• Webdunia Deals
  1. समाचार
  2. मुख्य ख़बरें
  3. राष्ट्रीय
  4. Trekking on Zanskar River, Marathon race on Pangong Lake in ladakh
Written By Author सुरेश एस डुग्गर

गजब! जंस्कार नदी पर ट्रैकिंग, पैंगांग झील पर मैराथन दौड़

Ladakh
Marathon on Pangong Lake: सच में अगर आप रोमांच की इच्छा रखते हैं तो लद्दाख में दो रोमांच आपका इंतजार कर रहे हैं। यह हैं सर्दियों में बर्फ में बदल जाने वाली जंस्कार नदी पर ट्रैकिंग का आनंद, जिसे चद्दर ट्रैक कहा जाता है और दूसरा जमी हुई पैंगांग झील पर मैराथन दौड़ का। 
 
दुनिया की सबसे ऊंचाई पर स्थित खारे पानी की झील पैंगांग लेक जो एक अथाह समुद्र की तरह इसलिए है क्योंकि यह करीब 150 किमी के लंबी है। इस पर आप मैराथन में हिस्सा ले सकते हैं। बर्फ में तब्दील इस झील पर यह मैराथन 20 फरवरी, 2024 को संपन्न होगी।
 
हालांकि जंस्कार नदी के जम जाने के बाद इस पर होने वाली कई किमी की ट्रैकिंग, जिसे चद्दर ट्रैक कहा जाता है। चद्दर ट्रैक कई सालों से हो रही है पर पैंगांग लेक पर मैराथन दूसरी बार होगी। मैराथन करवाने के लिए लद्दाख ऑटोनोमस हिल डेवलपमेंट काउंसिल अर्थात एलएएचडीसी ने इसकी योजना को इस बार भी मंजूरी दे दी है।
 
गिनीज बुक में दर्ज हुई थी मैराथन : केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख ने 13 हजार 862 फीट ऊंची पैंगांग झील में शून्य से कम तापमान में अपनी पिछले साल पहली 21 किलोमीटर दौड़ का सफलतापूर्वक आयोजन करके इतिहास रचा था। इसे गिनीज बुक ऑफ विश्व रिकार्ड में दुनिया की सबसे ऊंची जमी हुई झील पर हुई हाफ मैराथन के रूप में दर्ज किया जा चुका है।
ladakh
जानकारी के लिए भारत और चीन की सीमा पर 700 वर्ग किलोमीटर में फैली पैंगांग झील का सर्दियों के दौरान तापमान माइनस 30 डिग्री सेल्सियस तक होता है, जिससे खारे पानी की झील बर्फ से जम जाती है। और इसी झील के किनारों पर कब्जे की जंग चीन और भारतीय सेना के बीच चार सालों से चल रही है।
 
यह सब लद्दाख में विंटर टूरिज्म की योजनाओं के तहत किया जा रहा है। इसके अतिरिक्त भी और कई योजनाओं को एलएएचडीसी की बैठक में अंतिम रूप दिया गया है। पर एलएएचडीसी के चेयरमेन तथा चीफ काउंसलर ताशी गयालसन ने इन दो रोमांचकारी योजनाओं को ज्यादा से ज्यादा प्रचारित करने पर जोर दिया।
 
उन्होंने बताया कि अगर चीन सीमा पर स्थित पैंगांग झील के आसपास परिस्थितियां समान्य रहीं तो वे सर्दी के मौसम में जम जाने वाली इस झील पर फिर से मैराथन करवाना चाहेंगे। वे लोगों को इस पर चलने का न्योता भी दे रहे हैं। जानकारी के लिए पैंगांग झील के किनारों पर कब्जा जमाए बैठी चीनी सेना के साथ पिछले चार सालों से तनातनी के माहौल के बावजूद पैंगांग झील तक टूरिस्टों को जाने की अनुमति प्रदान की जा रही है।
 
जबकि लद्दाख की जंस्कर घाटी में जंस्कर नदी पर होने वाला चद्दर ट्रेक सिर्फ लद्दाख प्रेमियों को ही नहीं बल्कि एडवेंचर के उन शौकिनों को भी आकर्षित करता है जो जोखिम उठाने में बहुत मज़ा आता है। सर्दियों के मौसम में जम चुकी जंस्कर नदी की बर्फीली चादर से ही इस ट्रेक को अपना नाम चद्दर ट्रेक मिला है। जम चुकी बर्फीली नदी पर चलते हुए इस ट्रेक को पूरा करना जितना चुनौतीपूर्ण होता है, उतना ही एडवेंचरस भी होता है।
कठिनतम ट्रैक : चद्दर ट्रैक की गिनती कठिनतम ट्रैक में होती है। इसका बेस कैंप लेह से करीब 60-70 किमी दूर तिलाद में होता है। इसलिए सबसे पहले आपको लेह पहुंचना होगा और वहां से बेस कैंप जाना पड़ेगा। तिलाद से ट्रेकिंग शुरू कर चिलिंग के माध्यम से चद्दर ट्रेक के डेस्टिनेशन पर पहुंचा जाता है। चिलिंग से आप जैसे-जैसे जंस्कर नदी के किनारे-किनारे आगे बढ़ते हैं, जंस्कर नदी जमने लगती है। लगभग 105 किमी लंबे इस ट्रेक को पूरा करने में लगभग 9-15 दिनों का समय लगता है।
 
हालांकि चद्दर ट्रैक में शामिल होने वालों की सेहत और दुर्घटनाओं से निपटने की तैयारियां भी लेह स्वास्थ्य विभाग ने आरंभ कर दी है और यह सुनिश्चित करने के लिए कहा गया है कि इसमें शामिल होने वालों की जान व सेहत का बीमा होना आवश्यक शर्त के तौर पर लागू किया जाए।
ये भी पढ़ें
जयपुर में करणी सेना के अध्यक्ष सुखदेव सिंह गोगामेड़ी की हत्या