नई दिल्ली। नन्हे जांबाजों की सलामी से शुरू हुआ वर्ष 2016 बच्चों के लिए उम्मीद, शोहरत और सुधारों के नाम रहा। बच्चों के लिए कई नए कानूनों को राष्ट्रपति की मंजूरी, परीक्षाओं में लड़कियों का अव्वल आना तथा बाल कलाकार नील सेठी की धूम ने इस साल को काफी यादगार बना दिया।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 24 जनवरी को 25 बच्चों को बहादुरी का पुरस्कार दिया। बेहद कम उम्र में अपनी सूझबूझ और जान जोखिम में डालकर किसी की जान बचाने वाले ये बच्चे 26 जनवरी को इंडिया गेट पर गणतंत्र दिवस परेड का हिस्सा बने। वर्ष 1957 से भारत सरकार हर साल बहादुर बच्चों को सम्मानित करती है।
राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की मंजूरी के साथ किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल एवं संरक्षण) अधिनियम, 2015 साल के शुरू में देशभर में लागू हो गया। अधिनियम में जघन्य अपराधों में संलिप्त 16-18 वर्ष के किशोरों के लिए विशेष प्रावधान है।
जनवरी के महीने में ही दक्षिण दिल्ली के रयान पब्लिक स्कूल में पहली कक्षा के छात्र दिव्यांश की मौत ने बच्चों के मामले में स्कूल प्रशासन की लापरवाही पर सबका ध्यान खींचा। जनवरी से मार्च तक चलने वाले नर्सरी एडमिशन में निजी स्कूलों की मनमानी रोकने के लिए दिल्ली सरकार ने दाखिले में मैनेजमेंट कोटा खत्म करने का फैसला किया, लेकिन दिल्ली उच्च न्यायालय की सरकार के इस फैसले पर रोक के बाद फिलहाल यह जारी रहेगा।
अप्रैल का महीना रेल यात्रा करने वाले बच्चों और उनके माता-पिता के लिहाज से थोड़ा मायूसीभरा रहा। 21 अप्रैल 2016 से लागू बच्चों के लिए संशोधित नियम के अनुसार अब आरक्षण के समय 5 से 12 वर्ष आयु वर्ग के बच्चों के लिए अलग से सीट (आरक्षित श्रेणी में) की मांग करने पर एक वयस्क का पूरा किराया लगेगा।
अप्रैल में प्रदर्शित 'जंगल बुक' में अपने अभिनय से भारतीय-अमेरिकी बाल कलाकार नील सेठी ने बड़े-बड़ों को हैरत में डाल दिया। साल की सर्वाधिक सफल फिल्मों में 'जंगल बुक' अव्वल रही। हर साल मई महीने के आसपास जारी होने वाले सीबीएसई की 10वीं और 12वीं की बोर्ड की परीक्षाओं के नतीजों में एक बार फिर लड़कियों ने बाजी मारी। 10वीं की परीक्षा में लड़कियों के पास होने का प्रतिशत लड़कों से अधिक रहा तो वहीं 12वीं की परीक्षा में भी टॉप 3 में लड़कियों ने ही जगह बनाई।
लेकिन, अक्टूबर के महीने में बिहार में 12वीं की बोर्ड परीक्षा में टॉपर घोटाला इस साल सुर्खियों में रहा जिसमें इस साल घोषित इंटर परीक्षा में कला और विज्ञान संकाय में टॉपर रहे रूबी राय और सौरभ कुमार को एक टीवी साक्षात्कार के दौरान विषयवस्तु की जानकारी नहीं होने का खुलासा होने पर बिहार को परीक्षा में नकल को लेकर राष्ट्रव्यापी फजीहत झेलनी पड़ी।
जुलाई में एक ओर आईआईटी जैसे प्रतिष्ठित संस्थान में दाखिला के लिए कोटा जाकर तैयारी करने वाले छात्रों की खुदकुशी का मामला छाया रहा, वहीं इसी महीने उच्चतम न्यायालय ने महिला एवं बाल विकास मंत्रालय को लापता बच्चों के संबंध में गलत आंकड़ा देने पर फटकार लगाई और मंत्रालय पर 25,000 रुपए का जुर्माना लगाते हुए यह पूछा कि क्या महिला एवं बाल विकास मंत्री मेनका गांधी ने राज्यसभा में गलत जानकारी दी है?
