गुरुवार, 21 नवंबर 2024
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पुरी के जगन्नाथ धाम के 13 आश्चर्यजनक चर्चित तथ्य, जानिए

पुरी के जगन्नाथ धाम के 13 आश्चर्यजनक चर्चित तथ्य, जानिए। Jagannath Temple  ke 13 rahsya - Puri Jagannath Temple
भक्तों की आस्था केंद्र पुरी का जगन्नाथ मंदिर विश्वभर में प्रसिद्ध है। यह हिन्दुस्तान ही नहीं, बल्कि विदेशी श्रद्धालुओं के भी आकर्षण का केंद्र है। 
 
मं‍दिर का आर्किटेक्ट इतना भव्य है कि दूर-दूर के वास्तु विशेषज्ञ इस पर रिसर्च करने आते हैं। यहां पाठकों के लिए प्रस्तुत हैं 13 आश्चर्यजनक चर्चित तथ्य- 
 
जानिए जगन्नाथ पुरी मंदिर की 13 आश्चर्यजनक बातें
 
1. पुरी केे जगन्नाथ मंदिर की ऊंचाई 214 फुट है।
 
2. पुरी में किसी भी स्थान से आप मंदिर के शीर्ष पर लगे सुदर्शन चक्र को देखेंगे तो वह आपको सदैव अपने सामने ही लगा दिखेगा।
 
3. मंदिर के ऊपर स्थापित ध्वज सदैव हवा के विपरीत दिशा में लहराता है।
 
4. सामान्य दिनों के समय हवा समुद्र से जमीन की तरफ आती है और शाम के दौरान इसके विपरीत, लेकिन पुरी में इसका उल्टा होता है।
 
5. मुख्य गुंबद की छाया दिन के किसी भी समय अदृश्य ही रहती है।
 
6. मंदिर के अंदर पकाने के लिए भोजन की मात्रा पूरे वर्ष के लिए रहती है। प्रसाद की एक भी मात्रा कभी भी व्यर्थ नहीं जाती, लाखों लोगों तक को खिला सकते हैं।
 
7. मंदिर की रसोई में प्रसाद पकाने के लिए 7 बर्तन एक-दूसरे पर रखे जाते हैं और सब कुछ लकड़ी पर ही पकाया जाता है। इस प्रक्रिया में शीर्ष बर्तन में सामग्री पहले पकती है फिर क्रमश: नीचे की तरफ एक के बाद एक पकती जाती है।
 
8. मंदिर के सिंहद्वार में पहला कदम प्रवेश करने पर ही (मंदिर के अंदर से) आप सागर द्वारा निर्मित किसी भी ध्वनि को नहीं सुन सकते। आप (मंदिर के बाहर से) एक ही कदम को पार करें, तब आप इसे सुन सकते हैं। इसे शाम को स्पष्ट रूप से अनुभव किया जा सकता है।
 
9. मंदिर का रसोईघर दुनिया का सबसे बड़ा रसोईघर है।
 
10. मंदिर का क्षेत्रफल 4 लाख वर्गफुट में है।
 
11. प्रतिदिन सायंकाल मंदिर के ऊपर स्थापित ध्वज को मानव द्वारा उल्टा चढ़कर बदला जाता है।
 
12. पक्षी या विमानों को मंदिर के ऊपर उड़ते हुए नहीं पाएंगे।
 
13. विशाल रसोईघर में भगवान जगन्नाथ को चढ़ाए जाने वाले महाप्रसाद का निर्माण करने हेतु 500 रसोइए एवं उनके 300 सहायक-सहयोगी एकसाथ काम करते हैं। सारा खाना मिट्टी के बर्तनों में पकाया जाता है। हमारे पूर्वज कितने बड़े इंजीनियर रहे होंगे, यह इस एक मंदिर के उदाहरण से समझा जा सकता है।