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Written By WD Sports Desk
Last Updated : सोमवार, 12 अगस्त 2024 (16:25 IST)

पेरिस ओलंपिक में जीते आधा दर्जन पदक, ग्लास आधा खाली या भरा

भारतीय अभियान में मनु भाकर रहीं स्टार, विनेश को अयोग्य ठहराना निराशाजनक

Paris Olympics
भारत के लिए पेरिस ओलंपिक में प्रदर्शन अच्छा और बुरा दोनों रहा जिसमें एक तरफ जहां युवा निशानेबाज मनु भाकर ने दो पदक जीते तो वहीं भाला फेंक सुपरस्टार नीरज चोपड़ा का रजत पदक उम्मीदों से कमतर रहा जबकि विनेश फोगाट का फाइनल से पहले अयोग्य ठहराया जाना निराशाजनक रहा जिसमें छह खिलाड़ियों के चौथे स्थान नासूर रहे।

ओलंपिक के शुरू में पदक तालिका में दोहरे पदकों तक पहुंचना बहुत महत्वाकांक्षी लग रहा था लेकिन कई खिलाड़ियों के करीब से चूकने का काफी असर पड़ा। इसमें ‘क्या होता’ के कई सवाल उठे।

क्या होता अगर बैडमिंटन खिलाड़ी लक्ष्य सेन कांस्य पदक के प्ले-ऑफ में अचानक हारते नहीं, क्या होता अगर तीरंदाज दीपिका कुमारी क्वार्टर फाइनल में कोरिया के खिलाफ एक शॉट में चूक नहीं जाती और क्या होता अगर मीराबाई चानू ने सिर्फ एक किलोग्राम वजन और उठा लिया होता?

किसी को उम्मीद नहीं थी कि सात्विकसाईराज रंकीरेड्डी और चिराग शेट्टी पदक के बिना विदा होंगे।ऐसी संभावना है कि स्टार बैडमिंटन खिलाड़ी पीवी सिंधू 2028 ओलंपिक में प्रतिस्पर्धा नहीं करें।

किसी को भी उम्मीद नहीं थी कि स्वप्निल कुसाले स्कीट पदक के लिए इंतजार खत्म कर देंगे।

देश के 117 सदस्यीय दल में महज 6 पदक आना आदर्श नहीं हैं लेकिन भारत के लिए इस दौरान खुशी, उम्मीद, निराशा और दुख के पल भी आए।

भारत तोक्यो ओलंपिक में जीते गए सात पदकों की बराबरी नहीं कर सका। अगर चौथे स्थान पर रहने वाले छह खिलाड़ी पदक जीतने में सफल रहते तो तालिका में दोहरे पदकों की संख्या संभव थी।

हॉकी में खुशी :पुरुष हॉकी टीम के ओलंपिक में लगातार दूसरा पदक जीतने की क्षमता पर सवाल बने हुए थे। टीम तोक्यो में जीते गए पदक के रंग को बेहतर नहीं कर सकी, लेकिन जिस तरह से उसने ऑस्ट्रेलिया को हराया, बेल्जियम के खिलाफ मुकाबला खेला और जर्मनी और ब्रिटेन के खिलाफ दबाव झेला, उससे पता चलता है कि हरमनप्रीत सिंह की अगुआई वाली यह टीम मानसिक रूप से कितनी मजबूत हो गई है।
shreejesh
भारतीय टीम ‘अंडरडॉग’ की तरह शामिल हुई लेकिन चैंपियन की तरह खेली। गोलकीपर पीआर श्रीजेश के लिए संन्यास लेने के लिए यह बिलकुल सही समय था, जिन्होंने तोक्यो कांस्य से पहले अपनी पहचान हासिल करने के लिए संघर्ष कर रहे खेल के पुनरुद्धार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।

श्रीजेश भारत के लिए अपना करियर खत्म करने वाले अकेले खिलाड़ी नहीं थे। पेरिस ओलंपिक निश्चित रूप से टेनिस खिलाड़ी रोहन बोपन्ना और टेबल टेनिस खिलाड़ी शरत कमल के लिए आखिरी ओलंपिक थे।

विनेश के दिल को झकझोर देने वाला ओलंपिक:

भाग्य ने श्रीजेश को शानदार विदाई दी, लेकिन पहलवान विनेश फोगाट अपनी आत्मा पर कभी नहीं भरने वाला घाव लेकर मंच से चली गईं।

