-कल्याणी देशमुख
इस वर्ष कोरोनावायरस (Coronavirus) संक्रमण के चलते गुजरात सरकार ने प्रदेश की शान ‘गरबा’ पर प्रतिबंध लगा दिया है। इस कारण गरबा आयोजकों और व्यापारियों को आर्थिक दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। एक अनुमान के अनुसार इससे करीब 450 करोड़ रुपए का नुकसान होगा। वहीं, 10 हजार से अधिक लोगों का रोजगार भी जा सकता है।
वडोदरा के खत्रिपोल इलाके में रहने वाली अक्षिता देसाई का कहना है कि वह गरबे पर हर साल 5,000 रुपए खर्च करती हैं। लेकिन, जिन लोगों में 9 दिनों तक गरबा खेलने का उत्साह है, उनके लिए खर्च महत्वपूर्ण नहीं है। ग्रुप में सहेलियों के साथ गरबा खेलने जाना, खाना-पीना बहुत आनंद देता है। इस साल ये नौ दिन खाली-खाली महसूस होंगे।
गरबे का सबसे ज्यादा क्रेज वडोदरा शहर में देखने को मिलता है। यहां जितनी युवतियां गरबा करती हैं, उतने ही युवक भी तैयारियां करते हैं। अगर युवतियों ने नौ दिनों के लिए अलग-अलग ड्रेस और गहने खरीदे हैं अथवा किराए पर लिए हैं तो युवा भी कुर्ते, दुपट्टे, कोट, मोजड़ियां और पगड़ी आदि पर उतना ही पैसा खर्च करते हैं।
गरबा ड्रेस के पीछे एक युवक औसत 5 हजार रुपए खर्च करता है। वहीं, एक युवती केवल चनियाचोली पर 8 हजार रुपए खर्च कर देती है। वडोदरा में ऐसे लोग भी हैं जो चनियाचोली पर ही एक से दो लाख रुपए खर्च करते हैं। छोटे खिलाड़ियों के पास 1200 से 3000 रुपए तक का बजट होता है। अन्य लोग 1,200 से 2,500 रुपए प्रति ड्रेस का किराया देने में भी संकोच नहीं करते।
इतना ही नहीं, विदेश में रहने वाले अपने रिश्तेदारों को भी वडोदरा से ड्रेसेस भेजी जाती हैं। इस तरह देखा जाए तो वडोदरा के लोग नवरात्रि में ड्रेसेस पर 200 करोड़ रुपए खर्च कर देते हैं।
खानपान व्यवसाय पर असर : नवरात्रि में खानपान का व्यवसाय खूब फलता-फूलता है। ऐसे में इस सेक्टर में 5 करोड़ रुपए का नुकसान होने का अनुमान है। एक कपल या गरबा खिलाड़ी खाने-पीने पर 150 से लेकर 1,000 रुपए तक खर्च करता है। जबकि, एक बैच में 5 से 10 हजार लोग एक साथ गरबा करते हैं। जैसे ही एक बैच का डांडिया समाप्त होता है, वे फूड जोन की ओर दौड़ लगाते हैं।
साउंड एंड डेकोरेशन : ऑडियो सिस्टम ऑपरेटर प्रतिदिन 5,000 रुपए तक चार्ज वसूलते हैं। ये वे लोग हैं जो शहर के मध्यम और छोटे गरबा मंडलों को सेवाएं प्रदान करते हैं। इस तरह साउंड, लाइटिंग एंड डेकोरेशन के बिजनेस को 4 से 5 करोड़ रुपए के नुकसान का अनुमान है।
इसके अलावा मूर्तिकारों, कुम्हारों सहित कई लोग नवरात्रि में बिजी रहते हैं, इनमें गरबी, कुम्हार, दर्जी, कढ़ाई करने वाले, छोटे आर्टिफिशियल आभूषण बनाने वाले, ब्यूटी पार्लर वाले, फूल बनाने वाले और मोजड़ियां बेचने वाले लोग होते हैं। नवरात्रि में इन सभी का कारोबार लगभग 5 करोड़ रुपए का होता है, जो इस बार प्रभावित रहेगा।
अन्य खर्च : गरबा प्लानिंग, लाइट बिल के लिए 2 करोड़ रुपए। सिक्योरिटी के लिए 1.60 करोड़ रुपए। पेट्रोल-डीजल के लिए 20 करोड़ तो पुरस्कार के लिए 150 करोड़ रुपए। उपहार के लिए 1.40 करोड़, वीडियो रिकॉर्डिंग के लिए 2 करोड़, दवा के लिए 1 करोड़ रुपए का कारोबार इस दौरान होता है।
वडोदरा के कारेलीबाग इलाके में रहने वाले हर्ष व्यास का कहना है कि उन्हें इस समय गरबा न होने से कुछ भी अच्छा नहीं लग रहा। वे हर साल नवरात्रि पर 10,000 रुपए से अधिक खर्च करते हैं, जिसमें पास के लिए 3,500 रुपए और नौ दिन की ड्रेसेज शामिल हैं। इस बार गरबा नहीं होने से हम लोग रात में छत पर गरबा खेलकर इसकी कमी पूरी करेंगे।
दूसरी ओर, अहमदाबाद में 300 से अधिक पार्टी प्लॉट हैं, जिनमें 60 से 70 भूखंडों पर गरबे का आयोजन होता है। नवरात्रि के दौरान प्रत्येक भूखंड का किराया डेकोरेशन के साथ 15 लाख से 40 लाख रुपए तक खर्च करते हैं। गरबा स्थान पर विशाल फूड जोन भी लगाया जाता है। इस वर्ष गरबा स्थगित होने से 40 से 50 करोड़ रुपए का घाटा होगा। साथ ही गरबा स्थगित होने से 10 हजार से ज्यादा लोगों के रोजगार पर असर पड़ेगा।