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Written By Author सुरेश एस डुग्गर

जम्मू कश्मीर : पर्यटकों को लुभा रहे हैं नए डेस्टिनेशन

Jammu and Kashmir
चमलियाल सीमा चौकी (जम्मू कश्मीर)। राज्य में ढलते आतंकवाद और दोनों मुल्कों के बीच दूरियों के खत्म होने का नतीजा है कि अब राज्य में आने वाले टूरिस्टों के लिए नए डेस्टीनेशन भी खुलने लगे हैं। जो नए डेस्टीनेशन टूरिस्ट डेस्टीनेशनों के तौर पर सामने आए हैं उनके प्रति अभी तक इसलिए सोचा भी नहीं जा सकता था क्योंकि ये एलओसी अर्थात लाइन आफ कंट्रोल और इंटरनेशनल बॉर्डर पर स्थित हैं।
टूरिस्टों ने इनका लाभ उठाना भी आरंभ कर दिया है। जो सड़क मार्ग जम्मू से होकर पाकिस्तान के सियालकोट तक जाता है उसके रास्ते में सीमा पर पड़ने वाली सीमा चौकी सुचेतगढ़ अर्थात आक्ट्राय पोस्ट पर तो अब टूरिस्टों का मेला लगने लगा है। यह बात अलग है कि आए दिन वहां पर पर्यटकों की भीड़ के कारण सीमा चौकी की रखवाली करने वाले बीएसएफ जवानों को दिक्कत तो हो रही है पर पर्यटकों के दौरों से वीरान सीमा चौकी पर आने वाली बहार उन्हें भी खुशी दे रही है।
 
देश के बंटवारे के पूर्व इस सड़क के रास्ते ट्रेन भी पाकिस्तान के सियालकोट तक जाती थी। यह सड़क मार्ग आज भी दमदार हालात में इसलिए है क्योंकि इसका इस्तेमाल आज भी यूएनओ द्वारा इस्तेमाल किया जा रहा है। हालांकि इस सड़क मार्ग को अगर व्यापार व लोगों के आवागमन के लिए खोलने की मांग की जा रही है तो रेल को भी बहाल करने की मांग है।
 
आक्ट्राय बार्डर पोस्ट के रूप में टूरिस्टों के लिए खोले गए नए डेस्टीनेशनों से अधिकारी भी खुश हैं। यही कारण है कि वे अब पुंछ में चक्कां-दा-बाग, उड़ी-मुज्जफराबाद मार्ग पर अमन सेतु, चमलियाल मेला और आरएस पुरा के संगराल इलाके के नौ गजिया पीर के स्थान को भी टूरिस्ट डेस्टीनेशनों के तौर पर बदलने की तैयारी में जुटे हुए हैं।
 
अधिकारी कहते हैं कि इनमें से चक्कां-दा-बाग तथा अमन सेतू को वाघा बार्डर की ही तरह तैयार किया जा रहा है ताकि आने वाले उन दृश्यों को अपनी आंखों से देख सकें जो बिछुड़े परिवारों के मिलने और बिछुड़ने के दौरान होता है। जबकि नौ गजिया पीर पर पहले साल में एक बार तो अब महीने में एक बार मेला लगता है जिसमें अक्सर पाकिस्तानी रेंजर भी शिरकत करते हैं।
 
ठीक इसी प्रकार चमलियाल सीमा चौकी पर साल में एक बार लगने वाले मेले का भी लुत्फ अब आने वाले टूरिस्ट उठा पाएंगे। इसके लिए जम्मू टूरिज्म विभाग द्वारा की गई तैयारियां अंतिम दौर में हैं जिनमें टूरिस्टों के रहने के लिए व्यवस्था भी की जा रही है। इंटरनेशनल बार्डर के दोनों ओर लाखों लोगों की आस्था के केन्द्र बाबा चमलियाल में आने वाले श्रद्धालुओं को बेहतर सुविधाएं उपलब्ध कराने के उद्देश्य से सरकार ने चमलियाल को टूरिस्ट विलेज के रूप में विकसित करने का फैसला किया था। केन्द्र की ओर से प्रायोजित इस योजना के तहत चमलियाल को 3.5 करोड़ रुपए की लागत से विकसित किया जा चुका है।
 
पर्यटन विभाग के डिप्टी डायरेक्टर कहते हैं कि टूरिस्ट विलेज प्रोजेक्ट के तहत यहां पर एक टूरिस्ट रिसेप्शन सेंटर (टीआरसी) स्थापित किया गया है, जिसमें श्रद्धालुओं के ठहरने के लिए कमरे व एक बड़ा हाल है। इसके अलावा वीआईपी लोगों के लिए फैमिली सुईट भी है। इसके लिए यहां पर 25 कनाल जमीन पर यह ढांचा तैयार किया जाएगा। इसके अलावा क्षेत्र के सौंदर्यीकरण पर भी खर्च किया गया है।