पेड़ पर चढ़ने से क्या बुरी आत्मा छोड़ देती है पीछा? या कीचड़ में नहाने से हो सकता है कोई इनसान शुद्ध? इन्हीं सवालों के जवाब देने के लिए हम आपको ले चलते हैं उस पेड़ के पास, जो लोगों को प्रेत बाधाओं से मुक्ति दिलाता है।
मध्यप्रदेश में उज्जैन संभाग के बड़नगर के करीब स्थित आलोट गाँव में एक ऐसा पेड़ है, जो प्रेत बाधाओं से पीड़ित लोगों को मुक्त करता है। गाँव में ही किसी बाबा की दरगाह के पास यह अनोखा पेड़ है। आपको यकीन न होगा परंतु यहाँ केवल पीडि़त महिलाओं और लड़कियों को ही प्रेतबाधा से मुक्ति दिलाई जाती है। यहाँ इन्हें लाने के बाद वे खुद-ब-खुद लोट लगाती हुई बाबा की दरगाह तक आती हैं। फिर किसी खंभे या दीवार से अपना सिर टकरा-टकराकर मुक्ति की गुहार लगाती हैं।
कहा जाता है कि ये पीड़ित महिलाएँ फिर बाबा के ही आदेश पर कीचड़ के गंदे पानी में नहाती हैं। फिर पेड़ की ऊँचाई पर चढ़कर कुछ अजीब तरीके से अपनी व्यथा का गान करती हैं। प्रेत बाधा से मुक्ति दिलाने के लिए यहाँ के काजी उसी पेड़ पर पीड़ित लोगों के बालों को नींबू के साथ पकड़कर कील ठोंकते हैं और फिर बालों को काटकर उन्हें इन यातनाओं से मुक्त करते हैं।
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बाबा की दरगाह पर हाजिरी भरने आई संतोष ने बताया कि जब कोई भी डॉक्टर उसकी समस्या का हल नहीं ढूँढ पाया तब बाबा ने ही उसकी गुहार सुनी और उसे बाहरी बाधाओं से मुक्ति दिलाई।
कहा जाता है कि इस पेड़ पर इतनी ऊँचाई तक चढ़ना मामूली बात नहीं है, परंतु बाबा के आदेश पर महिलाएँ सहजता से ऊपर चढ़ जाती हैं और खुद में प्रविष्ट बुरी आत्मा से मुक्ति पा लेती हैं। आलोट के पेड़ पर चढ़ने से भूत-प्रेत दूर भागते हैं। यह विश्वास मन में लिए दूर-दूर से पीड़ित लोग यहाँ आते हैं और यहाँ के रहवासियों के मुताबिक यह सिलसिला बरसों से चल रहा है।
इसके अलावा भी हर दिन बाबा की दरगाह पर श्रद्धालुओं का ताँता लगा रहता है। लोग यहाँ लाल धागा बाँधकर मन्नत माँगते हैं और मन्नत पूरी होने पर फिर बाबा की दरगाह में हाजिरी लगाते हैं।
बाबा के रहमो-करम से यहाँ आकर नापाक हवाओं से त्रस्त लोगों को छुटकारा मिलता है, ऐसा श्रद्धालुओं का विश्वास है, परंतु क्या पेड़ पर चढ़ने से भूत-प्रेत से निजात मिल सकती है?