नहीं बढ़ेगी चिकित्सा उपकरणों के पंजीकरण की समयसीमा, स्वास्थ्य मंत्री मांडविया ने किया इनकार
नई दिल्ली। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया ने चिकित्सा उपकरणों के अनिवार्य पंजीकरण की समयसीमा बढ़ाने से इनकार कर दिया है। उन्होंने स्पष्ट किया है कि केंद्र सरकार की अधिसूचना के तहत भारत के ज्यादातर चिकित्सा उपकरण एक अक्टूबर से लाइसेंस व्यवस्था के अधीन आ जाएंगे।
आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक, केंद्र सरकार को निर्माताओं और उनके संघों से कई प्रतिवेदन प्राप्त हुए हैं, जिनमें ए श्रेणी के कम जोखिम और बी श्रेणी के कम से मध्यम जोखिम वाले चिकित्सा उपकरणों के पंजीकरण की समयसीमा एक अक्टूबर से आगे बढ़ाने की मांग की गई है।
सूत्रों ने बताया कि पिछले हफ्ते हुई समीक्षा बैठक में मांडविया ने दो टूक कहा कि समयसीमा नहीं बढ़ाई जाएगी। उन्होंने सभी निर्माताओं से अपने चिकित्सा उपकरणों को निर्धारित अवधि में पंजीकृत करने का आग्रह भी किया।
सूत्रों के अनुसार, स्वास्थ्य मंत्री ने केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) को उन निर्माताओं की सहायता करने का निर्देश दिया, जिन्होंने अभी तक पंजीकरण के लिए आवेदन नहीं किया है।
एक आधिकारिक सूत्र ने बताया कि नियमों के तहत अपंजीकृत उपकरणों को वैध नहीं माना जाएगा और निर्माताओं को जुर्माने का सामना करना पड़ सकता है। सूत्र ने कहा, पंजीकरण चिकित्सा उपकरणों के विनियमन में मदद करेगा, जिससे गुणवत्ता के मानक स्थापित हो सकेंगे और इन उपकरणों का निर्यात करने व भारत को जल्द इनका निर्यात हब बनाने में मदद मिलेगी।
भारत में मौजूदा समय में कार्डिएक स्टेंट, हृदय वॉल्व, आर्थोपेडिक प्रत्यारोपण, कैथेटर, एक्स-रे मशीन और अल्ट्रासाउंड उपकरण सहित 37 चिकित्सा उपकरण को उनकी सुरक्षा, गुणवत्ता एवं प्रभावशीलता के लिए औषधि एवं प्रासधन सामग्री अधिनियम-1940 के तहत विनियमित किया जाता है।
इन 37 श्रेणी के चिकित्सा उपकरणों के निर्माण एवं आयात के लिए फिलहाल लाइसेंस की जरूरत पड़ती है। भारत में निर्मित या आयात किए गए ए श्रेणी के सभी 609 और बी श्रेणी के 1,055 चिकित्सा उपकरणों का एक अक्टूबर 2022 तक पंजीकरण कराना और लाइसेंस प्राप्त करना अनिवार्य है।
वहीं सी श्रेणी के मध्यम से उच्च जोखिम वाले 596 और डी श्रेणी के उच्च जोखिम वाले 87 चिकिस्ता उपकरणों का अगले साल एक अक्टूबर तक पंजीकरण कराया जा सकता है।
केंद्र सरकार ने 11 जुलाई को एक नोटिस जारी कर सभी निर्माताओं से नियामक प्रक्रिया में किसी भी देरी से बचने के लिए संबंधित राज्य लाइसेंसिंग प्राधिकरण (एसएलए) में जल्द निर्माण लाइसेंस का आवेदन दाखिल करने का आग्रह किया था।(भाषा)