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Last Updated : शनिवार, 17 फ़रवरी 2018 (13:41 IST)

2050 तक दुनिया में सबसे ज्यादा होगी मुस्लिम जनसंख्या

2050 तक दुनिया में सबसे ज्यादा होगी मुस्लिम जनसंख्या - Pew Research Center's report
न्यूयॉर्क। अमेरिकी रिसर्च संस्था प्यू रिसर्च सेंटर ने अपने एक शोध में दावा किया है कि वर्ष 2050 तक दुनिया में मुस्लिम जनसंख्‍या में 73 फीसदी की बढ़त होगी और उनकी संख्या सर्वाधिक होगी। संस्था की ओर से कहा गया है कि ये आंकड़े पिछले कुछ वर्षों में एकत्रित किए गए हैं।
 
विदित हो कि इस समय दुनिया की पूरी जनसंख्या का 23 प्रतिशत हिस्सा रखने वाला इस्लाम धर्म आने वाले समय में दुनिया का सबसे बड़ा धर्म बन जाएगा। पिछले साल हुई एक पॉपुलेशन रिसर्च में सामने आया कि इस्लाम दुनिया के किसी भी धर्म से ज्यादा तेजी से बढ़ रहा है। 
 
रिसर्च एजेंसी का कहना है कि इसकी ग्रोथ रेट इतनी अधिक है कि 2050 तक यह 73 प्रतिशत तक पहुंच जाएगी और दुनिया में सबसे ज्यादा अपनाए जाने वाले धर्म क्रिश्चियनिटी को भी पीछे छोड़ देगा। 
 
वर्ष 2010 से लगातार जारी इस रिसर्च में यह तथ्य सामने आया है कि दुनिया में सबसे बड़ा धर्म क्रिश्चियनिटी (ईसाई धर्म) के 240 करोड़ से ज्यादा अनुयायी हैं। लेकिन हैरानी की बात यह है कि फिलहाल 160 करोड़ की जनसंख्या वाला इस्लाम ईसाई धर्म को पीछे छोड़कर नंबर वन बन जाएगा। इससे इसकी बढ़ने की गति का अंदाजा लगाया जा सकता है।
 
हिंदू धर्म के बारे में
 
दुनिया के तीसरे सबसे बड़ी धर्म को तो इन आंकड़ों के मुताबिक हिंदू धर्म को 120 करोड़ से ज्यादा लोग अपनाते हैं। हिंदू धर्म 16 प्रतिशत की रफ्तार से बढ़ रहा है जोकि 2050 तक 35 प्रतिशत तक होगी। वहीं इस्लाम 23 प्रतिशत से बढ़कर 73 प्रतिशत तक पहुंच चुका होगा।
 
प्यू की रिसर्च में सामने आया कि दुनिया में सबसे ज्यादा मुस्लिम जनसंख्या एशिया-पैसेफिक में रहती है। यानी कि पूरी मुस्लिम जनसंख्या का 62 प्रतिशत हिस्सा भारत, बांग्लादेश, पाकिस्तान, ईरान, इंडोनेशिया और टर्की में रहता है।
 
भारत में भी होगी सबसे ज्यादा मुस्लिम आबादी
 
इस समय दुनिया में सबसे ज्यादा मुस्लिम जनसंख्या इंडोनेशिया में पाई जाती है, लेकिन प्यू की रिसर्च के मुताबिक भारत इस मामले में नंबर वन बन जाएगा, लेकिन इसके बावजूद यहां सबसे ज्यादा जनसंख्या हिंदुओं की ही होगी।
 
रिसर्च के मुताबिक आने वाले समय में अन्य धर्मों में इतने व्यापक बदलाव देखने नहीं मिलेंगे। जबकि बताया जाता है कि बौद्ध धर्म में -3 से -7 पर्सेंट तक की गिरावट संभव है।