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Last Modified: कोलकाता , रविवार, 6 अगस्त 2023 (20:05 IST)

Manipur Violence : इंफाल जाने से डर रहे कुकी विधायक, क्‍या विधानसभा सत्र में होंगे शामिल

Manipur Violence : इंफाल जाने से डर रहे कुकी विधायक, क्‍या विधानसभा सत्र में होंगे शामिल - Kuki MLAs unlikely to participate in upcoming assembly session in Manipur
Manipur News : मणिपुर में जारी जातीय हिंसा के मद्देनजर 21 अगस्त से शुरू होने वाले विधानसभा सत्र में विभिन्न दलों के ज्यादातर कुकी विधायकों के शामिल होने की संभावना नहीं है।मणिपुर की 60 सदस्‍यीय विधानसभा में कुकी-जोमी समुदाय के 10 विधायक हैं, जिनमें से 7 भाजपा के, 2 कुकी पीपुल्स अलायंस तथा एक निर्दलीय विधायक शामिल है।
 
कुकी समुदाय के नेताओं ने यह जानकारी दी। कुकी समुदाय के लोगों के लिए अलग प्रशासनिक इकाई की मांग सर्वसम्मति से खारिज करने के लिए जल्द विधानसभा सत्र बुलाए जाने की मांग का नेतृत्व कर रहे शीर्ष मेइती संगठन ‘सीओसीओएमआई’ ने हालांकि यह दावा किया कि अगर आदिवासी विधायक सत्र में भाग लेना चाहते हैं तो वे उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करेगा।
 
जातीय हिंसा से सबसे अधिक प्रभावित जिलों में से एक चुराचांदपुर से भारतीय जनता पार्टी के विधायक एलएम खाउते ने कहा, मणिपुर में कानून तथा व्यवस्था की मौजूदा स्थिति और निरंतर हिंसा के मद्देनजर मेरे लिए आगामी सत्र में भाग लेना संभव नहीं होगा।
 
उन्होंने कहा कि हिंसा तथा अलग प्रशासन के लिए कुकी समुदाय की मांगों पर कोई समाधान न निकाले जाने से सभी कुकी-जोमी-हमार विधायकों के लिए सत्र में भाग लेना संभव नहीं होगा। मणिपुर की 60 सदस्‍यीय विधानसभा में कुकी-जोमी समुदाय के 10 विधायक हैं, जिनमें से सात भाजपा के, दो कुकी पीपुल्स अलायंस तथा एक निर्दलीय विधायक शामिल है।
 
कुकी पीपुल्स एलायंस (केपीए) के अध्यक्ष तोंगमांग हाओकिप ने कहा, विधायकों के लिए इंफाल आना सुरक्षित नहीं होगा। थानलोन का प्रतिनिधित्व करने वाले भाजपा विधायक वुंगजागिन वाल्ते से वहां बुरी तरह मारपीट की गई, वह अब भी उपचार करा रहे हैं।
 
उन्होंने बताया, अगर विधायकों की सुरक्षा के लिए राज्य सरकार तथा केंद्र सरकार गारंटी दे और पर्याप्त कदम उठाए, तो इस चिंता से निपटा जा सकता है। विश्लेषकों का कहना है कि कुकी विधायकों की गैरमौजूदगी से पिछले तीन महीने से चल रहे जातीय संघर्ष पर कोई सार्थक चर्चा होने की संभावना नहीं है। इस हिंसा में 160 से अधिक लोगों की जान चली गई है।
 
कुकी इंपी मणिपुर (केआईएम), कुकी स्टूडेंट्स ऑर्गेनाइजेशन (केएसओ), कुकी चीफ्स एसोसिएशन (केएसएएम) और कुकी वुमेन यूनियन (केडब्ल्यूयू) समेत कुकी संगठनों ने विधायकों से विधानसभा सत्र में भाग लेने के लिए इंफाल जाने से बचने के लिए कहा है।
 
नगा जनजाति के एक शक्तिशाली निकाय ‘नगा होहो’ ने भी मणिपुर में 10 नगा विधायकों से विधानसभा सत्र में भाग न लेने के लिए कहा है और दावा किया कि मणिपुर सरकार नगा समूहों के साथ शांति वार्ता करने के खिलाफ काम करती रही है।
 
अदालत के एक फैसले को लेकर प्रदर्शनों के बाद मेइती तथा कुकी-जोमी समुदायों के बीच मई में हिंसा शुरू हुई। अदालत का फैसला इंफाल घाटी में रहने वाले बहुसंख्यक मेइती के पक्ष में था जो अनुसूचित जनजाति का दर्जा दिए जाने की मांग कर रहे हैं। अनुसूचित जनजाति का दर्जा अभी कुकी-जोमी तथा नगा आदिवासियों को हासिल है।
 
कुकी समुदाय के 10 विधायकों ने कुकी इलाकों के लिए अलग प्रशासनिक क्षेत्र बनाए जाने का अनुरोध करते हुए केंद्र सरकार को एक अर्जी भेजी है। कुकी नेता तथा भाजपा विधायक पाओलिनलाल हाओकिप एक कदम आगे चले गए हैं और उन्होंने कहा कि राज्य के जातीय संघर्ष का समाधान तीन अलग केंद्र शासित प्रदेश बनाने से ही संभव होगा।
 
‘कोऑर्डिनेटिंग कमिटी ऑन मणिपुर इंटेग्रिटी’ (सीओसीओएमआई) आरोप लगाती रही है कि कई कुकी लोग उत्तर-पश्चिमी म्यांमार से आए अवैध शरणार्थी हैं तथा कई कुकी ग्रामीण पर्वतीय क्षेत्रों में स्थित खेतों में अफीम की खेती करते हैं।

उसके प्रवक्ता खुरईजम अथूबा ने कहा, अगर वे (कुकी विधायक) वाकई आना चाहते हैं तो हम उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करेंगे। बहरहाल, वह अपनी बात पर अड़े रहे कि विधानसभा को मणिपुर की अखंडता के पक्ष में सर्वसम्मति से एक फैसला लेना चाहिए।
Edited By : Chetan Gour (भाषा)