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Last Updated :नई दिल्ली , बुधवार, 21 सितम्बर 2016 (14:52 IST)

अब अलग से नहीं आएगा रेल बजट, आम बजट में विलय

अब अलग से नहीं आएगा रेल बजट, आम बजट में विलय - Rail Budget merged in Aam budget
नई दिल्ली। सरकारी आय, व्यय और निवेश के प्रस्ताव रखने और पारित करने के मामले में एक बड़े बदलाव वाले निर्णय के तहत मंत्रिमंडल ने सालाना आम बजट फरवरी के अंत की परंपरागत तारीख से एक महीने पहले पेश किए जाने के वित्त मंत्रालय के प्रस्ताव को आज मंजूरी दे दी। इसके साथ ही रेलवे का बजट अलग से पेश करने की नौ दशक से भी अधिक पुरानी परंपरा को भी समाप्त कर उसे आम बजट का हिस्सा बनाने का भी निर्णय किया गया है।
 
इन फैसलों के तहत अब बजट को सरल बनाने और कामकाज की सुगमता के लिए सरकारी खर्चों को योजना एवं गैर-योजना व्यय में वर्गीकृत करने की व्यवस्था समाप्त करने के प्रस्ताव को भी मंजूरी दी गई है।
 
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल ने आम बजट को फरवरी के बजाए एक महीने पहले पेश करने के प्रस्ताव के मंजूरी दे दी। अब तक बजट को फरवरी के आखिरी कार्यदिवस को पेश किया जाता रहा है।
 
सरकार चाहती है कि पहली अप्रैल से शुरू होने वाले नए वित्त वर्ष से पहले ही उसकी सालाना आय और व्यय के प्रस्तावों को संसद की मंजूरी मिल जाए। बजट सत्र को पहले शुरू करने से इसके लिए पर्याप्त समय मिल सकेगा।
 
मंत्रिमंडल ने रेल बजट को आम बजट में मिलाने को भी मंजूरी दे दी है। रेल मंत्री सुरेश प्रभु पहले ही इसके पक्ष में बोल चुके हैं।
 
इस फैसले के मद्देनजर संसद का बजट सत्र अब 25 जनवरी से पहले बुलाया जा सकता है। फिलहाल फरवरी के अंतिम सप्ताह में बजट सत्र शुरू होता है। इस प्रकार, अब बजट की तैयारियां अक्तूबर के प्रारंभ में ही शुरू हो जाएंगी। जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) का अग्रिम अनुमान सात जनवरी को उपलब्ध होगा जो फिलहाल सात फरवरी को प्रस्तुत किया जाता है।
 
अब तक बजट को संसद की मंजूरी मई के मध्य तक दो चरणों में मिलती थी। मानसून जून में आने के साथ राज्य अधिकतर योजनाओं का क्रियान्वयन एवं खर्च अक्तूबर तक शुरू नहीं हो पाते थे। ऐसे में योजनाओं के क्रियान्वयन के लिए छह महीने का ही समय बचता था।
 
बजट को पहले से पेश किए जाने का मतलब है कि पूरी प्रक्रिया 31 मार्च तक संपन्न हो जाएगी और व्यय के साथ-साथ कर प्रस्ताव नए वित्त वर्ष की शुरुआत से ही अमल में आ जाएगा। इससे बेहतर क्रियान्वयन सुनिश्चित हो सकेगा।
 
इसके साथ ही रेलवे के लिए अलग से बजट पेश किए जाने की 92 साल पुरानी व्यवस्था को समाप्त कर दिया गया है और इससे संबंधित प्रस्ताव आम बजट का हिस्सा होगा।
 
इससे एक विनियोग विधेयक पेश करने की आवश्यकता होगी जिसमें रेल मंत्रालय का अनुमान शामिल होगा। इससे दो अलग-अलग विनियोग विधेयक पेश करने और उस पर विचार की आवश्यकता नहीं होगी। फलस्वरूप संसद का मूल्यवान समय बचेगा।
 
मंत्रिमंडल ने योजना एवं गैर-योजना व्यय के बीच अंतर को भी समाप्त करने को मंजूरी दे दी। मौजूदा व्यवस्था में योजना व्यय पर जोर होता था जबकि रखरखाव से जुड़े खर्च की अनदेखी होती थी जिसे गैर-योजना व्यय के नाम दिया गया था।
 
सरकार का यह मानना है कि कुल व्यय चाहे वह योजना हो या गैर-योजना, लोगों के लिए मूल्य का सृजन करता है। पहली बार योजना व्यय अलग से 1959-60 के बजट में पेश किया गया था। (भाषा)