दाँव पर शेखावटी के दिग्गजों की प्रतिष्ठा!
सीकर। राजस्थान में 4 दिसंबर को होने वाले विधानसभा चुनाव में शेखावटी जनपद के सीकर, चूरू, झुंझुनू और नागौर में केंद्रीय खान मंत्री शीशराम ओला, प्रदेश कांग्रेस कमेटी के कार्यकारी अध्यक्ष परसराम मोरदिया, पूर्व अध्यक्ष नारायण सिंह रामनारायण चौधरी, सीकर के सांसद सुभाष महरिया, वसुंधरा राजे मंत्रिमंडल के सदस्य राजेन्द्र राठौड, युनूस खान और खेमाराम मेघवाल तथा कांग्रेस के दिग्गज रामनिवास मिर्धा और कई पूर्व मंत्रियों की प्रतिष्ठा दाँव पर लगी है।शेखावटी जनपद के सीकर जिले की आठ सीटों में से धोद, दांतारामगढ़ और फतेहपुर में चुनावी जंग प्रतिष्ठा का प्रश्न बन गई। धोद विधानसभा क्षेत्र परिसीमन में अनुसूचित जाति के लिए सुरक्षित हो जाने से प्रदेश कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष मोरदिया यहाँ से चुनाव लड़ रहे हैं। उनका मुकाबला भाजपा के गोरधन प्रधान, माकपा के पेमाराम और बसपा की लक्ष्मी सोलेरो से है। इस पर चार निर्दलीय भी अपना भाग्य आजमा रहे हैं।दांतारामगढ़ विधानसभा क्षेत्र से प्रदेश कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष नारायण सिंह को माकपा के दिग्गज अमराराम से लोहा लेना पड़ रहा है। अपने जीवन का नौवाँ चुनाव लड़ रहे सिंह को पहली बार वामपंथी माकपा से कड़ी चुनौती मिली है। कांग्रेस की राजनीति में जाट कार्ड खेलकर सीन में आए नारायण सिंह को भाजपा की पुष्पा कंवर से भी मुकाबला करना पड़ेगा। यहाँ पर कुल 9 उम्मीदवार चुनाव के दंगल में है। फतेहपुर विधानसभा क्षेत्र से भाजपा प्रत्याशी नंदकिशोर महरिया की साख दाँव पर लग गई। क्योंकि, उनका अनुज फतेहपुर से दूसरी बार किस्मत आजमा रहा है। फतेहपुर से महरिया का कांग्रेस के भंवरू खाँ से मुकाबला है जो दो बार जीत चुके हैं। इनके अलावा इस सीट पर दस और प्रत्याशी भी हैं।चुरू में तीन पर कड़ा मुकाबला : चुरू जिले की 6 विधानसभा सीटों में से तीन पर प्रतिष्ठा की जंग ज्यादा ही तेज नजर आ रही है। तारानगर विधानसभा क्षेत्र सार्वजनिक निर्माण मंत्री राजेन्द्र राठौड़ को अपनी साख पर मतदाता का भरोसा जीतना होगा। चार बार चुरू से निरंतर जीतने के बाद तारानगर से उनका कांग्रेस के डॉ. सीएस बैद से मुकाबला काफी तगड़ा होगा। सादुलपुर से भाजपा की कमला कस्वा के चुनाव मैदान में उतर जाने के बाद चुरूᆬ के सांसद रामसिंह को अपनी साख बचाने के लिए लोहे के चने चबाने होंगे। चुरू जिले की सुरक्षित सीट सुजानगढ़ में राज्य मंत्रिमंडल के सदस्य खेमाराम मेघवाल को न केवल कांग्रेस के दिग्गज तथा पूर्व मंत्री मास्टर भँवरलाल से मुकाबला करना पड़ेगा बल्कि बागी रामेश्वर भाटी भी उनकी राह में रोड़े अटकाएँगे।झुँझुनू में सार्थक जुमला : ओलाजी आपको कोई हरा नहीं सकता और बेटे बृजेन्द्र को कोई जिता नहीं सकता। यह जुमला झुंझुनू में पिछले तीन चुनावों में सार्थक सिद्ध हो रहा है। दरअसल केंद्रीय खान मंत्री ओला का लाड़ले बृजेन्द्र ओला गत तीन चुनाव में हार कर हैट्रिक बना चुके है। कहीं इस बार हार न देख लें, इसके लिए जाट नेता को काफी प्रयास करने पड़ेगे। मंडावा विधानसभा क्षेत्र में विधानसभा अध्यक्ष सुमित्रा सिंह भाजपा से तथा कांग्रेस की रीटा सिंह के बीच मुख्य मुकाबला है। कांग्रेस के लिए चुनौती : उदयपुरवाटी विधानसभा क्षेत्र से राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल के भांजे विजेन्द्रसिंह इन्द्रपुरा के चुनाव दंगल में कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में उतर आने से मामला प्रतिष्ठा का बन गया है। इस सीट पर भाजपा से प्रदेश महामंत्री मदनलाल सैनी चुनाव लड़ रहे है। झुंझुनू जिले की खेतडी विधानसभा क्षेत्र से पूर्व मंत्री डॉ जितेन्द्र सिंह को कड़ी परीक्षा देनी होगी। डॉ सिंह गहलोत सरकार में मंत्री थे। नागौर जिले की दस सीटों में से नागौर और डीडवाना ऐसे विधानसभा क्षेत्र हैं जहाँ प्रतिष्ठा की जंग प्रतिद्वंद्वी एक-दूसरे को पटकनी देने में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे। कांग्रेस कमेटी के सचिव व कांग्रेसी दिग्गज रामनिवास मिर्धा के सुपुत्र हरेन्द्र मिर्धा भी कड़े मुकाबले में उलझ गए।