चंडीगढ़। जाट नेताओं ने रविवार को हरियाणा में एक बार फिर आरक्षण आंदोलन की शुरुआत कर दी है जिसके चलते कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए राज्य पुलिस के बड़े दस्तों के साथ-साथ 5,000 से ज्यादा अर्द्धसैन्य बल के जवानों को तैनात किया गया है।
रोहतक जिले के जसिया गांव में जाट नेताओं ने हवन करके आंदोलन की शुरुआत की। यह गांव फरवरी के आंदोलन के दौरान हुई हिंसा का केंद्र रहा था।
अखिल भारतीय जाट आरक्षण संघर्ष समिति (एआईजेएएसएस) के प्रति निष्ठा व्यक्त करते हुए जाटों ने जसिया के ठीक बाहर रोहतक-पानीपत राजमार्ग पर शिविर लगा रखा है। इस आंदोलन का आह्वान करने वाली एआईजेएएसएस राज्य के 21 जिलों में से 15 जिलों में धरना प्रदर्शन कर रही है।
हिसार में एआईजेएएसएस के अध्यक्ष रामभगत मलिक ने कहा कि हम शांतिपूर्ण ढंग से धरना करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। कई अन्य नेताओं ने भी ऐसे ही विचार व्यक्त किए हैं।
जसिया में एक जाट नेता ने कहा कि आरक्षण की मांग के साथ-साथ वे पिछले आंदोलन के दौरान समुदाय के सदस्यों के खिलाफ दर्ज किए गए झूठे पुलिस मामलों को वापस लिए जाने, मारे गए लोगों को शहीद का दर्जा दिए जाने, उनके परिजन को नौकरी दिए जाने और घायलों को मुआवजा दिए जाने की भी मांग करते हैं।
केंद्रीय बलों ने राज्य पुलिस के साथ मिलकर कई संवेदनशील शहरों में फ्लैग मार्च निकाले हैं। इनमें रोहतक, सोनीपत, भिवानी, हिसार, जींद, कैथल और झज्जर शामिल हैं। अर्द्धसैन्य बल और राज्य पुलिस राष्ट्रीय राजमार्गों पर और रेल की पटरियों पर नजर बनाए हुए हैं। पिछले आंदोलन के दौरान प्रदर्शनकारियों ने इन्हें अवरुद्ध कर दिया था।
हरियाणा के अतिरिक्त प्रमुख सचिव (गृह) रामनिवास ने कहा कि संवेदनशील जिलों में सीआरपीएफ, आरएएफ, आईटीबीपी और बीएसएफ से अर्द्धसैन्य बलों की कुल 55 कंपनियां तैनात की गई हैं। एक कंपनी में लगभग 100 जवान होते हैं।
रामनिवास ने कहा कि धरनों के लिए क्षेत्रों को चिन्हित कर लिया गया है और जो कोई भी कानून का उल्लंघन करने वाली गतिविधि में लिप्त पाया जाता है, उससे सख्ती के साथ निपटा जाएगा तथा स्थिति का निरीक्षण करने के लिए चंडीगढ़ में 24 घंटे सक्रिय रहने वाले नियंत्रण कक्ष की स्थापना की गई है।
अधिकारियों ने कहा कि मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर, मुख्य सचिव, गृह सचिव, राज्य डीजीपी समेत वरिष्ठ अधिकारी स्थिति पर करीबी नजर रख रहे हैं।
खट्टर ने पहले कहा था कि जाट नेताओं ने उन्हें यह आश्वासन दिया था कि वे शांतिपूर्ण तरीके से धरने देंगे। खट्टर ने समुदाय के नेताओं से अपील की थी कि वे कानून-व्यवस्था बनाए रखने में सहयोग करें।
सोनीपत जिले में पश्चिमी यमुना नहर की सुरक्षा के लिए पुलिस और अर्द्धसैन्य बलों को तैनात किया गया है। प्रदर्शनकारियों ने आंदोलन के दौरान मुनक नहर के एक चैनल को नुकसान पहुंचाकर राष्ट्रीय राजधानी को की जाने वाली जल आपूर्ति बाधित कर दी थी। (भाषा)