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Last Updated : शनिवार, 14 जनवरी 2023 (08:14 IST)

जोशीमठ संकट, इसरो की तस्वीरों ने बढ़ाई चिंता, सुरक्षित स्थानों पर जा रहे हैं प्रभावित

जोशीमठ संकट, इसरो की तस्वीरों ने बढ़ाई चिंता, सुरक्षित स्थानों पर जा रहे हैं प्रभावित - joshimath crisis : people moving on safe places
देहरादून। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) द्वारा शुक्रवार को जारी उपग्रह तस्वीरों में जोशीमठ में पिछले 12 दिनों में भूधंसाव की गति​ बढ़ने की बात सामने आने से चिंता बढ़ गई है। इस बीच 'असुरक्षित' घोषित दो होटलों को ढहाए जाने और प्रभावित लोगों के सुरक्षित स्थानों पर जाने का सिलसिला जारी है।
 
राज्य मंत्रिमंडल ने प्रभावित लोगों को राहत पहुंचाने के लिए कई निर्णय लिए जिनमें उनके मकानों के किराए की धनराशि बढ़ाकर 5000 रुपए प्रतिमाह करना, उनके बिजली-पानी के बिल छह माह की अवधि के लिए माफ करना तथा बैंको से उनके ऋणों की वसूली एक साल तक स्थगित रखना शामिल है।
 
इस बीच, रूड़की स्थित केंद्रीय भवन अनुसंधान संस्थान (CBRI) की तकनीकी निगरानी में, दरारों के कारण ऊपरी हिस्से से एक दूसरे से खतरनाक तरीके से जुड़ गए दो होटलों- सात मंजिला ‘मलारी इन’ और पांच मंजिला ‘माउंट व्यू’ को तोड़ने की कार्रवाई जारी रही। इन दोनों होटलों के कारण उनके नीचे स्थित करीब एक दर्जन घरों को खतरा उत्पन्न हो गया था।
 
उधर, चमोली में जिला आपदा प्र​बंधन प्राधिकरण ने बताया कि जोशीमठ के 25 और परिवारों को शुक्रवार को अस्थाई राहत शिविरों में स्थानांतरित किया गया। हालांकि, उन भवनों की संख्या अभी 760 ही है जिनमें दरारें आई हैं और इनमें से 147 को असुरक्षित घोषित किया गया है।
 
वहीं मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि अब तक जोशीमठ के 90 परिवारों को 'स्थानांतरित' किया गया है। उन्होंने फिर साफ किया कि अभी किसी के मकान को तोड़ा नहीं जा रहा है और केवल आवश्यकतानुसार उन्हें खाली करवाया जा रहा है। इस संबंध में उन्होंने कहा कि जोशीमठ में सर्वेंक्षण करने वाले दल अपना काम कर रहे हैं। 
 
जोशीमठ में भूधंसाव ‘प्राकृतिक आपदा’ : उत्तराखंड सरकार ने कहा जोशीमठ में भूधंसाव को ‘प्राकृतिक आपदा’ करार दिया। प्रदेश के मुख्य सचिव सुखबीर सिंह संधु ने कहा कि प्राकृतिक आपदा वही है जो मानव-जनित ना हो। इसे (जोशीमठ में भूधंसाव को) प्राकृतिक आपदा ही कहेंगे।
 
मुख्य सचिव ने कहा कि अब तक जो रिपोर्ट आ रही हैं, उनके अनुसार जोशीमठ के नीचे कठोर चट्टान नहीं है और इसलिए वहां भूधंसाव हो रहा है। उन्होंने कहा कि यही कारण है कि जिन शहरों के नीचे कठोर चट्टानें हैं, वहां जमीन धंसने की समस्या नहीं होती है। 1976 में भी जोशीमठ में थोड़ी जमीन धंसने की बात सामने आई थी।

इस बीच, मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में हुई राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में जोशीमठ में भूधंसाव से प्रभावित लोगों को राहत पहुंचाने के लिए एक सप्ताह के भीतर राहत पैकेज प्रस्ताव तैयार कर केंद्र को भेजने तथा उन्हें मकान के किराए के रूप में दी जाने वाली धनराशि बढ़ाकर पांच हजार रुपये प्रतिमाह करने का निर्णय लिया गया।
 
प्रदेश के मुख्य सचिव सुखबीर सिंह संधु ने कहा कि जोशीमठ में राज्य सरकार के संसाधनों से अल्पकालिक एवं मध्यकालिक कार्य जारी रहेंगे जिन पर होने वाले व्यय का समायोजन केंद्र से राहत पैकेज मिलने पर किए जाने को भी मंत्रिमंडल ने मंजूरी दे दी।
 
उधर, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन द्वारा जारी उपग्रह तस्वीरों में जोशीमठ नगर के केवल 12 दिनों में 5.4 सेंटीमीटर तक धंसने की बात सामने आने से चिंता बढ़ गई है।
 
इसरो के राष्ट्रीय सुदूर संवेदन केंद्र द्वारा किए गए प्रारंभिक अध्ययन में कहा गया है कि अप्रैल से नवंबर 2022 के बीच जोशीमठ में भूधंसाव की दर धीमी रही जब वह 8.9 सेंटीमीटर नीचे धंसा। हालांकि, 27 दिसंबर 2022 से आठ जनवरी 2023 के बीच जोशीमठ में भूधंसाव की दर बढ़ गई और केवल 12 दिनों में यह 5.4 सेंटीमीटर धंस गया।