टेलीकॉम का उज्ज्वल भविष्य
टेलीफोन मार्केट : माइक्रो सेगमेंटेशन
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सुश्री उर्शिता नेमा ट्राई ने यह बताया है कि टेलीफोन का उपयोग करने वालों में हम भारतीयों का क्रम पाँचवाँ है। अमेरिका का टेलीफोन उपभोक्ता प्रतिमाह 619 मिनट बात कर शीर्ष पर है तो कनाडा का उपभोक्ता प्रति माह 344 मिनट टेलीफोन पर चहकता है। रही बात हमारी तो हमारे टेलीफोनधारक प्रति माह 309 मिनट बतियाते हैं। यदि टेलीफोन उपयोग में विकास की गति की बात करें तो हमने दुनिया में सबको पीछे छोड़ दिया है। दूरसंचार के क्षेत्र में मोबाइल फोन ने कदम क्या रखे, हमारे यहाँ दूरसंचार क्रांति को मानो पर ही लग गए हैं। मोबाइल फोन उपयोगकर्ताओं के साथ-साथ इस क्षेत्र में कई छोटे-छोटे क्षेत्र, जिन्हें कि माइक्रो सेगमेंट कहा जाता है, वह भी उभरकर सामने आ गए। यंग उमंग मोबाइल फोन का भारतीय बाजार युवाओं, युवा प्रोफेशनल्स, छोटे तथा मध्यम उद्यम, परिवार तथा कतिपय विशेष वर्ग में बँटा हुआ है। हमारे यहाँ मोबाइल का सबसे ज्यादा उपयोग करने वालों में युवा वर्ग सबसे आगे हैं। उनके लिए मोबाइल फोन महज आवश्यकता भर नहीं है, बल्कि एक आवश्यक अंग भी है। यह वर्ग भी उम्र और लिंग के आधार पर कई छोटे-छोटे क्षेत्रों में वर्गीकृत किया जा सकता है। उदाहरण के लिए 19 से 23 वर्ष के युवाओं के मित्रों का समूह सबसे बड़ा है और यह वर्ग ही मोबाइल पर सबसे ज्यादा पैसा खर्च करता है। इसलिए तमाम कंपनियाँ इन्हें ध्यान रखकर तरह-तरह के ऑफर पेश कर अपनी झोलियाँ भर रही हैं। एसएमएस और तरह-तरह के रिंग टोन पेश कर उन्हें लुभाया जा रहा है। जैसे उपभोक्ता वैसी स्कीमइसी तरह युवा प्रोफेशनल्स जो परिवार में सबसे ज्यादा कमाई करने वाला वर्ग बनकर उभरा है, वह भी अमूमन सारा समय मोबाइल से चिपका दिखाई देता है। यह वर्ग बार-बार सौ दो सौ रुपए का रिचार्ज लेने की बजाय पोस्टपेड योजना में ज्यादा विश्वास करता है। साथ ही स्टॉक मार्केट और न्यूज अपडेट जैसी वेल्यू एडेड सर्विस का सबसे ज्यादा इस्तेमाल भी करता है। जहाँ तक छोटे और मध्यम उद्यमों का प्रश्न है, उसमें ऐसे लोग शामिल हैं, जिन्होंने किफायत के लिए लैंड लाइन पर ताला मारकर मोबाइल से नाता जोड़ा है। इनका ध्यान वेल्यू एडेड सर्विसेज की बजाय हमेशा इकॉनॉमी पैक पर ही रहता है। परिवार में ज्यादातर लोग घर मालिक पर आश्रित होते हैं। यह आमतौर पर प्रीपेड अपनाते हैं। स्पेशल श्रेणी में छोटे, लेकिन उभरते क्षेत्रों को शामिल किया गया है। इस वर्ग के सेलिब्रेटी, राजनेता, सीईओ तथा सुपर रीच लोग आते हैं।
चूँकि हमारे यहाँ की औसत आयु साढ़े तेईस वर्ष है और यह वर्ग ही मोबाइल का सबसे ज्यादा उपयोग करता है। इसलिए इस क्षेत्र के मुख्य खिलाड़ी युवा क्षेत्र को ही अपना लक्ष्य बनाया है। कुछ कंपनियाँ तो इन्हें पकड़ने के लिए कॉलेज और कोचिंग सेंटर पर डेरा डालकर अपना जाल बिछाए तैयार बैठी रहती हैं। भले ही यह उनके व्यापार की रणनीति ही क्यों न हो। दाम नीचे, ग्राफ ऊपरभारत में औसत टैरिफ 1 रुपया 74 पैसे प्रति मिनट है। 40 देशों में यह 5 रुपए 67 पैसे है। जर्मनी में सबसे अधिक 14 रुपए 40 पैसे प्रति मिनट लगते हैं। वहाँ प्रत्येक उपभोक्ता प्रति माह मात्र 74 मिनट बातें करता है। जब बात राजस्व की आती है तो भारतीय ऑपरेटरों की झोली सबसे ज्यादा खाली होती है। जहाँ अमेरिका का ऑपरेटर प्रति उपभोक्ता 2400 रुपए कमाता है, भारतीय ऑपरेटरों को प्रति ग्राहक मात्र 470 रुपए ही मिल पाते हैं। मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में 30 वर्ष से कम आयु वाले 62 प्रतिशत ग्राहक हैं। मेवा वेल्यू एडेड सेवा का 2006 के अंत तक भारत में वेल्यू एडेड सेवा का बाजार 2850 करोड़ रुपए का है। आईएएमएआई का मानना है कि मोबाइल वेल्यू एडेड सेवा में खासी तेजी दिखाई दे रही है। मार्केट रिसर्च एंड कंज्यूमर रिसर्च ऑर्गनाइजेशन द्वारा किए गए एक अध्ययन में कहा गया है कि कंपनियों ने व्यावहारिक रूप से कुल रिंग टोंस, गेम्स, स्क्रीनसेवर्स तथा ई-मेल अलर्ट में माध्यम से युवा बाजार निर्मित किया है, जिसके परिणामस्वरूप ज्यादा से ज्यादा युवा अपनी जिंदगी को बेहतर बनाने के लिए वायरलैस एप्लिकेशंस का उपयोग करने लगे हैं। दूसरी ओर बुजुर्गवार लोग मोबाइल पर ज्यादा समय या पैसा बरबाद करना बेकार समझते हैं। फिर भी भारत जैसी आबादी वाले देश में जहाँ 60 फीसदी से ज्यादा आबादी मोबाइल को अपनी हथेलियों में थामे हुए हैं, उसे देखते हुए टेलीकॉम इंडिया का भविष्य उज्ज्वल है। (
लेखिका आईएमटी, गाजियाबाद में स्टूडेंट मैनेजर हैं।)