गुरु रामदास ने तालाब के मध्य एक मंदिर का निर्माण कराया जो आज स्वर्ण मंदिर के नाम से प्रसिद्ध है। इस शहर में अप्रैल माह में बैसाखी का पर्व धूमधाम से मनाया जाता है। इसी दिन गुरु गोविंदसिंह ने सिखों को योद्धा कौम में परिवर्तित करते हुए।