लखनऊ। समाजवादी पार्टी मुखिया मुलायम सिंह यादव ने पार्टी महासचिव रामगोपाल यादव द्वारा रविवार को बुलाए गए पार्टी के राष्ट्रीय अधिवेशन को असंवैधानिक करार देते हुए इसमें शामिल होने वालों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की चेतावनी देते हुए महासचिव रामगोपाल यादव, उपाध्यक्ष किरणमय नंदा और महासचिव नरेश अग्रवाल को पार्टी से निकाल दिया।
उल्लेखनीय है कि रामगोपाल यादव द्वारा बुलाए गए अधिवेशन में अखिलेश ने पार्टी से शिवपाल यादव और अमरसिंह को पार्टी से निकाल दिया गया जबकि दूसरी ओर मुलायमसिंह यादव ने पार्टी के इस अधिवेशन के असंवैधानिक करार दिया और देर रात उन्होंने फैक्स करके चुनाव आयोग से इसे असंवैधानिक घोषित करने की अपील की। आज मुलायम सिंह शिववाल के साथ जाकर चुनाव आयोग से साइकिल चुनाव चिन्ह पर अपना दावा करेंगे, जबकि दूसरा गुट भी इसकी तैयारी में कर रहा है।
यही नहीं मुलायम सिंह यादव, शिवपाल यादव और अमर सिंह सोमवार को दिल्ली में चुनाव आयोग से मिलकर पार्टी के राष्ट्रीय अधिवेशन को अवैध घोषित करने और उसमें लिए गए फैसले के खिलाफ शिकायत करेंगे। इसके अलावा वे चुनाव चिन्ह पर अपने दावे की मांग कर सकते हैं। दोनों ही गुट अब समाजवादी पार्टी के चुनाव चिन्ह को अपने अपने अपने कब्जे में लेना चाहते हैं।
उल्लेखनीय है कि मुलायम ने 5 जनवरी को समाजवादी पार्टी का अधिवेशन उसी जनेश्वर पार्क में बुलाया है, जहां रविवार को अखिलेश यादव ने अधिवेशन किया था। सपा के राष्ट्रीय अधिवेशन के शुरू होने के थोड़ी ही देर बाद सपा मुखिया ने चिट्ठी जारी करके कहा कि रविवार को रामगोपाल यादव द्वारा तथाकथित अधिवेशन बुलाया गया है। यह पार्टी के संविधान और अनुशासन के विरुद्ध है। यह पार्टी को क्षति पहुंचाने के लिए बुलाया गया है।
उन्होंने कहा कि इस सम्मेलन में शिरकत को अनुशासनहीनता माना जाएगा और सम्मेलन में जो भी जाएगा, उसके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी। मालूम हो कि जनेश्वर मिश्र पार्क में सपा का राष्ट्रीय अधिवेशन आयोजित किया जा रहा है। इसमें मंच पर सपा के वे सभी वरिष्ठ नेता मौजूद हैं, जो कभी मुलायम के बगलगीर थे।
आने वाले दिनों ने यदि प्रतिद्वंद्वी खेमों ने सपा के चुनाव चिन्ह 'साइकिल' पर अपना-अपना दावा किया तो विधानसभा चुनाव से पहले उसपर रोक लगने की पूरी आशंका है।
मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के नेतृत्व वाले एक समूह ने जरूरत के मुताबिक उन्हें पहले ही राष्ट्रीय कार्यकारिणी, संसदीय बोर्ड और विभिन्न प्रादेशिक ईकाइयों के गठन का अधिकार दे दिया है और इनकी सूचना शीघ्रातीशीघ्र चुनाव आयोग को भी देनी है। अखिलेश खेमे के सूत्रों का कहना है कि यदि मुलायम सिंह यादव के नेतृत्व वाला समूह चुनाव आयोग के पास जाता है तो वे भी जाएंगे।
हालांकि, पर्यवेक्षकों का मानना है कि अखिलेश वाले धड़े को चुनाव चिन्ह पर दावा करने के लिए चुनाव आयोग के पास जाना होगा क्योंकि आयोग के रिकार्ड में मुलायम सिंह यादव और अन्य पदाधिकारियों का नाम होगा।
यदि चिन्ह पर अखिलेश दावा करते हैं, तो ऐसी स्थिति में आयोग को दूसरे पक्ष को नोटिस देना होगा और इसपर फैसला करने से पहले दोनों पक्षों को सुनना होगा।
विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसी स्थिति में यदि चुनाव आयोग किसी एक पक्ष को चिन्ह देने के फैसले पर नहीं पहुंच पाता है तो वह इसपर रोक लगा सकता है ताकि चुनावों के दौरान किसी पक्ष को अतिरिक्त लाभ ना हो। (भाषा/वेबदुनिया)