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Last Updated : शनिवार, 14 अक्टूबर 2017 (11:32 IST)

बेटी को जन्म देने वाली मां का स्वागत ​ग्रीटिंग कार्ड से

बेटी को जन्म देने वाली मां का स्वागत ​ग्रीटिंग कार्ड से - Daughter
रायपुर। छत्तीसगढ़ के रायगढ़ जिले में बेटी के जन्म पर मां को आकर्षक ग्रीटिंग कार्ड देकर बधाई देने का रिवाज शुरू किया गया है। 'बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ' योजना के तहत किए जा रहे इन प्रयासों के कारण अब जिले में लिंगानुपात में भी सुधार हुआ है।
 

छत्तीसगढ़ के रायगढ़ जिले में सरकारी अस्पताल में बेटियों को जन्म देने वाली माताओं का स्वागत आकर्षक ग्रीटिंग कार्ड से किया जाता है। साथ ही मां की खुशी उस वक्त और बढ़ जाती है, जब नवजात बच्ची के साथ महतारी-नोनी बोर्ड (मां-बेटी बोर्ड) पर उनकी तस्वीरें होती है।
 
रायगढ़ जिले की कलेक्टर शम्मी आबिदी ने शनिवार को बताया कि जिले में 'बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ' योजना के तहत 62 प्रा​थमिक और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में बेटी जन्म देने वाली मां का स्वागत ​ग्रीटिंग कार्ड से किया जाता है। जिला प्रशासन ने जिले में बालिकाओं के जन्म और संस्थागत प्रसव को बढ़ावा देने के लिए यह फैसला किया है।
 
आबिदी ने बताया कि इस वर्ष अगस्त महीने में जिला प्रशासन ने सरकारी अस्पतालों में नवजात बच्चियों और मां के लिए रंगीन और आकर्षक ग्रीटिंग कार्ड देना शुरू किया ​था। कार्ड में बच्ची को बचाने और उसे आगे बढ़ाने का संदेश होता है तथा उसमे मां और बच्चे की तस्वीर होती है। इसी तरह प्रा​थमिक और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में एक महतारी नोनी बोर्ड लगाया जाता है जिसमें एक माह तक मां और नवजात बच्ची की फोटो लगाई जाती है।
 
कलेक्टर ने कहा कि ग्रीटिंग कार्ड देने और महतारी नोनी बोर्ड में मां बेटी की तस्वीर के कारण बेटी जन्म देने वाली मां विशेष होने और गर्व का अनुभव करती है, वहीं इस कार्य की अच्छी प्रतिक्रिया भी मिली है। अब इसे निजी अस्पतालों में भी करने पर भी विचार किया जा रहा है।
 
उन्होंने बताया कि जिले के सरकारी अस्पतालों (प्राथमिक और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में महिलाओं के संस्थागत प्रसव की संख्या 92 प्रतिशत से बढ़कर 97 प्रतिशत हो गई है। देश में न्यूनतम शिशु लिंग अनुपात के आधार पर जिन 100 जिलों का चयन 'बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ' के लिए किया गया था, उनमें छत्तीसगढ़ का रायगढ़ भी शामिल है।
 
राज्य के वरिष्ठ अधिकारियों ने बताया कि रायगढ़ जिले में योजना शुरू होने के बाद लिंग अनुपात बेहतर हुआ है। वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार जिले में प्रति 1,000 बालकों पर बालिकाओं की संख्या 947 थी, जो वर्ष 2014-15 में घटकर 918 रह गई थी।
 
जनवरी वर्ष 2015 को हरियाणा के पानीपत में शुरू की गई 'बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ' योजना में छत्तीसगढ़ के रायगढ़ जिले को शामिल किए जाने के बाद कई कदम उठाए गए। इसके फलस्वरूप वर्ष 2015-16 में प्रति 1,000 बालकों पर बालिकाओं की संख्या बढ़कर 928 और पिछले वर्ष 2016-17 में 936 हो गई है। इसी तरह रायगढ़ जिले में शिशु मृत्यु दर वर्ष 2011 के 65 की तुलना में वर्ष 2016-17 में घटकर 48 और मातृ मृत्युदर वर्ष 2011 के 293 की तुलना में घटकर 180 रह गई है।
 
अधिकारियों ने बताया कि राज्य के मुख्य सचिव विवेक ढांड ने रायगढ़ में किए जा रहे प्रयासों की सराहना की है तथा राज्य के बालोद, जांजगीर-चांपा, जशपुर, कबीरधाम और नारायणपुर जिले में भी 'बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ' योजना की तर्ज पर कार्य संचालित करने का निर्देश अधिकारियों को दिया है। (भाषा)
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