मंगलवार, 23 अप्रैल 2024
  • Webdunia Deals
  1. खबर-संसार
  2. समाचार
  3. प्रादेशिक
  4. Akhilesh yadav spent 15 crore to distribute allowance of 20 crores
Written By
Last Modified: लखनऊ , शुक्रवार, 19 मई 2017 (15:12 IST)

अखिलेश राज में बड़ा घोटाला, 20 करोड़ बांटने में खर्च किए 15 करोड़

अखिलेश राज में बड़ा घोटाला, 20 करोड़ बांटने में खर्च किए 15 करोड़ - Akhilesh yadav spent 15 crore to distribute allowance of 20 crores
लखनऊ। उत्तर प्रदेश की पूर्ववर्ती समाजवादी सरकार के समय बेरोजगारी भत्ता देने के लिए आयोजित चेक वितरण कार्यक्रमों पर लगभग 15 करोड़ रुपए खर्च कर दिए गए। उस समय अखिलेश यादव राज्य के मुख्यमंत्री थे। इस योजना के माध्यम से एक लाख 26 हजार 521 बेरोजगार लोगों 20.58 करोड़ रुपए वितरित किए गए थे। 
 
भारत के नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक (कैग) की ताजा रिपोर्ट में कहा गया कि बेरोजगारी भत्ते से जुडी योजना में विशिष्ट दिशानिर्देश हैं कि धन सीधे लाभार्थी के बैंक खाते में जमा कराया जाएगा। लाभार्थी को योजना के तहत आवेदन फार्म पर अपने बैंक खाते का ब्यौरा भरना होता है।
 
विधानसभा में पेश कैग रिपोर्ट में कहा गया कि अगर भत्ता चेक के जरिए वितरित करने के लिए कार्यक्रमों का आयोजन नहीं होता तो लगभग 15 करोड़ रुपए के व्यय से बचा जा सकता था।
 
कैग ने कहा कि राज्य सरकार ने मई 2012 में योजना लांच की। लाभार्थियों के बचत खातों में, चाहे वे किसी राष्ट्रीयकृत बैंक या क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक में हों, तिमाही भुगतान भेजा जाना था।
 
उत्तर प्रदेश के प्रशिक्षण एवं रोजगार निदेशक के रिकॉर्ड से पता चला कि विभाग ने 2012-13 में 69 जिलों में कार्यक्रम आयोजित किए और 20.58 करोड़ रुपए एक लाख 26 हजार 521 बेरोजगार लोगों को वितरित किए।
 
रिपोर्ट में कहा गया कि लाभार्थियों को कार्यक्रम स्थल पर लाने ले जाने में 6.99 करोड़ रुपए खर्च किए गए जबकि बैठने की व्यवस्था और नाश्ते पानी पर 8.07 करोड़ रुपए खर्च किए गए। विभिन्न कार्यक्रम स्थलों पर लगभग 1.26 लाख बेरोजगारों को चेक दिए गए। ये चेक तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने अपने हाथ से सौंपे।
 
राज्य सरकार ने सितंबर 2016 को अपने जवाब में कहा कि लाभार्थियों को चेक वितरण निर्देशों के तहत ही किया गया है। योजना की नियमावली के मुताबिक राष्ट्रीयकृत बैंक में हालांकि खाता खोलना अनिवार्य है लेकिन बैंक खातों के जरिए ही लाभार्थियों को भुगतान करने के लिए राज्य सरकार बाध्य नहीं है। कैग ने जवाब को उचित नहीं माना। उसका कहना था कि योजना के दिशानिर्देशों में इतनी बड़ी संख्या में लाभार्थियों को लाने और ले जाने का प्रावधान नहीं है।
 
कैग ने साफ कहा कि ऐसे कार्यक्रमों पर 15.06 करोड रुपए खर्च कर दिए गए जो उचित नहीं ठहराया जा सकता। रिपोर्ट में कहा गया कि 69 जिलों में बेरोजगारी भत्ता योजना के लाभार्थियों को चेक वितरण के लिए कार्यक्रमों के आयोजन पर 15.06 करोड रुपए खर्च कर दिए गए हालांकि बेरोजगारी भत्ता लाभार्थियों के खाते में जमा कराया जाना था।
 
भत्ते की योजना की शुरुआत 2003-07 में तत्कालीन सपा सरकार ने की थी। उस समय मुलायम सिंह यादव मुख्यमंत्री थे। हाईस्कूल पास 30 से 40 वर्ष आयु वाले हर बेरोजगार को एक हजार रुपए देने की व्यवस्था की गई थी। कैग ने बताया कि इसी योजना को अखिलेश सरकार ने मई 2012 में फिर से चलाया। (भाषा)
ये भी पढ़ें
तृणमूल सांसद सुदीप बंदोपाध्याय को सशर्त जमानत