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रीढ़ सदा सीधी रखना
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पंकज जैनभले हठीले हकीकतें हो हरदम ख्वाबों को खिलाते रहना चाहे सख्त सचाइयाँ सताएँसपनों को सजाते रहना भले तमाम तूफान टूटे उम्मीदों की नींव बनानाचाहे पथरीले पर्वत हो पथ में नई मंजिलों को पाते जानाभले मुश्किलें मंडराए कितनीसदा मुस्कानें महकानाचाहे काँटों की चुभन हो परकुसुम क्यारियाँ लगानान कभी झुकना, न ही रुकनारीढ़ सदा सीधी रखना।