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Last Updated : शुक्रवार, 10 नवंबर 2017 (11:50 IST)

पद्मावती पर बवाल, क्या बोले संजय लीला भंसाली...

पद्मावती पर बवाल, क्या बोले संजय लीला भंसाली... - Sanjay Leela Bhasali on Padamawati
'पद्मावती' की रिलीज डेट जैसे-जैसे करीब आ रही है, इसको लेकर विवाद और भी गरमाता जा रहा है। देश के अलग-अलग हिस्सों में इसका विरोध हो रहा है। फिल्म को लेकर जारी विवाद से परेशान निर्देशक संजय लीला भंसाली ने आनन-फानन में एक विडियो मैसेज जारी कर फिल्म से जुड़े विवाद को अफवाह बताया है। 
 
भंसाली ने एक वीडियो अपलोड कर लोगों से कहा है कि इस फिल्म में कोई ऐसा दृश्य नहीं हैं जिसमे रानी पद्मावती और खिलजी के बीच कोई ड्रीम सीक्वेंस हो। उन्होंने कहा कि यह सब बस अफवाह है जिसकी वजह से यह फिल्म विवादों के बीच फंस चुकी हैं।  
 
उन्होंने कहा कि मैंने यह फिल्म पद्मावती बहुत ही ईमानदारी, जिम्मेदारी से और मेहनत से बनाई हैं।  मैं रानी पद्मावती की कहानी से हमेशा से बेहद प्रभावित रहा हूं। यह फिल्म उनकी वीरता और आत्म बलिदान को नमन करती है। भंसाली इससे पहले भी लिखित में इसी बात को लोगो तक पहुंचाने की कोशिश कर चुके है।
 
इस विवाद को बढ़ता देख उन्होंने अब एक वीडियो के माध्यम से बताया की इस फिल्म में ऐसा कोई ऐसा दृश्य नहीं हैं जिसकी वजह से लोगों के अरमानों को ठेस पहुंचे या किसी को दुःख हो। करीब डेढ़ मिनट के वीडियो में भंसाली ने सारी गुमराह करने वाली बातों को लेकर स्पष्टीकरण दिया।  
 
इस वीडियो को रणवीर सिंह ने भी किया सोशल मीडिया पर साझा किया। उन्होंने कहा कि उम्मीद है कि इससे चीजें स्पष्ट होगी और यह विवाद समाप्त होगा। 

उच्च न्यायालय में जनहित याचिका : इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ खंडपीठ में एक जनहित याचिका दायर कर ‘पद्मावती’ फिल्म पर सती प्रथा को महिमामंडित करने का आरोप लगाया गया है। याचिका पर सुनवाई के बाद अदालत ने कहा कि याची अपनी बात सक्षम प्राधिकारी के समक्ष अपील के माध्यम से रख सकता है।
 
याची के अधिवक्ता विरेंद्र मिश्रा के मुताबिक याचिका में कहा गया था कि फिल्म मलिक मोहम्मद जायसी की रचना पद्मावत पर आधारित है जिसके अंत में रानी पद्मावती सती हो जाती हैं।
 
अधिवक्ता के अनुसार याचिका में कहा गया है कि इस बात को फिल्म में दिखाना सती प्रथा को बढ़ावा देना माना जाना चाहिए। सती प्रथा को किसी भी प्रकार से महिमामंडित करना सती प्रथा निवारण अधिनियम के विरुद्ध है और ऐसा करना दंडनीय अपराध की श्रेणी में आता है। लिहाजा ऐसी फिल्म के प्रदर्शन पर रोक लगाई जानी चाहिए।
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