करवाचौथ के 5 संकल्प, जिनसे मजबूत होगा रिश्ता और बढ़ेगा प्यार  
					
					
                                       
                  
				  				
								 
				  
                  				  -शैलजा सक्सेना
	करवा चौथ का व्रत उपवास तथा पूजा के साथ आपके आपसी रिश्ते को प्रगाढ़ बनाने और एक-दूजे के प्रति सम्मान जगाने का प्रतीक है। इस भावना के साथ कि 'मैं तुम्हारे साथ हूं, हर परिस्थिति में, हर घड़ी'। सात जन्मों के इस रिश्ते को और मजबूत करने के लिए पति-पत्नी दोनों को लेने चाहिए ये 5 संकल्प, ताकि ताउम्र बना रहे प्यार ... 
				  																	
									  
	 
	 
	1. जीवनसाथी की महत्ता - पुरुष व स्त्री सिक्के के दो पहलू समान हैं। उनका पारस्परिक संयोग सृजन और जीवन जैसे महत्वपूर्ण तत्वों को बनाए रखने में सक्षम है। हर शख्स का यह सुनहरा स्वप्न होता है कि वह अपने जीवनसाथी को सर्वगुण संपन्न देखना चाहता है, किंतु यह स्वप्न तभी साकार हो सकता है,जबकि दोनों ओर से संभावनाओं की अभिव्यक्ति धनात्मक रूप में हो। कोई भी व्यक्ति स्वयं में संपूर्ण नहीं होता। इस तथ्य से सभी वाकिफ हैं। अतः आवश्यक है कि अपने जीवनसाथी के आवश्यक गुणों को परखें व उन्हें उचित सम्मान दें।
				  
	 
	2. सुख-दुख में साथ - सुख-दुख में एक-दूसरे का सहभागी होना मानव का प्रथम महत्वपूर्ण कर्तव्य है। उचित समय व परिस्थिति अनुसार ही व्यक्ति की पहचान होती है। आपसी सहयोग आपसी संबंधों को प्रगाढ़ बनाने का सुगम कार्य करता है। अतः हर बिंदु पर आपसी समझौते द्वारा उचित निवारण करने का भरसक प्रयास करें।
				  						
						
																							
									  
	 
	3. राई का पहाड़ न बनने दें - हर व्यक्ति की विचारधारा, स्वभाव उसकी व्यक्तिगत विशेषता है। प्रयत्न करें कि आपसी नोक-झोंक को बात का बतंगड़ या राई का पहाड़ न बनने दें। यह क्रिया आग में घी का काम करती है।
				  																													
								 
 
 
  
														
																		 							
																		
									  
	 
	4. पति-पत्नी और वो - जब पति-पत्नी के आपसी संबंधों के बीच कोई अन्य तीसरा व्यक्ति हर बात पर अपनी राय देने लगता है तो रिश्तों में कड़वाहट आनी शुरू हो जाती है। ऐसी परिस्थिति निर्मित होने से बचने का उचित उपाय यह है कि पति-पत्नी दोनों ही यह महसूस करें कि वे सिर्फ एक-दूसरे के लिए हैं। प्रायवेसी की महत्ता को कायम रखें व आपसी विश्वास को सदैव तरजीह दें। लोगों से खूब घुलें-मिलें किंतु आपके निजी मसलों में बोलने का हक किसी को भी न दें। 
				  																	
									  
	 
	5. वादे पूरे करें -  यह जन्म-जन्मांतर का अटूट प्रेम बंधन तभी जीवंत रह सकता है जबकि आपने सच्चे वायदे पूरे करने की कसम खाई हो व उसे साकार रूप प्रदान किया हो। प्यार की यह नाजुक डोर विश्वास, आपसी प्रेम व सामंजस्य से जुड़ी होती है। ऐसे में अन्य किसी के सामाजिक-पारिवारिक दबाव में आकर जीवनसाथी से धोखा करना सरासर बेईमानी है, जिससे आपसी विश्वास को ठेस पहुंचती है।
				  																	
									  
	 
	इन सारे संकल्पों को आत्मसात कर लें। याद रखिए करवा चौथ का असली महत्व तभी सार्थक होगा, जब आप दोनों निश्चिंत होकर एक-दूसरे के सहयोग से अपनी दुनिया सजाएंगे।