पाकिस्तानी कावड़ियों ने गंगा में जलाभिषेक किया
हरिद्वार। उत्तराखंड के हरिद्वार में शनिवार को पाकिस्तान के 94 कावड़ियों ने विशाल पौधारोपण कर जलाभिषेक किया।
अखिल विश्व गायत्री परिवार हरिद्वार और संत शदाणी दरबार के संयुक्त तत्वावधान में जलाभिषेक से पूर्व हरिद्वार स्थित संत शंदाणी घाट पर पाकिस्तान के 94 कावड़ियों सहित वरिष्ठ संतों ने पौधारोपण किया। पाकिस्तान के कावड़ियों द्वारा सिन्धु नदी से लाए जल और गंगा जल से जलाभिषेक तथा इससे पूर्व पौधारोपण का भाव-विभोर कर देने वाले दृश्य को हजारों लोगों ने भी देखा।
साक्षात शिवस्वरूप पौधों का प्रेरणाप्रद पूजन कराते हुए उन्हें मित्र अथवा पुत्रवत मानने का संकल्प जगाते हुए संतों ने कहा कि गंगा तट पर पौधारोपण का यह पुण्यदायी कार्य सिन्धु से गंगा तक के सफर को सदैव यादगार बनाएगा।
संतों ने पाकिस्तानी कावड़ियों का आह्वान किया कि वे अपने देश में भी पौधारोपण और उनका पालन-पोषण करते रहें तो मां गंगा और देवात्मा हिमालय का उन्हें वहां भी आशीर्वाद मिलता रहेगा। इस अवसर पर संत युधिष्ठिर लाल ने सृष्टि को मिलने वाले पौधों के अनंत अनुदानों की चर्चा करते हुए अधिक से अधिक पौधे लगाने की प्रेरणा दी।
इसके बाद कार्षिण आश्रम के पुरोहित अंबादत्त पंत ने मां गंगा का भावभरा पूजन किया। शांतिकुंज द्वारा उपलब्ध कराए गए सैकड़ों पौधों का घाट के समीप पौधारोपण कराया। इस अवसर पर प्रमुख संतों ने मां गंगा का जल भर कावड़ में रखकर शिवाभिषेक करने से पूर्व अपनी-अपनी कावड़ से वहां लगाए गए पौधों का अभिषेक किया।
गायत्री परिवार और शदाणी दरबार के अनुयायियों ने कहा कि श्रावण मास और कावड़ यात्रा के विशेष अवसर पर शिवभक्तों को विवेक दृष्टि अपनाने और अपनी भक्ति भावना और पुरुषार्थ को मानवता के हित में नियोजित करने की विशेष प्रेरणा देने के लिए यह कार्यक्रम आयोजित किया गया है।
इस अवसर पर प्रेरणा दी गई कि भक्ति का अर्थ केवल परंपराएं निभाना नहीं, बल्कि वह कार्य करना है जिसमें सबका भला हो। पुरोहित अंबादत्त पंत ने कहा कि कावड़ जल से शिवजी का अभिषेक करने के लिए जितना पुरुषार्थ शिवभक्त करते हैं, उतना पुरुषार्थ यदि पौधा लगाने और उनके संरक्षण के लिए करें तो पर्यावरण की समस्याओं से सहज ही मुक्ति मिल सकती है।
इस अवसर पर पाकिस्तान स्थित शदाणी दरबार के 94 कावड़ियों के अतिरिक्त इस पंथ के हरिद्वार और छत्तीसगढ़ के सैकड़ों अनुयायियों, शांतिकुंज युवा प्रकोष्ठ प्रतिनिधि सदानंद आंबेकर, जयराम मोटलानी, कार्षिण आश्रम हरिद्वार के पंडित अंबादत्त पंत और अन्य लोगों ने भी हिस्सा लिया। (वार्ता)