रविवार, 28 अप्रैल 2024
  • Webdunia Deals
  1. धर्म-संसार
  2. धर्म-दर्शन
  3. धार्मिक स्थल
  4. Shri Parvat Shakti Peeth Ladakh

51 Shaktipeeth : श्रीसुंदरी श्री पर्वत लद्दाख शक्तिपीठ-37

51 Shaktipeeth : श्रीसुंदरी श्री पर्वत लद्दाख शक्तिपीठ-37 - Shri Parvat Shakti Peeth Ladakh
सांकेतिक चित्र
देवी भागवत पुराण में 108, कालिकापुराण में 26, शिवचरित्र में 51, दुर्गा शप्तसती और तंत्रचूड़ामणि में शक्ति पीठों की संख्या 52 बताई गई है। साधारत: 51 शक्ति पीठ माने जाते हैं। तंत्रचूड़ामणि में लगभग 52 शक्ति पीठों के बारे में बताया गया है। प्रस्तुत है माता सती के शक्तिपीठों में इस बार श्रीसुंदरी श्री पर्वत लद्दाख शक्तिपीठ के बारे में जानकारी।
 
 
कैसे बने ये शक्तिपीठ : जब महादेव शिवजी की पत्नी सती अपने पिता राजा दक्ष के यज्ञ में अपने पति का अपमान सहन नहीं कर पाई तो उसी यज्ञ में कूदकर भस्म हो गई। शिवजी जो जब यह पता चला तो उन्होंने अपने गण वीरभद्र को भेजकर यज्ञ स्थल को उजाड़ दिया और राजा दक्ष का सिर काट दिया। बाद में शिवजी अपनी पत्नी सती की जली हुई लाश लेकर विलाप करते हुए सभी ओर घूमते रहे। जहां-जहां माता के अंग और आभूषण गिरे वहां-वहां शक्तिपीठ निर्मित हो गए। हालांकि पौराणिक आख्यायिका के अनुसार देवी देह के अंगों से इनकी उत्पत्ति हुई, जो भगवान विष्णु के चक्र से विच्छिन्न होकर 108 स्थलों पर गिरे थे, जिनमें में 51 का खास महत्व है।
 
श्री पर्वत शक्तिपीठ लद्दाख : भारतीय राज्य लद्दाख के श्रीपर्वत पर माता के दाएं पैर की पायल गिरी थी। कुछ विद्वानों का कहना है कि यहां दक्षिण तल्प यानी कनपटी गिरा था। इसकी शक्ति है श्रीसुंदरी और शिव को सुंदरानंद कहते हैं। नजदीकी रेलवे स्टेशन जम्मू तवी है जो लद्दाख से 700 किमी दूर है। निकटतम हवाई अड्डा लेह में है।
 
दूसरी मान्यता अनुसार यह शक्तिपीठ आंध्रप्रदेश के कुर्नूल जिले के श्रीशैलम स्थान पर दक्षिण गुल्फ अर्थात दाएं पैर की एड़ी गिरी थी। तीसरी मान्या के अनुसार कुछ विद्वान इसे असम के सिलहट से 4 कि.मी. दक्षिण-पश्चिम (नैऋत्यकोण) में जौनपुर में मानते हैं।
ये भी पढ़ें
Dussehra 2020 : हर संकट से मुक्ति देंगे नारियल के 12 चमत्कारिक उपाय