नई दिल्ली। वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने अर्थव्यवस्था के संकट में होने के विपक्ष के आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए लोकसभा में मंगलवार को कहा कि इसका प्रबंधन कुशल डॉक्टरों के हाथ में है तथा सरकार द्वारा उठाए गए स्पष्ट कदमों के कारण अर्थव्यवस्था में आरंभिक सुधार दिखाई दे रहे हैं।
लोकसभा में 2020-21 के केंद्रीय बजट पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए सीतारमण ने कहा कि मोदी सरकार वित्तीय अनुशासन की राह पर मजबूती से चलते हुए अर्थव्यस्था की गाड़ी के सभी इंजनों की गति बढ़ाने के प्रबंध किए हैं तथा महिलाओं, अनुसूचित जाति, जनजाति व बच्चों सहित समाज के अन्य सभी वर्गों के कल्याण के लिए निरंतर आवंटन बढ़ा रही है।
सीतारमण ने कहा कि मुद्रास्फीति औसतन 4.8 प्रतिशत रही है, फैक्टरी उत्पादन बढ़ा है, प्रत्यक्ष विदेशी निवेश और विदेशी मुद्रा भंडार बढ़ा है, जीएसटी राजस्व संग्रह बढ़ा है और यह पिछली तिमाही में हर महीने 1 लाख करोड़ रुपए से अधिक रहा है। आर्थिक क्षेत्र के हर मानदंडों पर अर्थव्यवस्था आगे बढ़ रही है।
वित्तमंत्री ने कहा कि अर्थव्यवस्था संकट में नहीं है। सरकार द्वारा उठाए गए स्पष्ट कदमों के कारण अर्थव्यवस्था आगे बढ़ रही है और अर्थव्यवस्था में सुधार दिखाई दे रहा है। उन्होंने इस बात पर खेद जताया कि सरकार के अच्छे प्रदर्शन को विपक्ष स्वीकार करने को तैयार नहीं है।
उन्होंने कहा कि सरकार ने आर्थिक वृद्धि को गति प्रदान करने के लिए अर्थव्यवस्था के 4 इंजनों की रफ्तार बढ़ाने पर काम को आगे बढ़ाया है जिसमें निजी उपभोग को बढ़ाना, सार्वजनिक एवं निजी निवेश बढ़ाना तथा निर्यात बढ़ाना शामिल है।
वित्तमंत्री ने कहा कि 2014 से अब तक हम वित्तीय अनुशासन (वित्तीय जवाबदेही बजट प्रबंधन अधिनियम) की सीमाओं में रहे हैं जबकि उससे पहले की सरकार का रिकॉर्ड इसके उलट रहा। जब वित्तमंत्री एफआरबीएम कानून का जिक्र कर रही थीं तो एआईएमआईएम सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि सरकार ने एफआरबीएम काउंसिल का गठन नहीं किया और केवल संसद से इसकी अनुमति ले ली।
इस पर वित्तमंत्री ने कहा कि संसद की अनुमति लेना क्या कम है? उन्होंने कहा कि एफआरबीएम कानून में किसी काउंसिल का प्रावधान नहीं है। 2017 में एफआरबीएम कमेटी ने इसका सुझाव दिया था और सरकार ने उसे स्वीकार नहीं किया था।
पूर्व वित्तमंत्री एवं कांग्रेस नेता पी. चिदंबरम के बयान के परोक्ष संदर्भ में सीतारमण ने कहा कि अर्थव्यवस्था का प्रबंधन काफी सक्षम डॉक्टरों की देखरेख में हो रहा है। उल्लेखनीय है कि चिदंबरम ने सोमवार को राज्यसभा में कहा था कि अर्थव्यस्था की हालत गंभीर है और इसका इलाज अनाड़ी डॉक्टर कर रहे हैं।
सीतारमण ने कहा कि वैश्विक धारणा भारत के पक्ष में है, विदेशी निवेशकों का भारत में विश्वास कायम है। इसी का परिणाम है कि अप्रैल से नवंबर 2019-20 के दौरान एफडीआई 24.4 अरब डॉलर रहा, जो इसी अवधि में 1 वर्ष पूर्व 21.2 अरब डॉलर रहा था।
