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Last Updated : बुधवार, 19 जून 2019 (19:54 IST)

शहर जो बाढ़ में डूबा था, अब बूंद-बूंद को तरस रहा है...

water crisis
इसे प्रकृति का प्रकोप कहें या कुछ और... मगर किसी समय बाढ़ से बेहाल शहर अब बूंद-बूंद पानी के लिए तरस रहा है। हम बात कर रहे हैं तमिलनाडु की राजधानी चेन्नई की, जहां समंदर भी गर्जना करता रहता है। 
 
वेबदुनिया के चेन्नई संवाददाता के अनुसार हॉस्टल, पेइंग गेस्ट सुविधा उपलब्ध करवाने वाले मकान, होटल, अस्पताल यहां तक की मेट्रो रेल भी भीषण जलसंकट से जूझ रहे हैं। चेन्नई की चार बड़ी झीलों- चेंबरांबकम, पूंडी, रेडिल्स एवं चोलावरम का जलस्तर काफी नीचे जा चुका है। बताया जा रह है कि इन झीलों में कुल क्षमता का मात्र 23 प्रतिशत पानी ही शेष बचा है। 
 
इतना ही नहीं, जलसंकट के चलते बहुत से होटल और होस्टल बंद हो चुके हैं। खबर तो यह भी है कि चेन्नई मेट्रो में पानी कमी के चलते शौचालय बंद कर दिए गए हैं। शहर किस कदर जलसंकट से जूझ रहा है, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि सरकारी राजीव गांधी अस्पताल में कई शौचालयों में ताले लगा दिए गए हैं। यहां आने वाले मरीजों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। 
 
एक अन्य जानकारी के मुताबिक ओल्ड महाबलीपुरम इलाके की आईटी कंपनियों ने जलसंकट के चलते अपने कर्मचारियों से 'वर्क फ्रॉम होम' के लिए कहा है। शहर में पानी बचाने के लिए अन्य तरीके भी अपनाए जा रहे हैं। कुल मिलाकर शहर में पेयजल की बहुत बुरी स्थिति है। 
सरकार का इंकार : दूसरी ओर सरकार ने इस बात का खंडन किया है कि पेयजल की इतनी बुरी स्थिति है। स्थानीय प्रशासन मंत्री एसपी वेलुमणि ने इस बात से इंकार किया है कि सॉफ्टवेयर कंपनियों ने जलसंकट के चलते अपने स्टाफ को घर से काम करने के लिए कहा है। उन्होंने कहा कि जलसंकट को लेकर राई का पहाड़ बनाया जा रहा है। वेलुमणि ने कहा कि गर्मी के दिनों में जलसंकट आम बात है, लेकिन जितना बताया जा रहा है, उतना नहीं है।

उल्लेखनीय है कि चेन्नई में भारी बारिश के चलते 2017 में भीषण बाढ़ जैसे हालात पैदा हो गए थे। उस समय 10 हजार से ज्यादा लोगों को राहत कैंपों में पहुंचाया गया था। चेन्नई में 100 से ज्यादा राहत कैंप बनाए गए थे।