• Webdunia Deals
  1. धर्म-संसार
  2. धर्म-दर्शन
  3. धार्मिक स्थल
  4. Ganpati Temple Khajrana
Written By

गणपति बप्पा मोरिया : क्या है इंदौर के सुप्रसिद्ध खजराना गणेश का इतिहास

गणपति बप्पा मोरिया : क्या है इंदौर के सुप्रसिद्ध खजराना गणेश का इतिहास - Ganpati Temple Khajrana
मध्यप्रदेश के उज्जैन में चिंतामण गणपति की तरह इंदौर का खजराना गणेश मंदिर भी काफी प्रसिद्ध है। यहां पर पूजा, वेदपाठ और हवन निरंतर जारी रहता है। बुधवार और चतुर्थी को तो श्रद्धालुओं की लंबी कतार सुबह से देर रात तक देखी जा सकती है। नया वाहन, दुकान या मकान की खरीदी-बिक्री का सौदा हो, घर में विवाह, जन्मदिन कोई भी शुभ कार्य हो तो भक्त सबसे पहले यहां पर आते हैं और यहां का सिंदूर तिलक लगाते हैं। आओ जानते हैं इ सका इहितास।
 
 
1. यह इलाका पहले खजराना गांव था। मान्यता है कि यहां पर किसी जमाने में किसी के हाथ बड़ा खजाना लगा था जिसके चलते ही इसे खजराना कहा जाने लगा। खजराना का यह मंदिर कितना प्राचीन है, पता करना मुश्किल है, लेकिन मंदिर परिसर के इर्दगिर्द मिले अवशेष इसे परमारकालीन बताते हैं।
 
2. वक्रतुंड श्रीगणेश की 3 फुट प्रतिमा चांदी का मुकुट धरे रिद्धी-सिद्धी के साथ विराजमान हैं जिनका नित्य पूजन विधि-विधान से होता है। कहते हैं कि गणेशजी की यह मूर्ति भी मंदिर के सामने बावड़ी से निकाली गई थी। 
 
3. इसके बावड़ी में होने का संकेत मंदिर के पुजारी भट्टजी के पूर्वजों को स्वप्न के माध्यम से मिला। जिसे आपने श्रद्धापूर्वक वर्तमान स्थान पर विराजित किया तब मंदिर काफी छोटा था। 
 
4. बाद में 1735 में मंदिर का पहली बार जीर्णोद्धार देवी अहिल्याबाई ने कराया। इसके बाद 1971 से लगातार इसकी सज्जा का कार्य जारी है।
 
5. यहां तिल चतुर्थी पर मेला भी लगता है। मंदिर में सिंदूर का तिलक और शगुन का नाड़ा (रक्षा सूत्र) बंधवाना इस देव स्थान की खासियत है, जिसके बिना दर्शन अधूरा है। मंदिर के पीछे मनोकामना पूर्ति के लिए गाय के गोबर से उल्टा स्वस्तिक बनाने की प्रथा है। मनोकामना पूर्ण होने पर उस स्वस्तिक को कुमकुम से सीधा कर पूजा पूर्ण मानी जाती है। आने वाले भक्त सभी उम्र के होते हैं। युवा पीढ़ी का प्रतिशत अधिक रहता है। विदेशों में रहने वाले भी अपने रिश्तेदारों के जरिए प्रसाद चढ़वा कर अपनी मन्नते पूरी करते हैं।
ये भी पढ़ें
महालक्ष्मी के 108 नाम, देंगे यश, धन, खुशी और सम्मान