गुरुवार, 21 नवंबर 2024
  • Webdunia Deals
  1. खबर-संसार
  2. समाचार
  3. प्रादेशिक
  4. Ram Murder Sarovar Naimisharanya Parikrama
Written By अवनीश कुमार

यहां राम ने ब्रह्महत्या का पाप धोया था...

यहां राम ने ब्रह्महत्या का पाप धोया था... - Ram Murder Sarovar Naimisharanya Parikrama
हम आपको एक ऐसे सरोवर के बारे में बताने जा रहे हैं जिसमें स्नान करने के बाद आपके सारे पाप समाप्त हो जाते हैं और पुनः साफ-सुथरे मन से आप आगे का जीवन जीने के लिए अग्रसर हो सकते हैं। ऐसा हम नहीं कह रहे हैं, इस सरोवर से जुड़ी कथाएं व यहां के लोगों की आस्था इस बात का प्रतीक है कि इस सरोवर में नहाने से लोगों के पाप नष्ट हो जाते हैं।
 
इस सरोवर से जुड़ी कथाओं की पुष्टि करने के लिए जब हम उत्तरप्रदेश की राजधानी लखनऊ से लगभग 150 किलोमीटर की दूरी पर बने हत्याहरण तीर्थ सरोवर पहुंचे, जो हरदोई जनपद की संडीला तहसील में पवित्र नैमिषारण्य परिक्रमा क्षेत्र में स्थित है। जब हम इस सरोवर के साक्षात दर्शन करने पहुंचे तो इस सरोवर से जुड़ी लोगों की आस्थाओं को देखकर एक बार विश्वास हो चला कि हो ना हो इस सरोवर में स्नान करने के बाद कहीं न कहीं पापों से मुक्ति मिल जाती है क्योंकि सरोवर में स्नान करने वालों की अपार भीड़ थी। 
 
इस सरोवर से जुड़ी कथाओं को जानने का प्रयास किया तो कई बातें सामने निकलकर आईं। सरोवर के पास पीढ़ियों से फूलमालाओं का काम करने वाले 80 साल के जगन्नाथ से इस सरोवर से जुड़ी बातों को जानना चाहा तो जगन्नाथ ने बताया की पौराणिक बातों में कितनी सत्यता है, इसकी पुष्टि तो वे नहीं करते लेकिन जो वह बताने जा रहे हैं, इसके बारे में उन्होंने अपने पिताजी से सुना था।
 
उन्होंने कि कहा जब मैं अपने पिताजी के साथ इस सरोवर पर फूल बेचने के लिए आता था तो मैंने एक दिन अपने पिता से पूछा कि यहां पर इतने सारे लोग क्या करने आते हैं तो उन्होंने मुझे बताया कि हजारों वर्ष पूर्व जब भगवान राम ने रावण का वध कर दिया था तो उन्हें ब्रह्महत्या का दोष लग गया था। उस पाप को मिटाने के लिए भगवान राम भी इस सरोवर में स्नान करने आए थे।
 
इस सरोवर के निर्माण के बारे में शिव पुराण में वर्णन है कि माता पार्वती के साथ भगवान भोलेनाथ एकांत की खोज में निकले और नैमिषारण्य क्षेत्र में विहार करते हुए एक जंगल में जा पहुंचे। वहां पर सुरम्य जंगल मिलने पर तपस्या करने लगे। तपस्या करते हुए माता पार्वती को प्यास लगी। जंगल में कहीं जल न मिलने पर उन्होंने देवताओं से पानी के लिए कहा तब सूर्य देवता ने एक कमंडल जल दिया। देवी पार्वती ने जलपान करने के बाद शेष बचे जल को जमीन पर गिरा दिया। तेजस्वी पवित्र जल से वहां पर एक कुंड का निर्माण हुआ और जाते वक्त भगवान शंकर ने इस स्थान का नाम प्रभास्कर क्षेत्र रखा।
 
यह कहानी सतयुग की है। काल बीतते रहे द्वापर में ब्रम्हा द्वारा अपनी पुत्री पर कुदृष्टि डालने पर पाप लगा। उन्होंने इस तीर्थ में आकर स्नान किया तब वे पाप मुक्त हुए। जगन्नाथ ने बताया कि तब से यहां पर मान्यता चली आ रही है की जो इस स्थान पर आकर स्नान करेगा वह पाप मुक्त हो जाएगा। हत्या मुक्त हो जाएगा। यहां पर राम का एक बार नाम लेने से हजार नामों का लाभ मिलेगा। तब से आज तक लोग यहां इस पावन तीर्थ पर आकर हत्या, गोहत्या एवं अन्य पापों से मुक्ति पा रहे हैं।
ये भी पढ़ें
आचार्यश्री विद्यासागरजी का दीक्षा जयंती व संयम स्वर्ण महोत्सव