• Webdunia Deals
  1. धर्म-संसार
  2. नवरात्रि 2023
  3. नवरात्रि संस्कृति
  4. Why does Durga Ashtami have special significance
Written By

शारदीय नवरात्रि 2023: दुर्गा अष्टमी का विशेष महत्व क्यों है?

शारदीय नवरात्रि 2023: दुर्गा अष्टमी का विशेष महत्व क्यों है? - Why does Durga Ashtami have special significance
Sharadiya Navratri 2023: वर्ष में चार नवरात्रि आती है जिसमें से चैत्र और शरद नवरात्र‍ि में अष्टमी तिथि का खास महत्व माना गया है। अष्टमी को आठम या अठमी भी कहते हैं। नवरात्रि की अष्टमी को महाष्टमी या दुर्गाष्टमी कहते हैं जो कि बहुत ही महत्वपूर्ण होती है। आखिर इस अष्टमी का विशेष महत्व क्यों है?
 
अष्टमी तिथि की देवी महागौरी:-
  • अष्टमी के दिन आठवें रूप महागौरी की पूजा और आराधना की जाती है। मां गौरी का वाहन बैल और उनका शस्त्र त्रिशूल है। 
  • परम कृपालु मां महागौरी कठिन तपस्या कर गौरवर्ण को प्राप्त कर भगवती महागौरी के नाम से विख्यात हुईं।
  • भगवती महागौरी की आराधना सभी मनोवांछित कामना को पूर्ण करने वाली है।
  • यह भक्तों को अभय, रूप व सौंदर्य प्रदान करने वाली है अर्थात शरीर में उत्पन्न नाना प्रकार के विष व्याधियों का अंत कर जीवन को सुख-समृद्धि व आरोग्यता से पूर्ण करती हैं।
  • मां भगवती का पूजन अष्टमी को करने से कष्ट, दुःख मिट जाते हैं और शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती। 
  • मां की शास्त्रीय पद्धति से पूजा करने वाले सभी रोगों से मुक्त हो जाते हैं और धन-वैभव संपन्न होते हैं।
 
अष्टमी तिथि का महत्व:
  1. कलावती नाम की यह तिथि जया संज्ञक है। 
  2. मंगलवार की अष्टमी सिद्धिदा और बुधवार की मृत्युदा होती है। 
  3. इसकी दिशा ईशान है। ईशान में शिव सहित सभी देवताओं का निवास है इसीलिए इस अष्टमी का महत्व अधिक है। 
  4. यह तिथि परम कल्याणकारी, पवित्र, सुख को देने वाली और धर्म की वृद्धि करने वाली है।
day 8 Mahagauri
अष्टमी पूजा का महत्व:
  • अधिकतर घरों में अष्टमी की पूजा होती है। 
  • देव, दानव, राक्षस, गंधर्व, नाग, यक्ष, किन्नर, मनुष्य आदि सभी अष्टमी और नवमी को ही पूजते हैं।
  • कथाओं के अनुसार इसी तिथि को मां ने चंड-मुंड राक्षसों का संहार किया था। 
  • नवरात्रि में महाष्टमी का व्रत रखने का खास महत्व है। 
  • मान्यता अनुसार इस दिन निर्जला व्रत रखने से बच्चे दीर्घायु होते हैं।
  • अष्टमी के दिन सुहागन औरतें अपने अचल सुहाग के लिए मां गौरी को लाल चुनरी जरूर चढ़ाती हैं।
  • अष्टमी के दिन कुल देवी की पूजा के साथ ही मां काली, दक्षिण काली, भद्रकाली और महाकाली की भी आराधना की जाती है। 
  • माता महागौरी अन्नपूर्णा का रूप भी हैं। इस दिन माता अन्नपूर्णा की भी पूजा होती है इसलिए अष्टमी के दिन कन्या भोज और ब्राह्मणों को भोजन कराया जाता है।
अष्टमी को ये नहीं खाना चाहिए:-
  • अष्टमी के दिन नारियल खाना निषेध है, क्योंकि इसके खाने से बुद्धि का नाश होता है। 
  • इसके आवला तिल का तेल, लाल रंग का साग तथा कांसे के पात्र में भोजन करना निषेध है। 
  • माता को नारियल का भोग लगा सकते हैं। 
  • कई जगह कद्दू और लौकी का भी निषेध माना गया है क्योंकि यह माता के लिए बलि के रूप में चढ़ता है।
अष्टमी का पारण और भोग:
  • यदि अष्टमी को पराण कर रहे हैं तो विविध प्रकार से महागौरी का पूजन कर भजन, कीर्तन, नृत्यादि उत्सव मनाना चाहिए।
  • विविध प्रकार से पूजा-हवन कर 9 कन्याओं को भोजन खिलाना चाहिए। हलुआ आदि प्रसाद वितरित करना चाहिए।
  • माता को अर्पित करें ये- 1.खीर, 2.मालपुए, 3.मीठा हलुआ, 4.पूरणपोळी, 5.केले, 6.नारियल, 7.मिष्ठान्न, 8.घेवर, 9.घी-शहद और 10.तिल और गुड़।
 
महाष्टमी पर करें ये कार्य:
  1. महाष्टमी के दिन महास्नान के बाद मां दुर्गा का षोडशोपचार पूजन किया जाता है। 
  2. महाष्टमी के दिन मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा होती है इसलिए इस दिन मिट्टी के नौ कलश रखे जाते हैं और देवी दुर्गा के नौ रूपों का ध्यान कर उनका आह्वान किया जाता है।
  3. नवरात्रि के नौ दिनों में कुमारी या कुमारिका पूजा होती है। इस दिन कुमारी पूजा अर्थात अविवाहित लड़की या छोटी बालिका का श्रृंगार कर देवी दुर्गा की तरह उनकी आराधना की जाती है।
  4. धार्मिक मान्यता के अनुसार 2 से 10 वर्ष की आयु की कन्या कुमारी पूजा के लिए उपयुक्त होती हैं। कुमारी पूजा में ये बालिकाएं देवी दुर्गा के विभिन्न रूपों को दर्शाती हैं- कुमारिका, त्रिमूर्ति, कल्याणी, रोहिणी, काली, चंडिका, शनभावी, दुर्गा और भद्रा।
  5. इस दिन संधि पूजा का भी महत्व है। यह पूजा अष्टमी और नवमी दोनों दिन चलती है। 
  6. इस पूजा में अष्टमी समाप्त होने के अंतिम 24 मिनट और नवमी प्रारंभ होने के शुरुआती 24 मिनट के समय को संधि काल कहते हैं। 
  7. मान्यता है कि इस समय में देवी दुर्गा ने प्रकट होकर असुर चंड और मुंड का वध कर दिया था। 
  8. इसके अलावा संधि काल के समय 108 दीपक भी जलाए जाते हैं।
ये भी पढ़ें
शारदीय नवरात्रि 2023: अष्टमी की देवी महागौरी की पूजा का शुभ मुहूर्त और मंत्र