अगस्त में बाल श्रम पर नए कानून को राष्ट्रपति की मंजूरी मिलने के साथ यह देशभर में लागू हो गया। नए कानून के तहत अब 14 साल से कम उम्र के बच्चों को काम पर रखने वाले व्यक्ति को 2 साल कैद की सजा और 50,000 रुपया जुर्माने का प्रावधान है, हालांकि स्कूल के बाद अपने परिवार की मदद करने वाले बच्चों को इस दायरे से बाहर रखा गया है।
24 अगस्त को व्यावसायिक सेरोगेसी पर प्रतिबंध को लेकर सरकार का बड़ा फैसला आया और स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने नवंबर में सेरोगेसी (नियमन) विधेयक 2016 लोकसभा में पेश किया। इसके अनुसार अब जरूरतमंद नि:संतान दंपति को ही सेरोगेसी से बच्चे के जन्म की अनुमति होगी और विदेशी नागरिकों को भारत में सेरोगेसी की इजाजत नहीं होगी।
सितंबर में दिल्ली के राजकीय सर्वोदय विद्यालय में हिन्दी के शिक्षक मुकेश कुमार की सख्ती से नाराज 12वीं के 2 छात्रों द्वारा चाकू घोंपकर उनकी हत्या करने का मामला सुर्खियां बना। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने 7 नवंबर को राष्ट्रपति भवन में राष्ट्रीय नवप्रवर्तन प्रतिष्ठान की प्रतियोगिता में चुने गए 32 बच्चों को पुरस्कृत किया। प्रतियोगिता के विजेताओं की घोषणा हर साल 15 अक्टूबर को पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम के जन्मदिवस के अवसर पर की जाती है। प्रधानमंत्री भी 'मन की बात' में बच्चों की कई बार प्रशंसा कर चुके हैं और उन्होंने बच्चों पर 'मन की बात' का एक विशेष कार्यक्रम भी किया था।
विज्ञान के क्षेत्र में विदेशों में भी भारतीय बच्चों ने नाम कमाया। दिसंबर में भारतीय मूल की 2 जुड़वां बहनों और एक किशोर ने एक अनूठे अनुसंधान के लिए विज्ञान प्रतिस्पर्धा में कुल 2,00,000 डॉलर का वजीफा हासिल किया।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की नोटबंदी की घोषणा के बाद बच्चों ने अपनी गुल्लकें तोड़कर अपने माता-पिता की मदद की और यह जता दिया कि भले ही उनकी जमा-पूंजी छोटी हो लेकिन मौका आने पर यह किसी राहत से कम नहीं होती।
14 दिसंबर को उच्चतम न्यायालय ने बच्चों की नशे की आदत पर केंद्र को स्कूली बच्चों में बढ़ती नशे और शराब की लत पर रोक लगाने के लिए 6 महीने के भीतर राष्ट्रीय कार्ययोजना पेश करने का निर्देश दिया। 18 दिसंबर को दिल्ली सरकार ने विशेष बच्चों के लिए 'प्रोजेक्ट स्माइल' नामक परियोजना शुरू की। सीखने में दिक्कत का सामना कर रहे बच्चों के लिए शुरू की गई इस पहल का मकसद ऐसे बच्चों की पढ़ने-लिखने में मदद करना है।
पूरे साल बच्चों से जुड़ी 'बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ', 'सेल्फी विथ डॉटर' जैसी सरकार की कुछ अनूठी पहल भी सुर्खियों में रहीं। (भाषा)