कांग्रेस में एक बार फिर नए राष्ट्रीय अध्यक्ष को लेकर चर्चाएं और अटकलबाजी तेज हो गई है। राहुल गांधी के इस्तीफे के करीब 8 हफ्ते बीत जाने के बाद अब भी देश की सबसे पुरानी पार्टी में अध्यक्ष पद को लेकर असमंजस बरकरार है।
राहुल के इस्तीफे के बाद यह तय माना जा रहा है कि पार्टी को नया अध्यक्ष नॉमिनेट तरीके से नहीं बल्कि चुनाव के जरिए मिलेगा। संसद के मानसून सत्र के बाद कांग्रेस वर्किंग कमेटी की बैठक होने और उसमें नए अध्यक्ष के चुनाव को लेकर कोई फैसला होने की उम्मीद जताई जा रही है।
इस बीच पार्टी में एक बार फिर कई बड़े नेताओं ने गांधी परिवार से ही नए अध्यक्ष को बनाए जाने की मांग तेज कर दी है। पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने प्रियंका गांधी को कांग्रेस अध्यक्ष बनाए जाने की मांग की है।
अमरिंदर सिंह ने कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए प्रियंका को आर्दश उम्मीदवार बताया है। दूसरी ओर पूर्व केंद्रीय मंत्री शशि थरूर और केसी वेणुगोपाल ने पार्टी को युवा अध्यक्ष की जरूरत बताते हुए कहा कि प्रियंका गांधी अध्यक्ष पद के लिए बेहतर उम्मीदवार है और उनको उम्मीद है कि प्रियंका अध्यक्ष का चुनाव लड़ेंगी।
कांग्रेस के इन दिग्गज नेताओं की मांग के बाद यह सवाल भी खड़ा हो गया है कि क्या पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी इन 3 अहम फैक्टरों को दरकिनार कर कांग्रेस अध्यक्ष पद का चुनाव लड़कर पार्टी की सुप्रीम पावर बनेंगी।
प्रियंका के अध्यक्ष बनने के विरोध में राहुल : लोकसभा चुनाव में करारी हार के बाद इस्तीफा देने वाले कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी नहीं चाहते हैं कि पार्टी का अगला अध्यक्ष गांधी परिवार से हो।
राहुल गांधी ने पार्टी से गांधी परिवार से बाहर अपने लिए नया अध्यक्ष खोजने के लिए कहा था। राहुल ऐसे किसी नए अध्यक्ष को बनाए जाने के पक्ष में है जो सबको स्वीकार हो, ऐसे में इस बात की संभावना बहुत कम है कि भाई राहुल की मंशा को दरकिनार कर बहन प्रियंका कांग्रेस अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ें।
वंशवाद के चलते खारिज होने का डर : कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं की मांग पर अगर प्रियंका गांधी अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ने के लिए तैयार हो जाती हैं तो इस बात की पूरी संभावना है कि उनका चुनाव निर्विरोध तरीके से होगा यानी शायद ही कांग्रेस का कोई नेता उनके खिलाफ चुनाव लड़े। ऐसे में एक बार फिर कांग्रेस पर वंशवाद की राजनीति को बढ़ावा देने का आरोप लगेगा और भाजपा उस पर हमलावर होगी।
जब हाल के लोकसभा चुनाव में लोगों ने वंशवाद की राजनीति और उससे जुड़े चेहरों को बुरी तरह नाकारा है तो ऐसे में प्रियंका पर भी वंशवाद का आरोप लगकर खारिज होने का डर है और शायद ही पार्टी यह खतरा लें। ऐसे में फिर इस बात की संभावना कम हो जाती है कि प्रियंका कांग्रेस के अध्यक्ष पद का चुनाव लड़े।
प्रियंका की नजर मिशन 2022 पर : कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी इन दिनों उत्तरप्रदेश में मिशन 2022 में जुटी हुई नजर आ रही हैं। सूबे में 2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए प्रियंका पार्टी को नए सिरे से तैयार करने में जुटी हैं।
देश के इस सबसे बड़े सूबे में प्रियंका कांग्रेस को बूथ स्तर पर खड़ा करने की कोशिश में लगी हुई है। पार्टी ने लोकसभा चुनाव के बाद प्रियंका को पूरे उत्तरप्रदेश का जिम्मा सौंपकर आने वाले विधानसभा चुनाव की कमान एक तरह से उनके हाथों में सौंप दी है।
प्रियंका इन दिनों जिस तरह यूपी की योगी सरकार के खिलाफ हमलावर हैं और पिछले दिनों सोनभद्र मामले पर जिस तरह जमीनी संघर्ष का शंखनाद किया है उसके बाद राजनीति के जानकर इस बात का अनुमान लगा रहे हैं कि प्रियंका देश के सबसे बड़े सूबे में कांग्रेस को फिर से खड़ा कर पार्टी को एक नई संजीवनी देनी की कोशिश में है। ऐसे में इस बात की संभावना बेहद कम हो जाती है कि प्रियंका कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव लड़ेगी।