साल 2024 तक 5,000 अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने का विश्वास व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा कि 2014-15 में देश की अर्थव्यवस्था 2,000 अरब डॉलर की थी, जो 2018-19 में 2,700 अरब डॉलर और 2019-20 में 2,900 अरब डॉलर हो गई। इस रफ्तार से अर्थव्यवस्था बढ़ रही है।
सरकार के कदमों का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि लंबे समय से निम्न मुद्रास्फीति तथा 7.4 प्रतिशत वार्षिक की औसत वृद्धि के साथ वृहद आर्थिक स्थित मजबूत है।
वित्तमंत्री ने कहा कि आरबीआई के अनुसार केंद्र सरकार की देनदारी कम होकर जीडीपी का 49.4 प्रतिशत हो गई, जो मार्च 2018 में जीडीपी का 52.2 प्रतिशत थी। उन्होंने कहा कि विदेशी मुद्रा भंडार मार्च 2019 में 413 अरब डॉलर के स्तर पर था, जो 24 जनवरी 2020 की स्थिति के अनुसार 466 अरब डॉलर पर पहुंच गया।
वित्तमंत्री ने राष्ट्रीय स्तर पर आधारभूत ढांचा क्षेत्र की वृहद परियोजनाओं की तैयार सूची (पाइपलाइन) का जिक्र करते हुए कहा कि सरकार आधारभूत ढांचे के विकास के लिए 2024-25 तक सालाना 100 लाख करोड़ रुपए से अधिक राशि निवेश करेगी।
उन्होंने कहा कि सरकार ने सार्वजनिक एवं निजी निवेश को बढ़ावा देने के लिए पर्याप्त कदम उठाए हैं, साथ ही उपभोग बढ़ाने की दिशा में भी पहल की है। कारोबारियों और एमएसएमई क्षेत्र सहित सभी पक्षकारों से चर्चा चल रही है और सभी आवश्यक कदम उठाए जा रहे हैं ताकि हर सेक्टर पर पर्याप्त ध्यान दिया जा सके।
सीतारमण ने कहा कि उपभोग बढ़ाने के लिए 2019-20 में सभी निर्धारित रबी और खरीफ फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य बढ़ाया गया है। रोजगार वृद्धि की दिशा में सरकार के कदमों का जिक्र करते हुए वित्तमंत्री ने प्रधानमंत्री रोजगार सृजन योजना, प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना, दीनदयाल अंत्योदय योजना, दीनदयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल योजना के तहत रोजगार के आंकड़ों का उल्लेख किया।
सीतारमण ने कहा कि बीएसई सेंसेक्स मार्च 19 से लेकर 31 जनवरी 2020 तक 5.6 प्रतिशत बढ़ गया, जो सरकार के अर्थव्यवस्था की मजबूती के लिए उठाए गए कदम उठाते हैं। दिसंबर 2019 में संसद द्वारा पारित दिवाला एवं शोधन अक्षमता संहिता (दूसरा संशोधन) विधेयक लाकर सरकार ने महत्वपूर्ण कदम उठाया। इससे कारोबारी सुगमता सुनिश्चित हुई है।
उन्होंने कहा कि दिवाला एवं शोधन अक्षमता संहिता के तहत फंसे कर्ज के 13,210 मामले लिए गए। इसमें से 190 मामलों में 3.67 लाख करोड़ रुपए के कर्ज का निपटारा किया गया है। उन्होंने कहा कि आयकर कानून में नए प्रावधान और कॉर्पोरेट कर में कमी ने भी मजबूती प्रदान की है।
