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Last Modified: नई दिल्ली , बुधवार, 20 जून 2018 (19:21 IST)

केजरीवाल और भाजपा की मिलीभगत की खुलेगी पोल

केजरीवाल और भाजपा की मिलीभगत की खुलेगी पोल - Arvind Kejriwal BJP, Congress allegations Delhi Congress
नई दिल्ली। दिल्ली कांग्रेस ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और भाजपा की मिलीभगत को जनता के सामने लाने के लिए 'केजरीवाल, बीजेपी का सच, जानना आपका हक' अभियान शुरु करने की घोषणा की है। दिल्ली कांग्रेस के राजीव भवन स्थित कार्यालय में बुधवार को प्रदेश अध्यक्ष अजय माकन की अध्यक्षता में पूर्व सांसदों, विधायकों, निगम पार्षदों, जिला और ब्लॉक अध्यक्षों तथा सामान्य सभा के सदस्यों की बैठक में इसका फैसला लिया गया।

बैठक के बाद माकन ने बताया कि पार्टी इस अभियान के तहत प्रत्येक बूथ के तहत आने वाले 100 घरों में केजरीवाल और भाजपा की मिलीभगत के संबंध में पंपलेट का वितरण करेगी। इसके तहत 13 लाख पम्पलेट बांटे जाएंगे।
मुख्यमंत्री के राजनिवास कार्यालय में नौ दिन के धरने को ड्रामा करार देते हुए माकन ने कहा कि इसकी पटकथा 20 फरवरी को उस समय ही लिख दी गई थी, जब मुख्य सचिव अंशु प्रकाश के साथ केजरीवाल के सरकारी आवास पर मारपीट की गई थी।

उन्होंने कहा कि केजरीवाल अच्छी तरह जानते थे कि इसके क्या नतीजे होंगे और यह जानने समझते हुए इस घटना को अंजाम दिया गया। इसके बाद विधानसभा का तीन दिन का सत्र भी हुआ जिसमें दिल्ली के अधिकारों के संबंध में चर्चा की गई।

माकन ने आरोप लगाया कि केजरीवाल का राजनिवास कार्यालय में धरना उपराज्यपाल की मिलीभगत से किया गया क्योंकि धरने का ड्रामा आम आदमी पार्टी (आप) और भाजपा के लिए फायदेमंद था। धरना केजरीवाल को इसलिए माफिक था कि विधानसभा चुनाव के समय जो वायदे किए गए थे, वे खोखले निकले और सरकार बिजली, पानी, शिक्षा और स्वास्थ्य आदि के क्षेत्र में पूरी तरह असफल साबित हुई।

भाजपा भी सीलिंग तोड़फोड, निगमों की अकर्मण्यता, गंदगी और पेंशन नहीं मिलने से विधवाओं, दिव्यांगों और वृद्धों को पेंशन नहीं मिलने से जनता का ध्यान भटकाना चाहती थी। कांग्रेस के पेंपलेट को 'सच क्या है, मोदी के वादे निकले जुमले, केजरीवाल भी नाकाम, कांग्रेस ने किया है काम, सच जानना आपका हक, विज्ञापन एवं प्रचार का खेल, मोदी-केजरीवाल में मेल' आदि भागों में बांटा गया है।

उन्होंने कहा कि केजरीवाल चाहते थे कि मुख्य सचिव के साथ हुई घटना का मामला कब का निपटाया जा सकता था। केजरीवाल माफी मांगने के माहिर हैं और इससे पहले 49 दिन की सरकार का त्यागपत्र देने के बाद दिल्ली की जनता से माफी मांगी और दोबारा सत्ता में आए।


मानहानि मुकदमों में मजीठिया, अरुण जेटली और कपिल सिब्बल से माफी मांग ली तो मुख्य सचिव के साथ हुई घटना में खेद जताने में क्या परेशानी थी। केजरीवाल अपनी नाकामियों का ठीकरा अधिकारियों के सिर मढ़ना चाहते थे और इसलिए वह इस घटना का समाधान नहीं चाहते थे। (वार्ता)
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