एक मुश्किल मुकाबले के बाद एक मामूली हार और एक चुनौतीपूर्ण हार दोनों ही हो सकती है, लेकिन उनके मामले में वह जीतने के बावजूद हार गईं। यह उनकी काबिलियत या कौशल का सवाल नहीं था बल्कि तकनीकी पक्ष था जिसने उनसे पदक छीन लिया।
Vinesh Phogat
अगर कोई एक भारतीय महिला पहलवान ओलंपिक पदक की हकदार थी तो वह विनेश ही थीं जिन्होंने साल भर लगातार खिताब और पदक जीतकर अपनी बादशाहत साबित कर दी थी। उनकी वापसी में न तो कम तैयारी और न ही युई सुसाकी बाधा बन सकीं लेकिन उनका अपना 100 ग्राम का वजन इन सब पर पानी फेर गया।

विनेश ने इस घटना के बाद खेल से संन्यास की घोषणा कर दी और अब वह अयोग्य ठहराए जाने के खिलाफ अपनी अपील पर फैसले का इंतजार कर रही हैं।

निशानेबाजों ने आखिरकार पदक जीते :युवा मनु भाकर की अगुआई में निशानेबाजों का प्रदर्शन भारत के लिए राहत भरा रहा क्योंकि छह में से तीन पदक निशानेबाजी से आए।
Manu and Sarabjot
यह कहना अतिश्योक्ति नहीं होगी कि 22 वर्षीय भाकर ने अपने अभूतपूर्व प्रदर्शन से भारत का मान बचाया। उन्होंने मिश्रित टीम 10 मीटर एयर पिस्टल स्पर्धा में सरबजोत सिंह के साथ मिलकर एक और कांस्य पदक जीता। जब एक पदक भी ‘स्टारडम’ की गारंटी देता है तो भाकर के दोहरे पदक ने उन्हें एक अलग ही श्रेणी में ला खड़ा किया है।

बहुत कम लोगों ने कुसाले को स्कीट निशानेबाजी में भारत के लिए पहला पदक जीतने की उम्मीद की होगी।पर कल्पना कीजिए कि अगर निशानेबाजों ने फिर से धोखा दिया होता तो भारत पदक तालिका में कहां होता।

नीरज का रजत :

नीरज ने 89.45 मीटर के सत्र के सर्वश्रेष्ठ प्रयास के साथ क्वालीफिकेशन में शीर्ष स्थान प्राप्त करके भारत को एक और स्वर्ण की उम्मीद दी।
UNI

नीरज जांघ की समस्या के बावजूद तैयार थे। पर पाकिस्तान के अरशद नदीम ने 92.97 मीटर का शानदार थ्रो फेंककर सचमुच प्रतियोगिता खत्म कर दी। नीरज 89.34 मीटर से बेहतर थ्रो नहीं कर पाए।उनसे ऐसी उम्मीदें थीं कि रजत भी हार जैसा लग रहा था।

मुक्केबाजों ने निराश किया, अमन ने कुश्ती अभियान को बचाया :

कोई भी मुक्केबाज पदक दौर में नहीं पहुंच सका लेकिन निशांत देव की हार सबसे ज्यादा खलेगी। एक अन्य दावेदार निकहत जरीन भी रो पड़ीं। हालांकि पहलवान अमन सेहरावत ने सुनिश्चित किया कि कुश्ती से पदक मिले।

टीम में शामिल एकमात्र भारतीय पुरुष पहलवान उम्मीदों पर खरा उतरा। 57 किग्रा वर्ग में रवि दहिया की जगह लेने के पीछे भी कुछ कारण था और उन्होंने इसे साबित भी किया।
Aman Sehrawat
कुश्ती ने लगातार पांचवें ओलंपिक में पदक जीता।सबसे निराशाजनक प्रदर्शन अंतिम पंघाल और अंशु मलिक का रहा। उनकी फिटनेस हमेशा संदेह के घेरे में रही।

भविष्य की उम्मीद :टेबल टेनिस खिलाड़ी मनिका बत्रा और श्रीजा अकुला ने पहली बार व्यक्तिगत स्पर्धा के क्वार्टर फाइनल में जगह बनाकर उम्मीदों से बढ़कर प्रदर्शन किया।

लक्ष्य सेन भले ही बैडमिंटन में कांस्य पदक से चूक गए हों और पहलवान रीतिका हुड्डा पदक दौर में नहीं पहुंच पाईं लेकिन उन्होंने दिखाया कि उनमें बड़े मंच पर बेहतर प्रदर्शन करने की क्षमता है। (भाषा)