गुरुवार, 23 जनवरी 2025
  • Webdunia Deals
  1. धर्म-संसार
  2. »
  3. ज्योतिष
  4. »
  5. आलेख
Written By WD

वास्तु शास्त्र से करें गृह निर्माण

गृह निर्माण में रखें वास्तु शास्त्र का ध्यान

वास्तु शास्त्र से करें गृह निर्माण -
- सुरेंद्र बिल्लौरे
FILE

प्रत्येक परिवार की पहली आवश्यकता होती है, अपना घर। मध्यम वर्ग इस सपने को संजोने के लिए जीवन भर संघर्ष करता है। जिस समय यह सपना सच होने जा रहा हो, तो हमें वह घर पूर्ण रूप से समृद्धि दें, इसका ध्यान रखना चाहिए। अत: वास्तु के अनुसार गृह निर्माण करवाना चाहिए।

किसी भी प्लॉट या भूमि पर गृह निर्माण करते समय यह ध्यान रखें कि भूमि (प्लॉट) के अग्नि कोण में पाक गृह (रसोई गृह), दक्षिण में शयन गृह, नैऋत्य कोण में अस्त्र-शस्त्रागार, पश्चिम में भोजन करने का गृह, वायव्य कोण में धन रखने का गृह, ईशान में देवालय एवं उत्तर में जल रखने का गृह रखें तथा उत्तर-पूर्व के मध्य बाथरूम होना चाहिए। इसी प्रकार

* दूध, दही, घी, सिरका, अचार का स्थान रसोई के बगल में होना चाहिए। श्रृंगार एवं औषधि सामग्री शयन गृह के बगल में होना चाहिए। विद्यार्थियों के पढ़ने का कमरा देवालय के बगल में होना चाहिए।

FILE
* घर के आस-पास बड़, पीपल, इमली, कैथ, नींबू, कांटे वाले एवं दूध वाले वृक्ष नहीं होना चाहिए। इस वृक्षों के घर के आस-पास होने से धन की हानि होती है।

* कुआं एवं जल का स्थान मुख्य द्वार से पूर्व ईशान, उत्तर अथवा पश्चिम में होने से धन प्राप्त होता है। सौभाग्य में बढ़ोतरी होती है।

* अग्निकोण में संतान हानि, दक्षिण में गृहिणी का नाश, नैऋत्य कोण में गृह मालिक का नाश एवं वायु कोण में भय, चिंता बनी रहती है।

* भवन में स्तंभ लगाने की आवश्यकता हो, तो स्तंभ सम संख्या में लगवाना चाहिए। इनकी संख्या यदि विषम हो, तो अशुभ फल देते है।

* पूर्ण रूप से उपरोक्त विधि को ध्यान में रखते हुए भवन निर्माण करने से घर में सुख-समृद्धि, यश, वैभव एवं शांति प्राप्त होती है।