सुरों के राजा बटुक भैरव
घुँघरू वाली रात को होती है विशेष आराधना
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अरविन्द शुक्ला इस बार की धर्मयात्रा में आपके लिए लेकर आया है सुर और सुरों के महाराज बटुक भैरव का मंदिर। लखनऊ शहर के व्यस्ततम क्षेत्र केसरबाग में बटुक भैरव का सैकड़ों वर्ष पुराना मंदिर है। माना जाता है कि बटुक भैरव सुरों के राजा हैं, इसलिए यहाँ माँगी जाने वाली मन्नत भी कला, संगीत और साधना से जुड़ी होती है। मान्यता है कि यहीं लखनऊ कथक घराने के धुरंधरों ने अपने पैरों में घुँघरू बाँध कथक शिक्षा का ककहरा सीखा। यह साधना का केन्द्र है। भादौ के आखिरी रविवार को घुँघरू वाली रात कहा जाता है, क्योंकि इसी दिन बटुक भैरव से आशीर्वाद लेकर साधना प्रारम्भ की जाती है। कथक के लखनऊ घराने के उस्ताद के हाथों शागिर्द के पैरों में बाँधे गए घुँघरुओं की लयबद्ध खनक बीच में कहीं गुम हो गई थी, लेकिन इस साल लगभग 33 सालों बाद यह खनक और संगीत की मधुर तान वहाँ फिर सुनाई दी। ...और इसी खुशनुमा माहौल को वेबदुनिया आपके सामने लाया है। आप हमारे खास वीडियो में इस खूबसूरत छटा को निहार भी सकते हैं। मंदिर में विराजमान बटुक भैरव महाराज को सोमरस प्रिय है, इसलिए अनेक भक्तजन एक से बढ़कर एक ब्रांड की अँग्रेजी शराब चढ़ाकर भैरव बाबा को प्रसन्न करते हैं। यहाँ भादौ के आखिरी रविवार को मेले की परम्परा है। जीर्णोद्धार हो रहे मंदिर में इस बार संगमरमरी आभा दिखी। दूसरे मेलों के मुकाबले यहाँ के मेले का माहौल बड़ा अलग होता है। हर तरह की मदिरा भैरवजी पर जमकर चढ़ाई जाती है और यही मिलीजुली मदिरा प्रसाद रूप में भी बँटती है।
नवाबी शहर के इतिहासकार योगेश प्रवीन कहते हैं कि बटुक भैरव मंदिर का इतिहास 200 वर्ष पुराना है। यहाँ भैरवजी अपने बाल रूप में विराजमान हैं। बटुक भैरव को लक्ष्मणपुर का रच्छपाल कहा जाता है। दोष, दु:ख, दुष्टों के दमन के लिए बटुक भैरव की उपासना की जाती है। उनका कहना है कि बटुक भैरव की यह मूर्ति 1000-1100 वर्ष पुरानी है। गोमती नदी तब मंदिर के करीब से बहती थी। यहाँ पास ही श्मशान भी था। इस मंदिर का जीर्णोद्धार बलरामपुर इस्टेट के महाराजा ने कराया था। जनपद इलाहाबाद की हण्डिया तहसील से एक मिश्रा परिवार यहाँ आया और उसने कथक की बेल रोपी। कथक घराने में कालका-बिंदादीन की ड्योढ़ी के बस ठीक पीछे है यह मंदिर। यहाँ भैरव प्रसाद, कालका बिंदादीन परिवार के लोगों के घुँघरू बाँधे गए। राममोहन और कृष्णमोहन के भी घुँघरू बाँधे गए।