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Written By WD

अधिकांश चुनावी दफ्तरों में सन्नाटे का माहौल

श्रवण शुक्ल, नई दिल्ली से

अधिकांश चुनावी दफ्तरों में सन्नाटे का माहौल -
लोकसभा चुनाव के लिए दिल्ली में मतदान का क्रम पूरा हो चुका है और इसके साथ ही पूरी हो चुकी है पार्टी कार्यकर्ताओं की कसरत। वो कसरत, जिसके दम पर हर दल अपनी-अपनी जीत की उम्मीदें पाले बैठा है, लेकिन इन सबके बीच पार्टी कार्यालयों पर पसर चुका है सन्नाटा। जो चुनाव के समय हमेशा गुलजार रहता था, जहां हर समय पार्टी कार्यकर्ता बैठकर अगले दिन की रणनीतियां तय करने में जुटे रहते थे।

जी हां! हम बात कर रहे हैं उन चुनावी दफ्तरों की, जो लोकसभा चुनाव के लिए विभिन्न पार्टियों के उम्मीदवारों द्वारा खोले गए थे। चूंकि विधानसभा चुनाव (अगर होते हैं तो) अभी 4-5 महीनों की दूरी पर हैं और फिर एक-एक लोकसभा क्षेत्र में 7-10 विधानसभा सीटें हैं। ऐसे में लगभग सभी दलों ने इसी उम्मीद के साथ अपने कार्यालय खाली कर दिए हैं कि विधानसभा चुनाव में पिछले चुनावों के दौरान प्रयोग किए गए दफ्तर फिर से सक्रिय कर लिए जाएंगे।

वैसे जो कुछेक बड़े नेताओं के चुनावी कार्यालय हैं और जो अपनी जीत के प्रति आश्वस्त हैं, उनके कार्यालय तो चल रहे हैं..लेकिन वहां अभी से विधानसभा चुनाव की तैयारियां भी शुरू कर दी गई हैं।

जब हमें चुनावी कार्यालयों की ये बात पता चली तो हम पहुंच गए विशम्भर मार्ग। जहां नई दिल्ली लोकसभा सीट से बीजेपी उम्मीदवार मीनाक्षी लेखी का कार्यालय है। यहां आम चुनावी दिनों की तरह बिलकुल भी चहल-पहल नहीं दिखी और न ही खुद मीनाक्षी ही मिलीं। कारण पूछने पर पता चला कि लेखी देश के अन्य हिस्सों में प्रचार के लिए निकल गई हैं, इसलिए फ़िलहाल यहां गिनती के लोगों की ही मौजूदगी रहती है।

आज के दिन हमने तमाम उम्मीदवारों के कार्यालयों का जायजा लिया। कमोबेश हर जगह की स्थिति यही मिली। हां, अगर दिल्ली की मंत्री रहीं राखी बिड़लान के कार्यालय की बात करें तो वहां जरूर कुछ चहल-पहल मिली।

वैसे, सच तो ये है कि देश का दिल होने के चलते दिल्ली से भले ही सभी राजनीतिक गतिविधियां चल रही हों, लेकिन दिल्ली वालों और दिल्ली में सभी पार्टियों के कार्यकर्ताओं पर से चुनाव का भूत उतर चुका है। जहां कुछ कार्यकर्ता अपनी नौकरी पाने की व्यवस्था में लग गए हैं तो कुछ विधानसभा चुनाव की तैयारियों को लेकर पूर्व और मौजूदा प्रत्याशियों/विधायकों के यहां डेरा जमाने में लगे हैं।