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Last Updated : बुधवार, 26 जुलाई 2017 (11:24 IST)

भारत-चीन सीमा : क्या है डोकलाम पठार विवाद?

भारत-चीन सीमा : क्या है डोकलाम पठार विवाद? - Indo-China doklam plateau
कुछेक सप्ताह पहले जून 2017 में भारत और चीन के सैनिकों के बीच भूटान की सीमा पर धक्कामुक्की हुई जो कि भूटान की भारत में लगती सीमा पर नाथूला और अन्य स्थानों पर देखी गई। यह स्थिति अभी भी समाप्त नहीं हुई है। चीन के सैनिक भूटान की जमीन से सड़कें बनाने की कोशिश रहे हैं जबकि भारतीय सैनिक उन्हें ऐसा करने से रोक रहे हैं। विदित हो कि चीन ने भूटान के पूर्व में चुम्बी घाटी तक सड़क बना ली है और यहां एक नदी भी है जिसे ऐमेचो नदी कहा जाता है। इस इलाके को चुम्बी नदी घाटी के नाम से जाना है। 
 
यह स्थान भारतीय सीमा के बेहद करीब है। भूटान की तुलना में चीन की आबादी 1500 गुना ज्यादा है और यह 250 गुना बड़े भूभाग वाला देश है। लेकिन चीनी सैनिक डोकलाम पठार पर कब्जा करना चाहते हैं, जोकि चीन और भारत को पूर्व में भूटान तथा पश्चिम में सिक्कम से अलग करता है। यहां का नाथूला क्षेत्र भारत की जमीन पर है लेकिन चूंकि भूटान की सामरिक रक्षा के लिए भारत जिम्मेदार है इसलिए हम आपको बता देना चाहते हैं कि पहले और इस समय कहां, क्या हो रहा है? भारत और चीनी सैनिकों के बीच शक्तिप्रदर्शन पिछले कई सप्ताहों से चल रहा है जोकि अभी तक समाप्त नहीं हुआ है। 
 
अब इस इलाके की भौगोलिक स्थिति को समझ लीजिए कि जो झड़पों के मूल में है। चीन इस क्षेत्र में भूटान से होकर सड़कों का ऐसा जाल बिछाना चाहता है ताकि यह भूटान के उस इलाके पर कब्जा कर सके जिसे डोकलाम का पठार कहा जाता है। यह पहाड़ी क्षेत्र में ऐसा इलाका है जो कि 18 किमी चौड़ा और 20 किमी लम्बा चौरस और पहाड़ पर समतल इलाका है अगर चीन, भूटान की जमीन और भारत के ऊंचाई पर कब्जे वाले भूभाग पर कब्जा कर सकता है जिसे डोकलाम का पठार कहा जाता है। 
 
पांच कोणों से बना यह आयताकार इलाका सामरिक दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि इस समय भारत का कब्जा है। उंचाई पर होने के कारण यह भारतीय फौजों के लिए अहम है। अगर चीन भूटान के बीच से सड़कें बना लेता है तो दूसरी ओर भारत का समूचा पूर्वोत्तर क्षेत्र हथिया सकता है। यहां से यह समूचे पूर्वोत्तर क्षेत्र और बंगाल के सिलिगुड़ी के उस 'च‍िकन नेक' क्षेत्र पर कब्जा कर सकता है जहां से दक्षिण में भारत का समूचा पूर्वोत्तर क्षेत्र उसके कब्जे में आ सकता है। 
 
इसलिए भारत नहीं चाहता है कि चीन, भूटान जैसे छोटे और कमजोर देश को डरा धमका कर इस समूचे भौगोलिक क्षेत्र पर कब्जा कर ले। यह पठार सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण ऐसी स्थिति में है जहां से चीन न केवल भूटान वरन भारत के पूर्वोत्तर राज्यों के समूचे क्षेत्र को हथिया सकता है, इसलिए भारतीय सैनिक इसे चीन के रहमो करम पर नहीं छोड़ सकते हैं। 
 
अगर चीन इस क्षेत्र पर कब्जा कर लेता है जोकि सीमा पर एस टू थ्री जीरो फोर नामक प्रमुख सड़क है।  अगर चीन, डोकलाम पठार पर कब्जा कर लेता है तो भारत का समूचा पूर्वोतर क्षेत्र और भूटान ड्रैगन की पहुंच के भीतर होगा।