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तिल संकटा चतुर्थी : जब बुढ़िया की चतुराई से श्री गणेश भी प्रसन्न हुए, पढ़ें लोककथा

जब बुढ़िया की चतुराई से श्री गणेश भी प्रसन्न हुए, पढ़ें लोककथा। Story Ganesh Aur andhi Budhiya - Ganesh Aur andhi Budhiya Ki Kahani
एक बुढ़िया थी। वह बहुत ही गरीब और दृष्टिहीन थीं। उसके एक बेटा और बहू थे। वह बुढ़िया सदैव गणेश जी की पूजा किया करती थी। एक दिन गणेश जी प्रकट होकर उस बुढ़िया से बोले-
 
'बुढ़िया मां! तू जो चाहे सो मांग ले।'
 
बुढ़िया बोली- 'मुझसे तो मांगना नहीं आता। कैसे और क्या मांगू?' 
 
तब गणेशजी बोले - 'अपने बहू-बेटे से पूछकर मांग ले।' 
 
तब बुढ़िया ने अपने बेटे से कहा- 'गणेशजी कहते हैं 'तू कुछ मांग ले' बता मैं क्या मांगू?' 
 
पुत्र ने कहा- 'मां! तू धन मांग ले।' 
 
बहू से पूछा तो बहू ने कहा- 'नाती मांग ले।' 
 
तब बुढ़िया ने सोचा कि ये तो अपने-अपने मतलब की बात कह रहे हैं। अत: उस बुढ़िया ने पड़ोसिनों से पूछा, तो उन्होंने कहा- 'बुढ़िया! तू तो थोड़े दिन जीएगी, क्यों तू धन मांगे और क्यों नाती मांगे। तू तो अपनी आंखों की रोशनी मांग ले, जिससे तेरी जिंदगी आराम से कट जाए।'
 
इस पर बुढ़िया बोली- 'यदि आप प्रसन्न हैं, तो मुझे नौ करोड़ की माया दें, निरोगी काया दें, अमर सुहाग दें, आंखों की रोशनी दें, नाती दें, पोता, दें और सब परिवार को सुख दें और अंत में मोक्ष दें।' 
 
यह सुनकर तब गणेशजी बोले- 'बुढ़िया मां! तुमने तो हमें ठग लिया। फिर भी जो तूने मांगा है वचन के अनुसार सब तुझे मिलेगा।' और यह कहकर गणेशजी अंतर्धान हो गए। उधर बुढ़िया मां ने जो कुछ मांगा वह सबकुछ मिल गया। हे गणेशजी महाराज! जैसे तुमने उस बुढ़िया मां को सबकुछ दिया, वैसे ही सबको देना।
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