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Written By WD Feature Desk

पौष माह की पूर्णिमा पर क्या है स्नान का महत्व?

पौष मास की पूर्णिमा पर इस तरह करें स्नान, मिलेगा फायदा

Push purnima snan significance
Importance of bathing on Paush Purnima: 25 जनवरी 2023 गुरुवार के दिन पौष माह की पूर्णिमा रहेगी। इस दिन स्नान, दान और तर्पण का खास महत्व रहता है। हिन्दू धर्म के अनुसार पौष पूर्णिमा के दिन काशी, प्रयागराज और हरिद्वार में गंगा स्नान का बड़ा महत्व माना गया है। आओ जानते हैं कि क्या होगा स्नान करने से।
 
पौष पूर्णिमा स्नान का महत्व:-
  • पौष पूर्णिमा के दिन किसी पवित्र नदी, कुंड या सरोवर में स्नान करने से श्रीहरि विष्णु की कृपा प्राप्त होती है और सभी पापों का नाश हो जाता है।
  • यदि आप किसी पवित्र नदी में स्नान करने जा रहे हैं तो सबसे पहले वरुण देव का स्मरण करें और उन्हें प्रणाम करें।
  • वरुण देव का स्मरण करने के बाद सभी पवित्र नदियों का उच्चारण करके उन्हें नमन करें। 
  • स्नान मंत्र बोलें- गंगे च यमुने चैव गोदावरी सरस्वति। नर्मदे सिन्धु कावेरी जलऽस्मिन्सन्निधिं कुरु।। 
  • इस मंत्र का अर्थ है कि 'हे गंगा, यमुना, गोदावरी, सरस्वती, नर्मदा, सिंधु, कावेरी नदियों, मेरे स्नान करने के इस जल में आप सभी पधारिए'।
  • पौष पूर्णिमा के दिन यदि आप पवित्र नदी में स्नान नहीं कर पा रहे हैं तो पानी में गंगा जल मिलाकर और कुश हाथ में लेकर स्नान करना चाहिए।
  • इस दिन से कल्पवास भी शुरू हो जाता है। माघ मेले का दूसरा स्नान पौष पूर्णिमा पर होता। कल्पवास का समापन माघी पूर्णिमा के दिन होता है।
Magh Snan 2024
कल्पवासी पौष पूर्णिमा से एक-दो दिन पहले मोक्ष की कामना लेकर यहां आकर संगम किनारे तपस्या करते हैं। पौष पूर्णिमा के दिन स्नान-दान और सूर्य व चंद्र देव को जल देने से पुण्य लाभ की प्राप्ति होती है। पौष पूर्णिमा पर स्नान-दान से व्यक्ति को मोक्ष मिलता है।
 
शरीर की शुद्धि के लिए स्नान का महत्व है। शास्त्रों में 4 प्रकार के स्नान वर्णित हैं- भस्म स्नान, जल स्नान, मंत्र स्नान एवं गोरज स्नान।
 
आग्नेयं भस्मना स्नानं सलिलेत तु वारुणम्।
आपोहिष्टैति ब्राह्मम् व्याव्यम् गोरजं स्मृतम्।।
 
मनुस्मृति के अनुसार भस्म स्नान को अग्नि स्नान, जल से स्नान करने को वरुण स्नान, आपोहिष्टादि मंत्रों द्वारा किए गए स्नान को ब्रह्म स्नान तथा गोधूलि द्वारा किए गए स्नान को वायव्य स्नान कहा जाता है। स्नान द्वारा ही शरीर शुद्ध होता है। 
 
स्नान के उपरांत तर्पण और पूजन करने से शांति प्राप्त होती है एवं मन प्रसन्न रहता है। स्नान से निवृत्त होकर भगवान मधुसूदन की पूजा करें और उन्हें नैवेद्य अर्पित करें। किसी ब्राह्मण या जरूरतमंद को दान दें। दान में तिल, गुड़, कंबल और ऊनी वस्त्र विशेष रूप दें।
 
स्नान के फायदे : स्नान से पवित्रता आती है। इससे तनाव, थकान और दर्द मिटता है। पांचों इंद्रियां पुष्ट होती है। यह आयुवर्धक, बल बढ़ाने वाला और तेज प्रदान करने वाला है। इससे निद्रा अच्छी आती है। यह हर तरह की जलन और खुजली खत्म करता है। इससे त्वचा में निखार और रक्त साफ होता है। स्नान के पश्चात मनुष्य की जठराग्नि प्रबल होती है और भूख भी अच्छी लगती है।
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