क्या 'आचमन' के लायक बचेगी नर्मदा...
इस बार कम बारिश के कारण नर्मदा कई स्थानों पर गर्मी आने से पहले ही सूख गई है, वहीं कई स्थान ऐसे भी हैं, जहां मध्यप्रदेश की जीवनरेखा कही जाने वाली यह नदी गंदगी और प्रदूषण की चपेट में है। मंडलेश्वर के आसपास भी नदी में काफी गंदगी है। शहरों के निकट नर्मदी नदी कचरे और गंदगी के कारण प्रदूषित है। आश्चर्य की बात तो यह है कि मध्यप्रदेश का एक बड़ा हिस्सा नर्मदा के जल पर आश्रित है। साथ ही पड़ोसी राज्य गुजरात भी नर्मदा के जल का दोहन करना है। कई स्थान ऐसे भी हैं जहां लोग अपने पूर्वजों की मुक्ति के लिए नर्मदा में नदी में अस्थि विसर्जन करते हैं। साथ ही पूजा सामग्री भी विसर्जित करते हैं। यह भी नदी के प्रदूषण की बड़ी वजह माना जाता है।
यह आंकड़े भी चौंकाने वाले हैं : एक जानकारी के मुताबिक नर्मदा कई स्थानों पर गर्मी से पहले ही सूखने लगी है। सरदार सरोवर खाली हो चुका है। मुख्य जलाशय नर्मदा बांध का जल स्तर लगभग 112 मीटर के स्तर पर पर चुका है, जबकि बांध का न्यूनतम स्तर 110.7 मीटर रहना जरूरी है। गौरतलब है कि मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान भी 2017 में नर्मदा सेवा यात्रा निकालकर नदी के तटों का भ्रमण कर चुके हैं। लगभग 150 दिनों तक चली इस यात्रा में नर्मदा किनारे सफाई पर भी जोर दिया गया था।
नर्मदा एक नजर : नर्मदा नदी को रेवा के नाम से भी जाना जाता है। पुराणों में गंगा और नर्मदा को पापनाशिनी और मोक्ष प्रदायिनी कहा जाता है। को यह मध्य भारत प्रमुख नदी और भारतीय उपमहाद्वीप की पांचवीं सबसे लंबी नदी है।
साथ ही यह गोदावरी और कृष्णा नदी के बाद भारत के अंदर बहने वाली तीसरी सबसे लंबी नदी है। इसे मध्यप्रदेश की जीवन रेखा भी कहा जाता है। गुजरात राज्य को भी नर्मदा का जल प्राप्त होता है। नर्मदा अपने उद्गम से पश्चिम की ओर बहकर खंभात की खाड़ी (अरब सागर) में जाकर मिलती है।
महाकाल पर्वत के अमरकंटक शिखर से नर्मदा नदी की उत्पत्ति हुई है। जबलपुर के निकट भेड़ाघाट का नर्मदा जलप्रपात काफी प्रसिद्ध है। इस नदी के किनारे अमरकंटक, नेमावर, ओंकारेश्वर, मंडलेश्वर, महेश्वर आदि प्रसिद्ध तीर्थस्थान हैं, जहां काफी दूर-दूर से श्रद्धालु यात्री आते रहते हैं।