कैंसर को मात देने वाले ने जीती मैराथन तैराकी
सात साल पहले ल्यूकेमिया कैंसर से ग्रस्त घोषित कर दिए जाने वाले नीदरलैंड के तैराक मार्टेन वान डेर वीज्डेन ने आज यहाँ बीजिंग ओलिम्पिक की मैराथन तैराकी स्पर्द्धा का स्वर्ण जीतकर मानवीय जिजीविषा की विजय का शानदार उदाहरण पेश किया।वीज्डेन ने खुले पानी में 10 किलोमीटर की दूरी लगभग दो घंटे में तय करते हुए बेहद नजदीकी अंतर से स्वर्ण पदक पर कब्जा किया। इस स्पर्द्धा को ओलिम्पिक में पहली बार शामिल किया गया है। वीज्डेन की यह जीत यह देखते हुए करिश्माई लगती है कि उन्हें सात वर्ष पहले डाक्टरों ने कैंसर से पीडित घोषित कर दिया था। डॉक्टरों का कहना था कि ल्यूकेमिया कैंसर से पीड़ित वीज्डेन के जिंदा रहने की उम्मीद भी बहुत कम है।लेकिन वीज्डेन ने हार नहीं मानी और अपनी जिंदगी पर आए इस संकट का पूरी शिद्दत और साहस के साथ सामना किया। वह न केवल इस कैंसर को मात देने में सफल रहे, बल्कि उन्होंने तैराकी की सर्वाधिक मुश्किल स्पर्द्धा को जीतकर अपनी जिंदगी का जश्न भी मनाया।उन्होंने कहा कि इससे साबित होता है कि उस तरह की गंभीर बीमारी के बाद भी आप ओलिम्पिक के मंच पर स्वर्ण जीत सकते हैं1 यह काफी विलक्षण पल है।