वित्तमंत्री ने कहा कि हम यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि कॉर्पोरेट कर में कटौती एवं लाभांश वितरण कर समाप्त करने का फायदा कंपनियों, उपभोक्ताओं और छोटे निवेशकों को मिले। प्रधानमंत्री आवास ग्रामीण योजना के तहत 2022 तक 1.95 करोड़ घर गरीबों को दिए जाएंगे।
वित्तमंत्री ने कहा कि 'स्टैंड अप इंडिया' योजना के तहत अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और महिलाओं को 10 लाख से 1 करोड़ रुपए तक के ऋण देने की योजना को 2025 तक के लिए बढ़ाया गया है। सरकार ने 19-20 के बजट में किसी महत्वपूर्ण विभाग का आवंटन कम नहीं किया है।
मंत्री ने कहा कि मैं सदन को आश्वासन देना चाहती हूं कि हम किसी महत्वपूर्ण क्षेत्र का आवंटन कम नहीं करेंगे। वित्तमंत्री ने खपत बढ़ाने के लिए उठाए गए कदम गिनाते हुए कहा कि सभी जरूरी रबी व खरीफ फसलों के लिए एमएसपी बढ़ाया गया।
उन्होंने कहा कि अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, महिलाओं व बच्चों सभी के लिए आवंटन बढ़ाया गया है। सीतारमण ने कहा कि छोटे किसानों के लिए किसान सम्मान निधि योजना एक बड़ा कदम रही जिसके तहत अभी तक 8.1 करोड़ किसानों के खातों में 50 हजार करोड़ रुपए दिए जा चुके हैं और 31 मार्च 20 तक 8.5 करोड़ किसानों के खातों में 54 हजार करोड़ रुपए पहुंचाने की सरकार की योजना है।
वित्तमंत्री ने कहा कि सभी छोटे दुकानदारों, खुदरा विक्रेताओं के लिए 3,000 रुपए प्रतिमाह पेंशन का फैसला भी अर्थव्यवस्था को मजबूती प्रदान करने वाला बड़ा कदम है। उन्होंने निर्यात बढ़ाने के लिए उठाए गए कदम भी गिनाए। इसमें हस्तशिल्प उद्योग को ई-कॉमर्स से जोड़कर बाजार तक पहुंचाने के लिए प्रोत्साहित करने की योजना शामिल है तथा मैं सदन को आश्वासन देना चाहती हूं कि हम किसी महत्वपूर्ण क्षेत्र का आवंटन कम नहीं करेंगे।
सीतारमण ने कहा कि 2014-15 से आज तक प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार ने राजकोषीय अनुशासन की सीमाओं का अनुपालन किया है। मोदी सरकार के आने के समय राजकोषीय घाटा 4.1 प्रतिशत था लेकिन 2020-21 में इसके 3.5 प्रतिशत रहने का पूर्वानुमान लगाया गया है।
उन्होंने कहा कि संप्रग सरकार में 2008-09 में राजकोषीय घाटा जीडीपी के 6.1 प्रतिशत तक पहुंच गया था तथा उसके बाद के वर्षों में भी घाटा लगातार ऊंचा बना हुआ था। 2014 में यह जीडीपी के 4.1 प्रतिशत पर था। प्राथमिक घाटा मौजूदा सरकार में हर वर्ष 1 प्रतिशत से नीचे रहा है जबकि संप्रग में कभी एक से नीचे नहीं आ पाया।
वित्तमंत्री ने रोजगार बढ़ाने, मनरेगा में अधिक धन देने और युवाओं के लिए सरकार द्वारा उठाए गए कदम भी गिनाए। सदन में वित्तमंत्री के जवाब के दौरान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी उपस्थित थे। इस दौरान कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी भी मौजूद थीं। मंत्री के जवाब के बाद जब लोकसभा अध्यक्ष भोजनावकाश के लिए सदन की बैठक के स्थगन की घोषणा कर रहे थे तभी कांग्रेस सदस्यों ने असंतोष जताते हुए सदन से वाकआउट किया।