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Last Updated : बुधवार, 28 फ़रवरी 2018 (18:42 IST)

कांची पीठ के शंकराचार्य जयेंद्र सरस्वती का निधन

कांची पीठ के शंकराचार्य जयेंद्र सरस्वती का निधन - Kanchi Shankaracharya Jayendra Saraswati passes away
कांचीपुरम। कांची शंकर मठ के प्रमुख शंकराचार्य जयेंद्र सरस्वती का बुधवार को दिल का दौरा पड़ने के बाद निधन हो गया। वह 83 वर्ष के थे। पिछले कुछ महीनों से बीमार शंकराचार्य को सुबह सांस की तकलीफ होने पर कांचीपुरम स्थित एक निजी अस्पताल ले जाया गया, जहां उन्होंने अंतिम सांसे ली। उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने कांची मठ के प्रमुख शंकराचार्य जयेंद्र सरस्वती के निधन पर आज शोक जताया और आध्यात्मिकता के प्रसार में उनके योगदान को याद किया।

उन्होंने ट्वीट किया, 'कांची पीठाधिपति श्री जयेंद्र सरस्वती को मेरी श्रद्धांजलि। उन्होंने मोक्ष प्राप्त किया। मानव कल्याण और आध्यात्मिकता के प्रसार में उनका योगदान अन्य के लिए हमेशा प्रेरणा बना रहेगा।' प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि शंकराचार्य अपनी अनुकरणीय सेवा और पावन विचारों के चलते लाखों अनुयायियों के मन-मस्तिष्क में हमेशा जीवित रहेंगे। मोदी ने ट्विटर पर लिखा, 'जगदगुरु पूज्यश्री जयेंद्र सरस्वती शंकराचार्य अनगिनत सामुदायिक सेवा पहलों के अगुवा थे। उन्होंने उन संस्थानों को बढ़ावा दिया जिन्होंने गरीबों और वंचित तबके के लोगों की जिंदगी बदल दी।'
 
जयेंद्र सरस्वती देश के सबसे पुराने मठों में से एक के प्रमुख थे और वह काफी लंबे समय से इस पद पर आसीन थे। वह चंद्रशेखरेंद्र सरस्वती स्वामीगल के बाद इस शैव मठ के प्रमुख बने थे। शंकराचार्य को वर्ष 2004 में तत्कालीन जे जयललिता सरकार ने कांचीपुरम के भगवान वरदराजा मंदिर के प्रबंधक शंकरामण हत्या कांड में गिरफ्तार भी किया था लेकिन 2013 में एक अदालत ने उन्हें रिहा कर दिया।  शंकराचार्य आचार्य सरस्वती वर्ष 1994 में कांची पीठ के 69वें प्रमुख बनाए गए थे। अपने पूर्ववर्तियों से हटकर आचार्य ने धार्मिक जीवन के साथ-साथ सार्वजनिक जीवन में भी रुचि लेते थे। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी कार्यकाल के दौरान अयोध्या मामले के हल को लेकर किए अपने प्रयासों के लिए भी आचार्य सरस्वती जाने जाते हैं। हालांकि वह प्रयास भी अन्य प्रयासों की तरह विफल रहा था।