महावीर निर्वाण का विशेष अर्घ्य
दीपावली : महावीर स्वामी का निर्वाण दिवस
प्रार्थना :
महावीर जिन की महिमा अगम है, कोरन पावै पार।
मैं अल्पमति नादान हूं मोकूं भवोदधि पार उतार॥
भगवान महावीर ने दीपावली के शुभ दिन ही अर्थात कार्तिक कृष्ण पक्ष अमावस्या को स्वाति नक्षत्र उदय होने पर अपने अद्यातीय कर्मों को समूल नष्ट करके महानिर्वाण को प्राप्त किया। अतः प्रत्येक जिन बंधु का आवश्यक कर्तव्य है कि इस शुभ दिन अत्यंत उत्साह एवं खुशी से लड्डू का नैवेद्य अर्पित करें तथा अपने घर व दुकान को दीपों के प्रकाश से जगमगाएं।भगवान महावीर के आशीर्वचनों से ही सम्यगदर्शन की पुष्टि हो पाती है एवं अंतराय कर्म की प्रबलता कम हो जाती है। धन-लक्ष्मी की अपेक्षा ज्ञान-लक्ष्मी एवं मोक्ष-लक्ष्मी की प्राप्ति का साधन करना अधिक श्रेयस्कर है। किंतु अंतराय कर्मों की प्रबलता होने पर धन-लक्ष्मी ही श्रेष्ठ लगती है।
धन-लक्ष्मी की प्राप्ति हेतु भी दीपावली की रात्रि का अतिविशिष्ट महत्व है। दीपावली की निशा में अखंड दीप जलाकर निम्न मंत्रों अथवा स्तोत्र का जाप करना लक्ष्मी प्रदायक माना जाता है -णमोकार मंत्र का अधिक से अधिक जाप, भक्तामर स्तोत्र, पद्मावती मंत्र, चक्रेश्वरी मंत्र, नाकोड़ा भैरव उपासना, पार्श्वनाथ सहस्रनाम, पंचपरमेष्ठी पूजन, निर्वाण क्षेत्र पूजा, शांति पाठ, बाहुबलि पूजन, सम्यगदर्शन पूजा, नेमीनाथ जिन पूजा अथवा नंदीश्वर दीप पूजा, जिनसहस्रनाम इत्यादि।जिन-जिन जीवों के जैसे अंतराय कर्म हैं तद्नुसार अपने आचार्य से आज्ञा लेकर पूजन करना चाहिए।निर्वाण विशेष अर्घ्य