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Written By भाषा

बजट में ‍वित्तमंत्री से आपकी अपेक्षाएं..?

Budget 2013-14 | बजट में ‍वित्तमंत्री से आपकी अपेक्षाएं..?
वर्ष 2013-14 का आम बजट 28 फरवरी को केन्द्रीय वित्तमंत्री पी. चिदंबरम पेश करने जा रहे हैं। जनता महंगाई से जार-जार है, वित्तमंत्री से राहत की दरकार है। उम्मीद है वे आगामी आम चुनाव के मद्देनजर लोगों के लिए राहत का पिटारा खोल सकते हैं, जिसे 2014 में वोटों में बदल सकें। ...या‍ फिर महज आंकड़ों की जादूगरी होगा उनका बजट।

जरूरी यह भी है कि हमारी उनसे क्या अपेक्षाएं हैं? हम क्या उम्मीद रखते हैं आने वाले बजट से? किस तरह की राहत चाहते हैं और केन्द्र सरकार से क्या सौगात चाहते हैं? हालांकि यह तो 28 फरवरी को ही तय होगा कि वित्तमंत्री जनता की उम्मीदों पर कितना खरा उतरते हैं। अपनी भावनाओं को अभिव्यक्ति दें, लिखें अपने विचार...

आगामी बजट के मद्देनजर यूं तो वित्तमंत्री से आम आदमी निराश ही नजर आ रहा है फिर भी उसकी कुछ अपेक्षाएं हैं। लोग बढ़ती महंगाई को लेकर चिंतित हैं, वहीं चाहते हैं कि आयकर सीमा बढ़ाई जानी चाहिए। आइए देखते हैं आखिर लोगों की और क्या अपेक्षाएं हैं पी. चिदंबरम और केन्द्र सरकार से...

सरकार ने पिछले दस सालों में महंगाई, कर और हर वस्तु के भाव इतने बढ़ा दिए हैं कि हम कैसे उम्मीद करें कि वे कितनी राहत देंगे और लोग अपनी आमदनी से अपना घर आसानी से कैसे चला पाएंगे? वैसे भी इस सरकार का यह आखिरी बजट ही साबित होगा, जितना सरकार ने लोगों को आहत किया है उससे ज्यादा राहत की आशा करना आम लोगों के लिए बेमानी साबित होगा।
-शकुंतला नेनावा

यह कि जल्दी से जल्दी विदा ले लें। बस....
-गजेन्द्र पाटीदा

इनकम टैक्स सीमा तीन लाख तक हो, रोजगार के अवसर बढ़ें, वीपीआई सुरक्षा में कटौती हो साथ ही आवास ऋण पर बैंक ब्याज दर में भी कटौती होनी चाहिए।
-विनोद कुमार गेहलो

सर्विस टैक्स बंद करो, हॉस्पिटल में मैंने माताजी को भर्ती किया तो उनके डिस्चार्ज होने पर बिल में टैक्स देना पड़ा। अरे भाई, बीमार होने पर भी टैक्स देना पड़ेगा क्या?
-रूपे

सिर्फ महंगाई की अपेक्षा है और किसी चीज की नहीं। सरकार से जितना हो सके उतना और बोझ डालेगी आम जनता पर....
-सुम

‍‍सिर्फ एक ही अपेक्षा है कि जिस तरह से महंगाई बढ़ रही है उसी तरह से कर्मचारियों के महंगाई भत्ते में भी बढ़ोतरी हो।
-बबलू नाकतोड़

बस एक ही अपेक्षा है कि वो इस बार कोई नए टैक्स ना लगाए बल्कि करों में राहत दे और पेट्रोल, डीजल, गैस से लोगों पर बरस रही महंगाई की आग से उन्हें राहत पहुंचाने के लिए तन-मन-धन से प्रयास करे।
-महेश नेनाव

क्या कोई वकील भाई बता सकता है कि कानून मैं कोई प्रावधान है, जिससे इस अन्याय के खिलाफ लड़ा जा सके। महंगाई इतनी बढ़ रही है तो क्या सुप्रीम कोर्ट इसमें हस्तक्षेप करके रोक नहीं लगा सकता? सरकारी कर्मचारियों को तो महंगाई भत्ता देकर उसको कवर करने का प्रयास करती है और हर साल सैलरी भी भी बढ़ा देती है, प्राइवेट वाले क्या करें जिनकी सैलरी पिछले 3-4 साल से नहीं बढ़ी है, हर साल स्कूल वाले फीस बढ़ा देते हैं क्या इनके खिलाफ लड़ने के लिए कोई कानून है।

कृपया मदद करें और कृपया बताएं कि क्या मनमोहनसिंह जी पर इन कारणों से मुकदमा नहीं चलना चाहिए- 1. भ्रष्ट सरकार चलाना और भ्रष्टाचारियों का साथ देना क्या भ्रष्टाचार नहीं है। 2. महंगाई इतनी बढ़ रही है और मनमोहनजी कंट्रोल नहीं कर पा रहे। क्या ये उनकी जवाबदारी नहीं बनती है, क्या कोर्ट को खुद ही उन पर मुकदमा नहीं चलाना चाहिए? अत: बजट से कोई अपेक्षा नही है। बजट में सिर्फ महंगाई बढ़ाने के तरीके ही होंगे। अमीरों को और अमीर बनाने के तरीके होंगे।
-विपिन

वरिष्ठ नागरिकों और महिलाओं के लिए इनकम टैक्स की सीमा चार लाख रुपए तक की जानी चाहिए।
-सुब्रत ध

वित्तमंत्री चिदंबरम से एक ही अपील है कि वो एक ही बार में जितने चाहे सभी चीजों के दाम बढ़ा लें। बार-बार दाम बढ़ाकर आम आदमी को 'हलाल' ना कर एक ही बार में 'झटका' कर उसे मुक्ति दे दें।
-डीबीएस सेंग

चुनाव के लिए कुछ भी करेगा, चुनाव जीतने के बाद लोगों की कमर तोड़ने में कोई कसर भी नहीं छोड़ेगा। यह तो पक्का है बजट चुनाव वाला ही होगा।
-शूरवीरसिं

कोई भी अपेक्षा बेकार है, वे वही करेंगे जो उन्हें जंचेगा।
-विवेक रंजन श्रीवास्त

आगे कोई घोटाला ना करें।
-सत्येन्द्

मेरे मानना है कि आयकर सीमा बढ़ाकर तीन लाख रुपए की जानी चाहिए क्योंकि खाद्यान्न और पेट्रोलियम के दाम बहुत तेजी से बढ़ रहे हैं। वीआईपी सुरक्षा में कटौती की जानी चाहिए। विभिन्न परियोजनाएं निर्धारित समय में पूरी होनी चाहिए।
-सुनील कुमार ठाकुर

कोई अपेक्षा नहीं है। सब एक जैसे हैं। पब्लिक का जीना मुश्किल कर दिया है। हर चीज का दाम बढ़ना है। अपनी जेब में अरबों में भरना है। चाहे कांग्रेस हो, चाहे भाजपा हो, चाहे मायावती हो, चाहे मुलायम हो सब एक ही जैसे हैं। सब चोर हैं, बेईमान हैं।
-इंदिरा पांडे