्यटन को होने वाली आय में बढ़ोतरी हुई है। इससे अन्‍य संलग्‍न उद्योगों को भी फायदा होता है जैसे वि‍मानन उद्योग, मेडि‍कल टूरि‍ज्‍म इंडस्‍ट्री और होटल व्‍यवसाय। दि‍ल्‍ली के साथ बाहर से आए दर्शकों ने भारत के अन्‍य पर्यटन स्‍थलों का भी लुफ्त उठाया

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खजुराहो बना आकर्षण
खजुराहो में पर्यटकों की आवक पिछले 10 वर्षों में दो गुनी पहुँच गई है। एयरवेज और रेलवे जैसी कनेक्टिविटी को इसका कारण बताया जा रहा है। वर्ष 2001 से 24 नवंबर 10 तक विदेशी पर्यटकों की संख्या दो गुनी से अधिक हो गई है। 2001 में जहाँ विदेशी पर्यटकों की संख्या 40 हजार 953 थी। वहीं इस वर्ष इनकी संख्या 80 हजार 39 तक पहुँच गई। अभी साल खत्म होने में एक महीना और 5 दिन बचे हैं।

यहाँ पर प्रतिदिन 400 विदेशी पर्यटक आ रहे हैं। यह खजुराहो में पर्यटकों का पीक सीजन है। उम्मीद की जा रही है कि इस बार 31 दिसंबर तक खजुराहो में विदेशी पर्यटकों की संख्या एक लाख तक पहुँच सकती है। ऐसे में खजुराहो का पर्यटन उद्योग निश्चित रूप से ऊँचाई तक पहुँचेगा। इसी तरह से देसी पर्यटकों की संख्या एक लाख 97 हजार 728 हो चुकी है।

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पुरातत्व विभाग के अनुसार देसी-विदेशी पर्यटकों से अभी तक एक करोड़ 91 लाख 57 हजार रुपए का राजस्व मिला है।

तीर्थ और ताज पर जिंदा उप्र का पर्यटन
उत्तर प्रदेश से उत्तराखंड के रूप में देवभूमि हिमालय अलग क्या हुआ कि सूबे के पर्यटन के दिन ही लद गए। फिलहाल प्रदेश का पर्यटन ढाँचा बेहद लचर स्थिति में है। बौद्ध तीर्थयात्रियों को न गिने तो सूबे में इतने पर्यटक भी नहीं आ रहे हैं जो पर्यटन महकमे को पर्यटन स्थलों के रखरखाव पर खर्च होने वाला जरूरी राजस्व भी प्रदान कर सकें। उत्तराखंड के अलग होने के समय पर्यटन के लिहाज से किए गए भारी-भरकम दावे पूरी तरह बेमानी साबित हो रहे हैं।

अगर ताजमहल को निकाल दिया जाए तो उत्तर प्रदेश में आने वाले देशी-विदेशी पर्यटकों की तादात उंगलियों पर ही गिनने लायक बची है। सरकारी तैयारियों का आलम यह है कि राष्ट्रमंडल खेलों के विदेशी दर्शकों को भी आगरा से आगे प्रदेश के दूसरे पर्यटक स्थलों तक खींचने की कोशिशें नहीं की जा रही हैं।

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उत्तर प्रदेश के अन्य पर्यटन स्थलों पर राष्ट्रमंडल खेलों के मद्देनजर सक्रियता का घोर अभाव है। आगरा में भी जो थोड़ी-बहुत गतिविधियाँ दिखाई दे रही हैं वह भी मेहमानों का गर्मजोशी से स्वागत करने लायक नहीं हैं।

दिलचस्प तो यह है कि देश का सबसे अधिक विवादित स्थल अयोध्या देशी सैलानियों के लिए सबसे मुफीद स्थान बना हुआ है। सरकार के पास उपलब्ध वर्ष 2008 के आँकड़े बयान करते हैं कि उस वर्ष 59,29,188 पर्यटक अयोध्या पधारे थे। इनमें विदेशी सैलानियों की संख्या महज 6262 थी। इससे भी दिलचस्प यह है कि अयोध्या दर्शन के लिए आए सैलानियों ने बगल के शहर फैजाबाद जाना भी गवारा नहीं समझा।

