• Webdunia Deals
  1. समाचार
  2. मुख्य ख़बरें
  3. राष्ट्रीय
  4. Kuldeep Senger Political history
Written By
Last Modified: गुरुवार, 1 अगस्त 2019 (20:51 IST)

यूपी के बाहुबली विधायक कुलदीप सिंह सेंगर का राजनीतिक इतिहास

यूपी के बाहुबली विधायक कुलदीप सिंह सेंगर का राजनीतिक इतिहास - Kuldeep Senger Political history
यूपी की बांगरमऊ विधानसभा सीट से विधायक कुलदीप सिंह सेंगर को भाजपा ने पार्टी से निष्कासित कर दिया है। उन्नाव के बहुचर्चित दुष्कर्म कांड के आरोपी सेंगर सभी दलों की चौखट को चूम चुके हैं। सबसे पहले उन्होंने कांग्रेस का हाथ थामा, इसके बाद मायावती के 'हाथी' पर सवार हुए। फिर सपा की 'साइकिल' को अपनी राजनीति का हमसफर बनाया। आखिर में 2017 में भाजपा के टिकट पर विधायक बने। 
 
उन्नाव की दुष्कर्म पीड़िता की सड़क दुर्घटना के बाद सेंगर चौतरफा निशाने पर आ गए और इसके चलते भाजपा की भी काफी किरकिरी हुई। इस हादसे में पीड़िता चाची और मौसी की मौत हो गई, जबकि पीड़िता और उसका वकील गंभीर रूप से घायल हो गए। आइए जानते हैं यूपी के बाहुबली विधायक कुलदीप सिंह सेंगर का राजनीतिक इतिहास...
   
कुलदीप सिंह सेंगर ना तो संघ की शाखाओं में निखरे हैं और ना ही भारतीय जनता पार्टी के मूल्यों में उनकी कोई आस्था रही है। वे पूरी तरह से अवसरवादी राजनीति का चेहरा हैं।

कुलदीप सिंह की राजनीति की शुरुआत माखी ग्रामसभा के प्रधान के रूप में हुई थी। विधायक बनने से पहले वह तकरीबन 15 साल तक प्रधान रहे। माखी कुलदीप सिंह सेंगर का ननिहाल है।
 
कुलदीप सिंह सेंगर ने राजनीति की शुरुआत कांग्रेस से की थी। हालांकि, जब वर्ष 2002 में विधानसभा चुनाव आए, तो कुलदीप सिंह कांग्रेस का हाथ छोड़कर हाथी (बीएसपी) के साथ चल दिए। इसी वर्ष वह पहली बार उन्नाव सदर से बीएसपी के टिकट पर विधायक चुने गए थे। इसके बाद 2007 में जब बसपा ने पार्टी से निकाला तो सपा में शामिल हो गए और बांगरमउ से विधायक चुने गए।
 
सपा से मन भरने पर वह भाजपा में शामिल हो गए और 2017 में भगवंतनगर विधानसभा सीट से बीजेपी के विधायक बने।
 
पिछले 17 सालों में वे उन्नाव की तीन विधानसभा सीटों की तीन अलग अलग पार्टियों से नुमाइंदगी कर चुके हैं। उनका पूरे जिले में अच्छा प्रभाव रहा है। शायद इसी वजह से उन्नाव से सांसद चुने जाने के बाद साक्षी महाराज ने जेल में उनसे मुलाकात की थी।
 
कुलदीप सेंगर उस वक्त चर्चा में आए, जब उन पर और उनके भाई अतुल सिंह सेंगर पर 11 से 20 जून 2017 के बीच एक महिला ने सामूहिक दुष्कर्म करने का आरोप लगाया था। इसके बाद जब मामले ने तूल पकड़ा तो आरोपियों पर मामला दर्ज किया गया और इसकी जांच एसआईटी को सौंपी गई।
 
कुलदीप के भाई अतुल पर पीड़िता के पिता की जेल में घुसकर पिटाई करने का आरोप भी लगा। पीड़िता के पिता ने कुछ दिनों बाद इलाज के दौरान दम तोड़ दिया था। 
 
कुलदीप सिंह सेंगर की दबंगता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि बलात्कार के आरोपों के बाद भी वो कभी मुख्यमंत्री सचिवालय में खिलखिलाते नजर आते हैं तो कभी SSP के घर के बाहर कहते हैं कि आरोप ही लगा है, भगोड़ा तो नहीं हूं।
 
कुलदीप सिंह सेंगर, योगी आदित्यानाथ की बिरादरी से आते हैं। संयोग ऐसा है कि जिस थाने ने पीड़िता का मामला दर्ज नहीं किया था, वहां के थानेदार से लेकर जिला पुलिस प्रमुख से लेकर राज्य पुलिस के मुखिया तक, सब ठाकुर हैं।