शुक्रवार, 26 अप्रैल 2024
  • Webdunia Deals
  1. धर्म-संसार
  2. »
  3. ज्योतिष
  4. »
  5. तंत्र-मंत्र-यंत्र
  6. पुत्र की प्राप्ति के लिए रखें मंगलवार को व्रत
Written By WD

पुत्र की प्राप्ति के लिए रखें मंगलवार को व्रत

मंगलवार के उपवास से पाएं बेटा

Hanuman Mantra | पुत्र की प्राप्ति के लिए रखें मंगलवार को व्रत
ND

हर दंपत्ति की कामना होती है कि उनको सुयोग्य संतान हो। लेकिन कुछ ऐसे लोग आज भी इस दुनिया में है जो मात्र पुत्र को ही संतान के रूप में चाहते हैं। ऐसे लोगों के लिए प्रस्तुत है अचूक उपाय। मंगलवार का उपवास रखने से मनचाही संतान की प्राप्ति होती है। मुख्यत: पुत्र की चाह रखने वालों के लिए यह मंगलवार व्रत होता है। मंगलवार व्रत कथा और विधि की संपूर्ण जानकारी पढ़ें।

मंगलवार व्रत विधि
यह व्रत शुक्ल पक्ष के प्रथम मंगलवार से रखा जाता है। इस व्रत को आठ मंगलवार अवश्य करें। इस व्रत में गेहूं और गुड़ से बना भोजन ही करना चाहिए। एक ही बार भोजन करें। लाल फूल चढ़ाएं और लाल वस्त्र ही धारण करें। अंत में हनुमान जी की पूजा करें।

मंगलवार व्रत कथा
एक निसंतान ब्राह्मण दंपत्ति काफी दुःखी थे। ब्राह्मण एक दिन वन में पूजा करने गया। वह हनुमान जी से पुत्र की कामना करने लगा। घर पर उसकी स्त्री भी पुत्र प्राप्ति के लिए मंगलवार का व्रत करती थी। मंगलवार को व्रत के अंत में हनुमान जी को भोग लगाकर भोजन करती थी।

ND
एक बार व्रत के दिन ब्राह्मणी ना भोजन बना पाई, और ना भोग ही लगा सकी। तब उसने प्रण किया कि अगले मंगल को ही भोग लगाकर अन्न ग्रहण करेगी। भूखी-प्यासी छः दिन तक रहने से अगले मंगलवार को वह बेहोश हो गई।

हनुमान जी उसकी निष्ठा और लगन को देखकर प्रसन्न हो गए। उसे दर्शन देकर कहा कि वे उससे प्रसन्न हैं। उसे बालक देंगे, जो कि उसकी सेवा किया करेगा। हनुमान जी ने उस स्त्री को पुत्र रत्न दिया और अंतरध्यान हो गए।

ब्राह्मणी अति प्रसन्न हो गई। उसने उस बालक का नाम मंगल रखा। जब ब्राह्मण घर आया, तो बालक को देख पूछा कि वह कौन है? पत्नी ने सारी कथा अपने स्वामी को बताई। पत्नी की बातों को छल पूर्ण जान ब्राह्मण को अपनी पत्नी के चरित्र पर संदेह हुआ।

एक दिन मौका देख ब्राह्मण ने बालक को कुंए में गिरा दिया। घर पर पत्नी के पूछने पर ब्राह्मण घबराया। पीछे से मंगल मुस्कुराता हुआ आ गया। ब्राह्मण आश्चर्यचकित रह गया।

रात को हनुमानजी ने उसे सपने में सारी कथा बताई, तो ब्राह्मण प्रसन्न हुआ। फ़िर वह दम्पति मंगल का व्रत रखकर आनंद का जीवन व्यतीत करने लगे। तब से यह व्रत पुत्र प्राप्ति के लिए रखा जाता है।