वहाँ सिर्फ 71,842 सैलानी गए। इनमें 1,228 विदेशी थे। इलाहाबाद में नदियों के संगम पर दो करोड़ 37 लाख 88 हजार सैलानियों ने जरूर चहलकदमी की। कृष्णजन्म भूमि और रासलीला से जुड़े मथुरा शहर में भी 64 लाख से अधिक सैलानी पधारे थे। आँकड़े बताते हैं कि मेरठ में दस लाख और भारत-नेपाल सीमा पर स्थित सोनौली में 67,103 पर्यटक पहुँचे जबकि लखनऊ में 43 लाख 78 हजार 803 देशी-विदेशी सैलानी पधारे।

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गोरखपुर के पर्यटन स्थलों को 19 लाख 15 हजार 663 देशी-विदेशी सैलानी मिले। झाँसी तक 13,26,660 देशी-विदेशी सैलानी आए जबकि आगरा में 38 लाख से अधिक सैलानियों ने ताज का दीदार किया। बरेली जैसे शहर में 9 लाख 12 हजार और बनारस में तकरीबन 39 लाख लोग घूमने आए।

सूबे में करोड़ों की संख्या में आने वाले इन सैलानियों की भीड़ पर न जाएँ क्योंकि सरकारी आँकड़े बयान करते हैं कि अयोध्या, मथुरा और काशी के तीर्थ स्थल ही देशी सैलानियों के आकर्षण का कारण बनते हैं।

अच्छा राजस्व प्रदान करने वाले विदेशी सैलानियों के लिए आगरा के ताज का महत्व ही सबसे ज्यादा है। अन्यथा विदेशी सैलानियों के लिहाज से आँकड़े बेहद निराश करने वाले हैं। मसलन, इसी वर्ष 53 लाख 66 हजार 966 विदेशी पर्यटक भारत आए लेकिन इनमें से सिर्फ 29.9 फीसदी पर्यटकों ने उत्तर प्रदेश की ओर रुख किया। जर्मन पर्यटकों की संख्या में 30 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई है।

आस्ट्रेलियाई पर्यटकों के आगमन में 23.71 फीसदी का इजाफा हुआ है। जापानी पर्यटक तकरीबन 22 फीसदी बढ़े। सूबे की सड़कों और सड़क परिवहन की स्थिति बयान करने के लिए यह जानना काफी होगा कि सिर्फ 11 फीसदी विदेशी सैलानी ही सड़क परिवहन से यात्रा करना पसंद कर रहे हैं।

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इसके विपरीत करीब 89 फीसदी पर्यटकों की पसंद हवाई यात्रा है। देश में पर्यटन के लिए आने वाले प्रवेश द्वारों में दिल्ली को पहला तथा मुंबई को दूसरा स्थान हासिल है।

उत्तर प्रदेश में वर्ष 2001 के लिए पर्यटकों की संभावित आगमन की संख्या 13 करोड़ 90 लाख रखी गई थी जबकि 2010 के लिए यह लक्ष्य 15 करोड़ 30 लाख तक ही पहुँच पाया। वैसे दोनों ही बार लक्ष्य हासिल नहीं हो सका। प्रमुख बौद्ध स्थलों के आँकड़े बताते हैं कि 2007 से 2010 के बीच कुशीनगर में 26,349 (वर्ष 2007), 41638 (वर्ष 2008), 45,538 (वर्ष 2009) एवं 31,171 (वर्ष 2010) पर्यटक आए।

छह लाख विदेशी पर्यटक
ताजा आँकड़ों के मुताबि‍क नवंबर में भारत आने वाले विदेशी पर्यटकों की संख्या में बढ़त दर्ज की गई और इस दौरान छह लाख से अधिक विदेशी पर्यटकों ने भारत की सैर की। पर्यटन मंत्रालय द्वारा जारी आँकड़ों के मुताबिक, नवंबर के दौरान 6.06 लाख विदेशी पर्यटक भारत आए, जबकि बीते साल नवंबर में 5.28 लाख विदेशी पर्यटक भारत आए थे। इस साल अक्टूबर में 4.87 लाख विदेशी पर्यटकों ने भारत की सैर की।

जनवरी-नवंबर, 2010 में विदेश से कुल 49.29 लाख पर्यटक भारत आए और विदेशी पर्यटकों की संख्या पिछले साल की इसी अवधि के मुकाबले 10.4 प्रतिशत अधिक है। पिछले साल जनवरी-नवंबर में 44.63 लाख विदेशी पर्यटक भारत आए थे।

नवंबर में पर्यटन क्षेत्र को 6516 करोड़ रुपए विदेशी मुद्रा आय हुई, जबकि नवंबर, 2009 में विदेशी पर्यटकों से देश को 5523 करोड़ रुपए की विदेशी मुद्रा आय हुई थी।