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Last Updated : सोमवार, 16 अप्रैल 2018 (17:12 IST)

गैंगरेप: पूर्व नौकरशाहों ने खुली चिट्ठी में मोदी को ठहराया जिम्मेदार

गैंगरेप: पूर्व नौकरशाहों ने खुली चिट्ठी में मोदी को ठहराया जिम्मेदार - Former beaurocrats Protest across the country over Kathua, Unnao rape cases
नई दिल्ली। देश के 49 पूर्व नौकरशाहों ने एक खुला पत्र लिखकर पीएम से अपील की है कि वह कठुआ और उन्नाव में पीड़ित परिवारों से माफी मांगें, फास्ट ट्रैक जांच कराएं और इन मामलों को लेकर सभी दलों की एक बैठक बुलाएं। रविवार (15 अप्रैल) को 49 सेवानिवृत्त सिविल सेवा अधिकारियों के समूह ने इसमें देश की आतंकित करने वाली स्थिति के लिए सरकार को जिम्मेदार ठहराया है। 
 
चिट्ठी में सख्त लहजे में सरकार की आलोचना करते हुए कहा गया कि यह आजादी के बाद देश में सबसे अंधकारमय दौर है और केंद्र सरकार और राजनैतिक पार्टियां इससे निपटने में विफल साबित हुई है। चिट्ठी में यह भी कहा गया कि नागरिक सेवाओं से जुड़े युवा साथी भी लगता है कि अपनी जिम्मेदारियां पूरी करने में विफल साबित हुए हैं।
 
उल्लेखनीय है कि जम्मू-कश्मीर के कठुआ और उत्तर प्रदेश के उन्नाव में गैंगरेप के दो मामलों ने देश को दहलाया है। यूपी में लगभग हफ्ते भर पहले एक महिला ने सीएम योगी आदित्यनाथ के आवास के बाहर खुदकुशी का प्रयास किया था। आरोप था कि बीजेपी के विधायक कुलदीप सिंह सेंगर ने उससे रेप किया। मामले पर भारी विरोध और गहमा-गहमी के बाद मामला सीबीआई को सौंपा गया जिसके बाद आरोपी विधायक गिरफ्तार किया गया।
 
जबकि कठुआ में आठ साल की मासूम को पहले अगवा किया गया, फिर आरोपियों ने उसे अपनी हवस का शिकार बनाया और बाद में मौत के घाट उतार दिया था। इन दोनों ही मामलों की लपटें कम भी नहीं हुई थीं कि हाल में गुजरात के सूरत से एक नाबालिग बच्ची की लाश मिलने की खबर आई। नौ साल की मासूम के शरीर पर चोटों के तकरीबन 100 निशान थे। 
 
पीएम ने इससे पहले इन मामलों पर शुक्रवार (13 अप्रैल) को चुप्पी तोड़ी थी और कहा था, 'कोई भी अपराधी बख्शा नहीं जाएगा। न्याय होगा और बेटियों को इंसाफ मिलेगा।'
 
टि्वटर पर इस बाबत प्रधानमंत्री कार्यालय के हैंडल से लिखा गया, 'जो घटनाएं हमनें बीते दिनों देखीं, वे सामाजिक न्याय की अवधारणा को चुनौती देती हैं। बीते 2 दिनों में जो घटनाएं चर्चा में हैं, वे निश्चित तौर पर किसी भी सभ्य समाज के लिए शर्मनाक हैं। एक समाज के रूप में। दूसरा देश के रूप में हम सब इसके लिए शर्मिंदा हैं।
 
विदित हो कि देश के विभिन्न हिस्सों में अब भी लगभग हर रोज ऐसी ही घटनाएं हो रही हैं और अब तो विभिन्न मामलों में सजायाफ्ता लोगों की रिहाई के लिए धरना प्रदर्शन होने लगे हैं। इस पत्र में नौकरशाहों को भी आड़े हाथों लेते हुए कहा गया है कि वह अपनी ड्यूटी निभाने में भी फेल रहे हैं।
 
पत्र में रिटायर नौकरशाहों ने प्रधानमंत्री को कहा कि यह दो घटनाएं सामान्य अपराध नहीं है, जो कि समय के साथ सही हो जाएंगी। इन घटनाओं ने हमारे सामाजिक ताने-बाने पर गहरा घाव किया है। हमें जल्द ही अपने समाज के राजनीतिक और नैतिक ताने-बाने को ठीक करना होगा। यह समय हमारे अस्तित्व के संकट का समय है।
 
पत्र में आगे प्रधानमंत्री को कहा 'भले ही आपने (प्रधानमंत्री) इस घटना की निंदा की है और इसे शर्मनाक बताया है, लेकिन आपने ना ही इसके पीछे काम कर रही सांप्रदायिकता की भावना की निंदा की और ना ही इसे दूर करने के लिए किसी तरह के सामाजिक, राजनीतिक या प्रशासनिक संकल्प दिखाया, जिसके तहत इस तरह की सांप्रदायिक पैदा होती है।'
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