गुरुवार, 25 अप्रैल 2024
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Written By अवनीश कुमार

यहां मिला था हनुमानजी को जीवनदान...

यहां मिला था हनुमानजी को जीवनदान... - Hanumanji
लखनऊ। आज हम आपको एक ऐसे मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं जिस मंदिर के बारे में पढ़ने के बाद आप भी एक बार इस भव्य मंदिर के दर्शन करने के लिए समय जरूर निकालेंगे। ऐसा हम नहीं कह रहे यहां पर दर्शन करने आए लोगों की आस्था कह रही है। मैं तो अर्धकुंभ की तैयारियों को लेकर इलाहाबाद खबर बनाने के लिए पहुंचा था लेकिन इलाहाबाद के इस मंदिर से जुड़ी जानकारी सुन मैं भी जाने को मजबूर हो गया और मौके पर जा जो कुछ मैंने जाना वह समझा वह मैं आपको बताने जा रहा हूं।
 
उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ से लगभग 350 किलोमीटर दूर इलाहाबाद में स्थित लेटे हुए हनुमान जी के बारे में दूर-दूर तक किस्से और कहानियां फैली हुई है जिसको जितना पता है वह उतनी कहानियां इस मंदिर के बारे में बताता है लेकिन जब वेबदुनिया की टीम इस मंदिर  के बारे में जानने के लिए पहुंची तो यहां पर मंदिर मैं मौजूद पुजारियों ने जो कुछ भी इस मंदिर के बारे में बताया वह बेहद चौंकाने वाला था।
 
सबसे बड़ी बात जो खुलकर सामने आई वह यह थी कि जब राम भक्त हनुमान अपने जीवन की जंग लड़ रहे थे तब उन्हें पुनःजीवनदान यहीं पर प्राप्त हुआ था पुजारियों ने बताया कि धर्म की नगरी इलाहाबाद में संगम किनारे शक्ति के देवता हनुमान जी का यह एक अनूठा मन्दिर है।
 
इस मंदिर की सबसे खास बात यह है कि पूरे भारत में यह एक ऐसा एकलौता मंदिर है जहां पर राम भक्त हनुमान जी की  प्रतिमा लेटी हुई है हनुमान जी की अनूठी प्रतिमा को संगम नगरी प्रयाग का कोतवाल होने का दर्जा भी हासिल है।
 
मंदिर के पुजारी ने बताया की पूर्वजों के द्वारा सुनाई गई कथाओं के अनुसार लंका विजय के बाद भगवान् राम जब संगम स्नान कर भारद्वाज ऋषि से आशीर्वाद लेने प्रयाग आए तो उनके सबसे प्रिय भक्त हनुमान जी इसी जगह पर शारीरिक कष्ट से पीड़ित होकर मूर्छित हो गए।
 
पवन पुत्र को मरणासन्न देख मां जानकी ने उन्हें अपनी सुहाग के प्रतिक सिन्दूर से नई जिंदगी दी और हमेश स्वस्थ एवं आरोग्य रहने का आशीर्वाद प्रदान किया। मां जानकी द्वारा सिन्दूर से जीवन देने की वजह से ही बजरंग बली को सिन्दूर चढ़ाए जाने की परम्परा है।
 
मंदिर के पुजारी ने बताया कि 1400 इसवी में जब भारत में औरंगजेब का शासन काल था तब उसने इस प्रतिमा को यहां से हटाने का प्रयास किया था। करीब 100 सैनिकों को इस प्रतिमा को यहां स्थित किले के पास के मन्दिर से हटाने के काम में लगा दिया था। कई दिनों तक प्रयास करने के बाद भी प्रतिमा टस से मस न हो सकी। सैनिक गंभीर बिमारी से ग्रस्त हो गए। मजबूरी में औरंगजेब को प्रतिमा को वहीं पर छोड़ना पड़ा।
 
संगम आने वाल हर एक श्रद्धालु यहां सिंदूर चढ़ाने और हनुमान जी के दर्शन को जरुर पहुंचता है। बजरंग बली के लेटे हुए मन्दिर मे पूजा-अर्चना के लिए हर रोज ही देश के कोने-कोने से हजारों भक्त आते हैं और तो और अभी कुछ दिन पूर्व ही उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी यहां पर माथा टेक कर गए हैं।
 
पुजारी ने कहा इस मंदिर के लिए यह कोई नई बात नहीं है। अगर अतीत के पन्नों पर नजर डालें तो राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के साथ साथ पंडित नेहरू, इंदिरा गांधी, राजीव गांधी, सरदार बल्लब भाई पटेल और चन्द्र शेखर आज़ाद जैसे तमाम विभूतियों ने यहां पूजा-अर्चना की है।
 
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